मैं कहता था न कोई न कोई बंदा आयेगा और देश को भ्रष्टाचार के दलदल से उबारेगा। ‘पोपटलाल ने सुड़क कर चाय चढ़ाई और ढावे के लड़के से कहा ला एक और ला मलाई मार के’
हाँ जी लो जी अभी लो जी’ लड़का गंदे कपड़े कंधे पर फटकारता चल दिया।
अरे क्या.. एक क्यों.. मैं भी पियूँगा... पोपटलाल बोले तो तू पियेगा तो तू कह दे, अब चापलूसी बंद... अब भ्रष्टाचार नहीं चलेगा... अब देखो... मजा... एक एक का... तमाशा... निकलेगा दम... वाह! मै तो सोच सोच कर ही.. खुश हो रहा हूँ क्या मजा आयेगा.... जब सब चेहरो पर से पुता हुआ निकल जायेगा।
हाँ भाई... बहुत हो गया, हर चीज के लिये सुविधा शुल्क देना पड़ता है। इसे कहते है... सच्चा नेता, मन करता है सब कुछ बदल जाये। मास्टर हनुमत राय बोले
मास्टर जी अब बच्चों के लिये एक पाठ और बढ़ जायेगा। क्यों है न कहकर नानकराम हाँ हाँ हँस उठे तभी मोबाइल की घंटी बजी... पत्नी कह रही थी रामनगर के शर्मा जी आये है आम, खरबूजे लाये है वो पूछ रहे हैं बेटे की मार्कशीट निकल वानी थी।
अरे कह तो दिया था... अब आज तो यूनीवर्सिटी में लड़को ने बबाल कर दिया है मैं कर दूंगा कल... नही नही परसो आ जायेंगे हाँ कहना... वहाँ तो दही के मीठे खुरमें बहुत अच्छे मिलते हैं....
तभी पान की दुकान पर लगे टी वी पर खबर आने लगी... धरना प्रदर्शन सब बंद धरने वालों को खदेड़ दिया गया....मैं कहता था न कुछ नहीं होगा दुनियां ऐसे ही चलेगी। पोपटलाल ने गिलास वहीं फेकते कहा
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