Wednesday 13 January 2016

और ताजमहल बिक गया भाग 2

 ‘एक बात बता तू सच कह रहा है कि यह बिक जायेगाइसे तो सारी दुनिया से लोग देखने आते हैं।’ गोबिन्द के मन में जरा शंका जागी।

 ‘हाँहाँमैंने पूछा था साहब से तो साहब ने कहा था कि अरेहमारे यहाँ तो एक इमारत की देखभाल भी नहीं हो सकती इसके लिए बाहर से बुलाने पड़ रहे है।


 अब तू ही बता जब हमारी सरकार उसकी देखभाल नहीं कर पा रही है तभी तो बाहर के लोगों को बुला रही है देखने के लियेअब बाहर से देखने के लिये तो बेचने के लिए ही बुलाया जाता है। ठीक कह रहा हूँ न।’ रामू ने अपनी समझदारी का परिचय दिया।


 ‘तब फिर हमें ये बाहर के पार्क में भी कोई नहीं बैठने देगा।’ मुन्नू परेशान हो उठा।
अरे ! जो कोई इतने पैसे देकर खरीदेगा तो क्या सबको अन्दर घुसने देगाऔर चारों ओर ऊँची दीवार खड़ी हो जायेगी।’ रामू ने गर्व से अपनी जानकारी से सबको आश्चर्यचकित करते हुए कहा।


 उस दिन सब आसपास की कोठियों के अन्य सभी ड्राइवरनौकरमहरी के बीच यही चर्चा थी कि ताजमहल बिक रहा है धीरे धीरे यह बात साहब मैमसाहब सब तक पहुंच गई। उन्हीं कोठियों में एक इमारत खरीदने बेचने वाले साहब थे। उनके कान यह सुन कर खड़े हो गये। अपने नौकर से पूछा,


 अरे ! तुम्हें कैसे मालुम कि यह बिक रहा हैयह भी कहीं बिक सकता हैयह तो राष्ट्रीय सम्पत्ति है। चंडूखाने की खबरों पर ध्यान मत दिया कर।

 ‘साहब वो ताजमहल वाले साहब हैं जो इसके इन्जार्च हैं।
 ‘हाँतो’’

 ‘साहब उन्हीं का नौकर बता रहा था कि साहब के पास खबर आई है कि ताज महल को बेचने की कोशिश की जाये। बहुत से साहब आये थे कल उनके यहाँ मीटिंग थी।

 साहब का माथा ठनका। कल वहाँ गाडि़याँ तो कई खड़ी देखी थीं। हो सकता है सरकार कुछ सोच रही हो।


 उन्होंने फटाफटसभी पार्टनर्स को फोन करके एक बैठक बुलाई। एक सिरे से सबने ही हाँ कर दी कि अगर बिके तो किसी हाल में इसे खरीदा जाये।

 ‘अगर यह ताजमहल बिके तो हम और दिल्लीमुम्बई की कम्पनी मिलकर इसे खरीद लें। अरे भई करोड़ो का मुनाफा परन्तु मुझे तो लगता नहीं इसे सरकार बेचेगी। हाँ अमेरिका कोलोवोरेशन से इसकी सफाई की अवश्य बात है।


 कुछ शब्द उनके नौकर के कान में भी पड़े जैसे अमेरिकाभारत और दूसरे दिन नौकरों की मीटिंग में उस दिन का हीरो गोविन्द थावह कह रहा थापता था ,‘मेरे साहब ने सरकार से बात की हैवो ताजमहल खरीद रहे हैं।


 दूसरे दिन शहर में जबर्दस्त चर्चा थी कि सरकार दिवालिया हो रही है विदेशी कर्जो को चुकाने के लिये विदेशियों के हाथ ताजमहल बेच रही है।

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