Monday 18 December 2017

vyaapari chor nahin

आज  बीजेपी जीत तो गई क्योंकि  जनता  के पास विकल्प नहीं हैं  और स्वयं मोदीजी बहुत भले और विकास पुरुष कहना चाहिए हैं पर  यह जीत निराशजनक है हम मोदीजी को गद्दी पर देखना चाहते हैं क्योंकि  देश उनके हाथों मैं सुरक्षित है कम से कम पैसे के लिए बिकेगा नहीं प विकास भी  चाहते हैं पर कम  से कम जनता को अधिक परेशान करके नहीं  ा माध्यम वर्ग का व्यापारी  छोटा मोटा चोर है आम व्यपारी  बस रोटी ही अच्छे से खा पता है दिन रात करके इतना तो हुक बनता है  उसके ही दम पर सरकारी कर्मचारी मलाई खा रहे हैं उसे  ही सर्वाधिक परेशान किया जाता है
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तो लड़ी जा रही पर इसके मुख्या अपराधी कौन है अच्छी तरह सब जानते है  नोटबंदी  किस वजह से विफल हुई इसका मुख्या कारणक्या था कहने की आवश्यकता नहीं है इसीप्रकार  व्यापारी वर्ग को इतना परेशान किया जाता है की कहा नहीं जा सकता सही ईमानदार से भी वसूली के बिना कागज़ नहीं बढ़ाये जाते हैं बिना मेहनतवह मौज मरते हैं  सारा दिन मेहनत  करके व्यापारी अच्छे से रोटी खाने का हकदार तो है  फिर  लगाम व्यापारी के ऊपर ही क्यों लगाती है 

Wednesday 13 December 2017

भारत इंडिया हो गया


बदलाब की बयार हर तरफ है  इन्सान की प्रकृति ही नहीं बदल रही है सब कुछ बदल रहा है। डॉ राधाकृष्णन ने कहा था  आवश्यक नहीं जिस उद्देश्य के साथ शताब्दियों पहले कोई कार्य शुरू किया गया है वह आज भी सार्थक हो समय के साथ आवश्यकताएं बदलती हैं अब  अगर ब्रह्माण्ड भी अपनी चाल बदल रहा है तो उसका क्या दोष टेनीसन ने कहा है परिवर्तन संसार का नियम है परिवर्तन का कोई उद्देश्य तो होता है सब कुछ नियमबद्ध है तो हमारे उद्देश्य भीतो किसी नियम के अंतर्गत होंगे लेकिन इस समय हम उदेश्यहीन है।  भारत का भारत अब कहीं नहीं अब पूरब का सूर्य पश्चिम से निकल रहा है  और पश्चिम की उदासी भरी डूबते सूर्य की हिंसक प्रवर्ती उग रही है भोरे की शीतलता डूब रही है तब ही हर तरफ पश्चिम का अनुसरण कर रहे हैं जहाँ बस चलते जाना है कहाँ किसके लिए कुछ नहीं पता उद्देश्य ही बिखराव लता है एक सूत्र मैं नहीं बंधता डोर कमजोर होती है टूट टूट कर तुकडे बिखरी रहती है भारतीय संस्कृति मैं परिवार समाज प्रमुख था उसके सामने उद्देश्य था अपने को अपने बच्चों के सामने स्थापित करना एक उदाहरण पेश करना जिससे उनके अपने बच्चे सीखें और एक सुसंस्कृत परिवार सामने आये लेकिन परिवार के साथ साथ मर्यादाये टूटी लिप्साएं बढ़ी लोलुपता बढ़ी राजनीती बदली उसके उद्देश्य बदले तो सब कुछ बदल गया तभी तो भारत इण्डिया  हो गया 
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