Wednesday, 20 July 2016

जीभ का घाव


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 विज्ञान कहता है जीभ का घाव बहुत जल्दी भर जाता है और ज्ञान कहता है कि जीभ से निकली बात का घाव कभी नहीं भरता।
       रसना जो हरसमय रसमय रहती है मुलायम कोमल इसमें हड्डी नही है अर्थात् कठोर नहीे है पर मुलायम चमड़े की मार खाता उधेड़दी देती है यह तो और भी छिपी हुई हे इसके तो कड़क पहरेदार इसीलिये है कि बोले और छिप जाये फिर झेलते रहो।
गुलाब सी गुलाबी
गुलाब जामुन सी मुलायम
जामुन सी कालिख छोड़ती
जीभ है निराली
       जब ही तो जब चलती है और ऐसी मार मारती है कि फिर उसका रखवाला लाख कोषिष करले अब तो निकल गया तीन कमान से सोचने ही नहीं देती दिमाग और जीभ और हृदय तीनों आड़े टेड़े चल देते है दिमाग सोचे नहीं दिल समझे नहीं कि जीम चट से निकल पड़ती है जब ही तो ए बी सिंह ने सोचा न समझा अब बेटी को जान से मारने की धमकी दे डाली अगर ऐसे में खुद भी लेकर चलेंगे तो क्या कर लेंगे बेटी तो गई हार हाल में हाँ बेटे को हार पहनायेंगे बेटा बड़ी वहादुरी का काम करके आया है तू तो इनाम का हकदार है तुझे तो जान की बाजी लगा कर बचा लूंगी हां तेरी बहन होगी तो तू भी साथ होगा पर वो मरेगी क्योंकि लड़की है।
गन्ने सी रस से भरी
मारती डंडे की मार
बत्तीस दांतो से लोहा लेती
बिना उसके आदमी बेकार
है बहुत मन चली
झट से फिसल जाती
और फिर चाँद पर
जूते पड़वाती। तिदेव यहां 

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