Sunday, 21 September 2025

brij ke bhajan

 83प्राणी भजले राधेश्याम काम तेरे कोई न आवेगो 

बना एक कुदरत रूपी ख्याल लपेटो ऊपर माया जाल

भव सागर में पड़ो पड़ो नर गोता खावेगो प्राणी .................

पिता माता भ्राता सुत नारि छोड़ दे अब तू इनको साथ 

जा दिन सुआ उठे संग तेरे कोई न जावेगो प्राणी 

भजन कर हरि को वारम्वार मिले तोहे निश्चय मदन मुसीर 

कर मन सोच विचार हाथ मल मल पछतावेगो प्राणी 

करम कहु पिछले करि आयो देह जासे मानस की पायो 

लख चोरासी भोग जनम तू ब्रथा गावावेगो प्राणी ................


84दहि माखन न लूटो हमार मै नई ग्वालनियाँ 

तुम ग्वाल वाल झूठे गालियों मे घूमते 

तकते पराई नरिया नथना सिकोडते 

तुम हो तो बड़े ही गवार मैं नई ग्वालिनिया 

तुम चीर ले के मेरा कदम्ब पै चढ़ गये 

जब चीर अपना माँगती नयना सिकोड़ते 

तुम होतो बड़े होशियार मैं नई 

मैं जाकर कहूँ कंस से तुम पकड़े जाओगे 

गाना बजाना नाचना सब भूल जाओगे 

वहाँ शेखी न बलिय तुम्हार मैं ...............


85शरण में आये है हम तुम्हारी दया करो है दयालु भगवन 

सम्हालो बिगड़ी दशा हमारी दया करो  हे   दयालु भगवन 

न हममें बल हे न हममें शक्ति न हममें साधन न हममे शक्ति

तुम्हारे दर के हैं हम भिखारी दया करो है दयालु भगवन 

जो तुम हो स्वामी तो हम हैं सेवक जो तुम पिता हो तो हम हैं बालक

जो तुम हो ठाकुर तो हम पुजारी दया करो हे दयालु भगवन 

सुना है हम अंश हें तुम्हारे तुम्हीं हो सच्चे प्रभु हमारे 

यह है तो तुमने सुधि क्यों विसारी दया करो हे दयालु भगवन 

प्रदान कर दो महान शक्ति भरो हमारे में ज्ञान भक्ति

तभी कहाओगे ताप हारी दया करो हे दयालु भगवन 

न होगी जब तक दया की दृष्टि न होगी तब तक दया की वृष्टि 

न तुम हो जब तक न्याय कारी दया करो हे दयालु भगवन 

हमें तो बस देर नाम की है पुकार बस राधे श्याम की है 

तुम्हारी तुम जानो निर्विकारी दया करो है दयालु भगवन 


86भारत में फिर से आजा गिरवर उठाने वाले 

सोतो को फिर जगाजा गीता के गाने वाले 

गूंजा था जिससे भारत नाचा था जिससे त्रिभुवन 

वह तान फिर सुनाजा वंशी बजाने वाले 

दुख द्वन्द बढ़ रहे हैं दुकाल पड़ रहे हेैं

फिर कट सब मिटाजा गऊये चराने वाले 

है राधे श्याम निर्बल जन तेरे भक्त वत्सल 

बिगड़ी को फिर बनाजा बिगड़ी बनाने वाले 


87सुना है तारे हैं तुमने लाखों हमे जो तारो तो हम भी जाने 

उबारा गजराज ग्राह से है हमें उबारो तो हम भी जाने 

निशाचरों को सहारा तुमने उतारा पृथ्वी का भार तुमने 

हमारे सिर पर है बोझ भारी उसे उतारो तो हम भी जाने 

हस अहिल्या का शाप तुमने मिटाया शवरी का शाप तुमने 

हमारे भी पाप हाय भगवन अगर निवारो तो हम भी जाने    

88अगर भगवान के चरणों में मेरा प्यार हो जाता 

तो इस संसार सागर से मेरा उद्वार हो जाता 

न होती जग में यह खारी न होती जग में कर्म बीमारी 

जमाना पूजता सारा गले का हार हो जाता 

रोशनी ज्ञान की खिलती दीवाली दिल में हो जाती 

ह्नदय मन्दिर में भगवन का दीदार हो जाता

परेशानी न हैरानी दशा हो जाती मस्तानी 

धर्म का प्याला पी पीकर मेरा बेड़ा पार हो जाता 

जमा का विस्तरा होता न चादर आसमा बनता 

मेरे ह्नदय पर ही घनश्याम का घट वार हो जाता 

चढ़ाते भक्त हे तेरे चरणा की धूल मस्तक पर 

तो उम्र की भक्ति में ये मन मेरा एक तार हो जाता 

अगर है राम को जपना ह्नदय की एक भक्ति से 

तो तेरा घर भी भक्तों के लिये दरबार हो जाता 


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