Thursday, 21 January 2016

खेल और खिलाड़ी भाग 2

रास्ते में एक स्थान पर भीड़ लगी थी बस को रुकना पड़ा। मालुम हुआ कि एक लड़की को जाते हुए एक लड़के ने ओ मेरी रानी ले जा छल्ला निशानी। कहाकि उसने अपनी सैडिल के छाप की निशानी उसके सिर पर मार दी। लड़के की किस्मत खराब कि उस लड़की का नाम रानी ही था।


साथ ही आसपास के व्यक्तियों ने अपनी हथेलियों का मैल बहती गंगा में धोकर छुड़ाया। मन ही मन घटना का आनन्द लेते हुए दोस्तों को सुनाने की उत्सुकता में दफ्तर पहूँचे तो देखा आधे से ज्यादा लोग गायब है ओर बाकी बचे लोग एक ट्रांजिस्टर के चारों ओर घेरा लगाये हुए है।


उस घेरे में जाकर जो मैंने दास्तान सुनानी चाही कि सिर पर लट्ठ सा पड़ा, अबे चुप हो जा, बोर मत कर, सुनने दे, कहां मैच और कहां हमारी दास्तान मन मार कर चुप हो गये।


बाकी के लोगों बारे में जानने पहूँचे तो मालुम हुआ पांच छः की तो उस दिन एक साथ नानी मर गयी थी बिशन जो अभी कुंवारा ही था के लड़का हुआ था।


किसी की बीबी की तबियत खराब थीतो किसी को कुछ। यह तो बाद में मालुम पड़ा कि यह बस हुआ फिरोजशाह कोटला मैदान में था। उस दिन दफ्तर में काम तो क्या किसी ने किया होगा, वैसे और रोज ही कौन सा काम करते थे, पर उस दिन सबका मन यही था काश वह दफ्तर ही क्रिकेट के मैदान पर लगा होता। साहब के आ जाने पर सब अपनी सीट पर तो चले गये।


परन्तु कान सुरेन्द्र के एक दम धीमे बजते ट्रांजिस्टर पर ही थे। सुनने में असफल टुकुर-टुकुर सुरेन्द्र का ही मुंह देखते रह जाते। सुरेन्द्र के पास इस समय मानों कारूँ का खजाना हो। स्कोर ऐसे बताता कि लगता गरीबों को खजाना लुटा रहा है।


जरूरी काम के साहब के दफ्तर में गया तो सुना मोबाइल पर साहब कह रहे है। या कहा! रमन्ना के चार विकेट ले लिये। वे इतने खुश थे जैसे खुद ही मैदान मारा हो।


घर पहुंचा तो देखा टीनू, विक्की, रीमा तीनों टीवी को घेर जोर जोर से क्रिकेट देख सुन रहे है। अनदेखा करके अपने कमरे में कपड़े बदल रहा था कि ऐसा लगा कि घर में भूचाल आ गया है। पलट कर झांका तो विक्की के तीन चार दोस्त और आ गये थे।


सब लोग चिल्ला रहे थे आल आउट,आल आउट का शोर ऐसा लग रहा था और खुश भी ऐसे हो रहे थे मानों दिल्ली में इनके नाम मकान ऐलाट हो गया हो। मन में डर लग रहा  जैसे तैसे यह जर्जर मकान मिला है कहीं इनके उछलने से फर्श ही न नीचे धसक जाय।


कपड़े बदल कर हम भी वहीं बैठ गये और उत्सुकता दिखाने लगे। कहीं बच्चों के मन में यह नहीं आ जाय कि आप दकियानूसी है। गंवार है अब तक का अनुभव मुझे अच्डी तरह से बता चुका था कि स्कोर पूछना अपने ज्ञान को विस्तार देगा और बताना ज्ञान का प्रदर्शन हैं दिलचस्पी दिखाना अपने को आधुनिक बनाना।



आस्ट्रेलिया की टीम आउट हुई साथ में हमारा दिमाग भी आउट था। हमारे ही सामने ही मेंज पर इनते मुक्के पड़े थे कि बीच बीच में पी जाने वाली चाय के रूप तश्तरियों में से दो तश्तरियों बेबा हो चुकी थी। उधर इंडिया का कोई खिलाड़ी चैका मारता इधर मेज पर पड़ी चीजें भी चैका मारने के लिस बेताब हो जाती थी।

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