Saturday 21 November 2015

हास्यम शरणम् गच्छामि

हंसी क्या है, और क्यों आती है?
हंसी एक प्रबल क्रिया है, जो हृदय गति एवं रक्त संचार को बढ़ाती है। लय से पूर्ण, ध्वनि युक्तः स्फूर्त क्रिया। एक ध्वनि जो लोगों को आपस  में बांधती है । एक भाषा जिसे हम अभिव्यक्त करते हैं। एक व्यवहार जो मनुष्यों में स्वतः कार्यान्वित होता है। 

हंसी सर्वजन्य माध्यम है, जो दुनिया को जोड़ती है। यह जीवन की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। यह हृदय की भावनाओं की अभिव्यक्ति है। संसार में जीवों के पास हर संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है । वे रोते हैं, उदास होते हैं, चिड़चिड़ाते हैं। क्रोधित होते हैं। आपस में बात करते हैं, बस उन्हें हंसते हुए नहीं देखा। यह अभिव्यक्ति एक ईश्वरीय उपहार है। 

इससे प्रकृति खिलखिलाती सी नजर आती है। एक सकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन होने लगता है। जैसे अमावस की यवनिका हटा कर सूर्य झांक दिया हो। दिलों को मिलाने जीतने की सहज अभिव्यक्ति है।
ईरानी कहावत है किसी हंसने वाले इंसान के आने से ऐसा लगता है जैसे एक दीपक जल गया हो।

यद्यपि कहा यह जाता है कि मनुष्य ही हंस सकता है, परंतु प्रसन्नता का अनुभव तो प्रकृति का कण-कण करता है। हर जीव करता है। सूरज क्रोधित होता है तो उसके ताप से पृथ्वी गरम हो जाती है, अकुला उठती है लेकिन बसंत की हंसी उसे झूमने पर मजबूर कर देती है। जब कभी अपना मन प्रसन्न होता है तब प्रकृति सुंदर लगती है, थिरकती सी । तब तारे टिमाटमाते नजर आते हैं, तो चंदा जैसे खिलखिला रहा है। पर्वत पर वर्फ मुस्कराकर रश्मियाँ बिखेर देती है।

हंसी और हास्य के बीच फर्क है- हंसी हास्य के प्रति प्रतिक्रिया है। यह प्रतिक्रिया दो तरह से प्रकट होती है। चेहरे के हावभाव और उसके दौरान निकलने वाली आवाज ,इन दोनों का जब संश्लेषण होता है तब हंसी आती है। हंसने से चेहरे की मांसपेशियों में कसाव आता है। त्वचा में चमक आती हैं। हंसी ऐसा मसाज है जो अच्छे अच्छे व्यूटी पार्लर नहीं दे सकते। जिनकी भृकुटियाँ हर दम तनी रहती हैं उनके माथे पर सलवट , गालों पर लटकन रहती है, आंखों में क्रूरता, बेरुखी सी होती है। पर हंसने वाले व्यक्ति की आंखों में चमक सी रहती है।
हर व्यक्ति का जीवन तनाव से भरा है। हंसने से इंसान कुछ देर के लिये कुछ दुःख भूल जाता है।


इंकागुअटी थ्योरी के अनुसार तर्क और घटनाऐं जीवन के साधारण ढर्रे से अलग रूप ले लेती हैं, तब हास्य उत्पन्न होता है।
एक चुटकुला तब हास्य उत्पन्न करता है। जब उसका अंत हमारे अंदाज के विपरीत होता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर के समय हुये हमले में बचने के लिये भागते लोगों का अनुभव है ,जहाँ जीवन के सबसे भयानक क्षण भी सहज सरल हो गये।

हास्यम शरणम् गच्छामि  का अगला भाग

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