उलट पलट
मेरी उलट पलट कर लिखी गयी रचनायें
Pages
Home
मेरे बारे में
संपर्क करें
Monday, 16 April 2018
कुच्छ भी बोलो
खड़कसिंह के खड़कने से खड़कती हैं खिड़कियॉं, खिड़कियॉं खड़कने का बहाना चाहिये खड़कने का समय हो न हो खड़काना चाहिये कहीं शांति अच्छी लगती है शांति तो सन्नाटा कहलाता है । सन्नाटा श्मशान में होता है । कृतिदेव यहां
Sunday, 15 April 2018
पता बताते
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)