Monday 7 December 2015

भगवान की उधारी

बेचारे भगवान जी सबसे ज्यादा इंसान के लिये काम करते हैं और सबसे ज्यादा धोखा भी इंसान के हाथों से खाते है। कहा जाता है भगवान सर्वव्यापी है और वह जैसे नचाता है हम वैसे नाचते हैं, हम तो कठपुतली हैं।


पर कठपुतली कौन हैं पुतला बना कर हमने उसे कोठरियों में बंद कर दिया है। हमने पत्थर को भगवान बनाया और पत्थर से उम्मीद कर रहे हैं कि वह दया करे, ऊपर से ताले जड़ देते है कि बाहर ना भाग जायें। भगवान् ने हवा बनाई, जग को रोशन किया। खुद ही बेचारे पानी बरसा कर धरती को धो देते हैं ,क्यों कि मालुम है इंसान तो गन्दगी करेगा ,कूड़ा फैलायेगा ।


खुद ही कूड़े को रिसाइक्लिंग से ठिकाने लगा देेते हैं। पर यह सब उनके लिये नहीं है। भगवान को तो सात कोठरी के पीछे अंधरे में खड़ा कर देते हैं, जरा सी भी हवा न लग जाये। चैबीस घण्टे काम लेते हैं अपनी मर्जी से सुलायेंगे अपनी मर्जी से उठायेंगे। जरा आंख लगी नहीं कि टनाटन टनाटन कान पर धंटे घंटियाँ बजा देंगे, सो ओ बेटा
कैसे सोओगे। किसी का अच्छा होता है वो श्रेय अपने को देगा मैंने ऐसा किया, ऐसा किया।


अपनी होशयारी के कसीदे के कसीदे पढ़ देगा, दुःख आया तो जैसी भगवान की मर्जी। हे भगवान, खुदा यह तूने क्या किया ? तेरी क्या मुझ से दुश्मनी थी मैं तो तेरे को बहुत याद करता हूँ। पर यह भूल जायेगा काम करने के लिए ग्यारह रुपये का प्रसाद चढ़ाने के लिए कहा था और भगवान ने काम कर दिया लेकिन सब याद रहा प्रसाद भूल गया। तब भी दोष भगवान को, धोखा भगवान ने खाया ऐसे न जाने कितने खाते भगवान जी के हैं जो उधार में पड़े हैं ।


अगर उधार खाता चुक जाये तो क्यों उन्हें बंद दरवाजे में दिन रात खड़ा रहना पड़े। स्वर्ग का पूरा खर्चा चल जाये । काम होते ही भूल जायेंगे उसने भगवान से कोई वादा किया था। दुःख होगा एक सौ एक रुपये चढ़ाऊँगा और काम होते ही ग्यारह रुपये पर आ जायेगा फिर वो भी भूल जायेगा। किसी सरकारी दफ्तर का बाबू भी बिना लिये पहले काम नहीं करता है यह तो भगवान ही है जो भरोसा कर लेता है।


ऐसे ही अगर कोई सुन्दर होगा तो कहेंगे वाह! वाह! वाह! क्या लाल जना है । जरा भी आड़ा टेढ़ा हुआ तो क्या चीज बनाई है भगवान ने? मतलब दोष सारा भगवान का अच्छा सब इंसान का। भगवान दुकान सजा कर बैठते हैं कोई ग्राहक आयेगा ,लेकिन यह क्या भिखारियों की लाइन लग जाती है । सब मंगा ही आयेंगे बस तू दे दे। कुछ अच्छा चढ़ायेंगे पर ये क्या कपड़े और उतार ले जाते हैं और बार बार नहलाते और रहते हैं। जनवरी की सर्दी में एक का पानी सूखता नहीं दूसरा आ के डाल जायेगा वो भी लेके लोटा भर ।


ठंड में सिकुड़ते रहो ऊपर से कहेंगे हम इत्ते लोटे चढ़ायेंगे हमारा यह काम कर दो। अब भगवान बचने के लिए जल्दी से मांग पूरी करेंगे तो भूल जायेगे कितने परसेंट चढ़ाने की कही थी।


भगवान् को धोखा देने में हम माहिर हैं षिवजी को दूध चढ़ायेंगे आधा पानी मिला देंगे होगया उुग्ध स्नान। कमायेंगे करोड़ों और नकली मुकुट असली कहकर शान से चढ़ायेंगे। बेचारे भगवान जी मन ही मन इंसान निर्मित सोने को सिर पर धारण कर तिजोरियों में दफन अपने बनाये सोने को ढूंढ़ते रहेगे पर उसका तो पलंग बनाकर इंसान सोता है, और सोचता है।


वाह! क्या जनता और पुजारियों को धोखा दिया है। अखबार में फोटो छपाई मुकुट की धारणा कर रहे हैं भगवान जी। मारे गये भगवान जी और भरोसा करो सबसे ज्यादा परेशान विष्णु जी है उनकी तो पत्नी लक्ष्मी जी को ही सब अपने घर रखना चाहते हैं हे! लक्ष्मी देवी हमारे घर विराजो लक्ष्मी जी अगर तुम्हारे घर रहेगी तो विष्णु जी को क्या मिलेगा बाबाजी का ठुल्लू। अब सोचो तुम दे दोगे अपनी पत्नी ।


हनुमान जी टेढ़ी टेढ़ी आंख से देखते रहते हैं कि कोई कुछ तो और खिलाये पर ले दे कर बूंदी। बूंदी खा खा कर गुस्सा आने लगा है सो गुस्से से लाल होंगे तो क्या सफेद होंगे।

एक तरफ इंसान कहेगा भगवान तेरी पूजा करूँगा ,मुझ काम दे दो,मान दे दो ,धाम दे दो


भगवान देता है। हर काम को इंसान करेगा और पूजा के नाम पर हाथ जोड़ेगा जल्दी से भगवान देर हो रही है आज बस नमस्ते, हाय से काम चला लो कल आरती कर दूंगा । कल समय से पूजा करूंगा। पर कल कहीं आता है जल्दी होती है तो सबसे ज्यादा उपेक्षित भगवान ही होते हैं ,‘बाय बाय भगवान देर हो रही है।


’तेज स्कूटर लड़के चलाते हैं कान पर फोन लगा कर रेलवे ट्रैक पर मस्ती करते घूमते अपने को दुनिया का बादशाह समझते चलते हैं और जब ट्रेन आती है या स्कूटर डिवाइडर से टकरा कर हवा में उछलता है तो ‘‘हांय भगवान यह क्या किया ?’



मतलब सारा दोष भगवान का। इंसान बहुत दुःखी है भगवान से, उसके दुःखों का कारण भगवान है, वही तो कराता है जो भी गलत सही इसमें इंसान को दोष देना बेकार की बात है । पेड़ काटे ,पहाड़ काटे अपने लिए, दोष भगवान को कि तेरे घर आने के लिए ही तो सहज सुलभ रास्ता बना रहे थे कि ज्यादा भक्त पहुँचे । हम तो तेरा रास्ता साफ कर रहे थे तूने हमें ही साफ कर दिया।


 भगवान ने  हवा धीरे धीरे बहायी तेज बहायी तो अंधड़ कहलाया पर इंसान तो हवा से नहीं अंधड़ का मुकाबला करने निकला है तो अंधड़ तो विनाश ही करेगा इसमें भगवान का दोष यह कि उसने मारा क्यों

1 comment:

  1. ये भी भगवान् की ही महिमा है

    ReplyDelete

आपका कमेंट मुझे और लिखने के लिए प्रेरित करता है

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...