Friday 18 December 2015

नयी शब्दावली

फत्ते जल्दी जल्दी नामों की शब्दावली बनाऐं एक नवीन नाम डिक्शनरी छाप देते हैं । कमाई का मौका हैं ।  दूसरी पार्टी के लोगों को नए नए संबोधन करने होते हैं 


चलो अच्छे अच्छे छांट लेते हैं । उनके नए अर्थ भी बनाता चल मेंढक बनाम मोदी, कोकरोच बनाम खुर्शीद, ऐसे ही हांकू ,फेंकू सब नए नामों के आगे लिखता जा।


 नए नाम भी बनाकर लिखते हैं बोलने में सहायता रहेगी। फूटू  जाॅकू , दल्लू, धंदू,  चालू, इन नामों के आगे इनकी विशेषता लिख । किस किस को कहे जा सकते हैं संभावित लिख ,देख दौड़ेगी किताब ।


पर सुरती, किताब के लिए नाम तो बहुत इकठ्ठे करने पड़ेंगे , कहां से लायेंगे।’


‘ घबरा नहीं, दो जगह बहुत बढि़यां हैं ,नई नई फिल्में और संसद ,सुना तूने,, आजकल बिना गंदी गाली के कोई फिल्म नहीं चलती ,जब तक हाॅल में सीटी न बजे फिल्म कैसी, और बिना मार कुटटम्मस के संसद नहीं चलती ,मार कुटाई से पहले जीभ तो कमाल दिखाती है ’

एक भाषा विज्ञानी
अपनी नई पुस्तक के लिए
शब्द भण्डारण कर रहे थे

गली गली शहर शहर
लोगों से मिल रहे थे
शब्दों का अच्छा सा
जखीरा था हो गया

लेकिन यह तो गाना
बिन ढोल मंजीरा हो गया
गली गुप्ता तो आई नहीं

शब्दों की सीमा भाई नहीं
कुंजड़ों की बस्ती के चक्कर लगा आये
दस पांच शब्दों से ज्यादा न बढ़ा पाए

सबसे कहते कुछ तो बोलो
अपने शब्दों का पिटारा खोलो
कुजड़े धकियाते मुस्काते बोले

हमारे असली बोलने वाले
संसद में पहुंच गए
सीखनी हमारी भाषा है तो

संसद में सीख लो
पुस्तक के कुछ पन्ने क्या
पुस्तक ही भर लो

एक से अच्छी उपमाएं मिलेगी
शब्दों  की मालायें मिलेंगी
पहन कर जिन्हें

मुस्कराते हैं सांसद
प्रसन्न हो मीडिया के सामने
आते हैं सांसद ।


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