मेरी पुर्नशिक्षा का पिछला भाग
बात बात पर अपनी खिल खिल हंसी से इनके हवाइयाॅं उड़े चेहरे से मिलाते हैं तो समझ नहीं आता कि हमने बचपन जिया या ये खो रहे हैं। दस साल की उमर में बम परमाणु की बातें अपनी तो सोच कर ही रूह कांप जाती है। हमारे लिये तो हिस्ट्री ज्याग्रफी है बेवफा सुबह को पढ़ी और शाम को सफा’ गा गाकर किताबों से सर मारने वाले हम अब बच्चों को रटाते हैं तो सारा मंजर आंखों के आगे से गुजर जाता है।
कहां हमारे माँ बाप जिन्हें यह ही नहीं मालुम था कि बच्चे किस क्लास में पढ़ रहे हैं और एक हम हैं कि हम बच्चों का सारा कोर्स एक एक अक्षर सहित रटा रहे हैं। लगता है भर्ती स्कूल में बच्चे हुए हैं पर अप्रत्यक्ष रूप से पढ़ाया उनके माँ बाप को जा रहा है। जैसे कह रहे हो बहुत मस्ती मारी पढ़ाई को फालतू काम समझा। अब पढ़ो और समझो कि पढ़ाई इसे कहते हैं।
अंग्रेज़ी का उच्चारण उनके मुँह से सुनती हूँ। मन ही मन कई बार दोहराती हूँ, तब बोलती हूॅं तब भी बच्चों की ही ही के बाद उनसे सीखना पड़ता है। मम्मी कैसी अंग्रेजी में एम.ए. हो बोलना तो आता नहीं है।
इधर यह लिख रही हूँ उधर बिटिया कर रही है,‘ माँ क्या फालतू का काम कर रही हो, कल हमारे स्कूल में बेजीटेबुल डेकोरेशन और फ्लावर शो है, हमने बैजीटेबल में नाम लिखाया है कुछ सिखाइयें हमको।
सिखाना बिखाना क्या है आप अभी तो बता दीजिए सुबह काट कर रख दीजियेगा हम वहां लगा देंगे।’ उधर वेबू कह रहा है माँ हमारा एनीमल का प्रोजैक्ट बनाकर दो नहीं तो हमें डांट पड़ेगी। हाँ भई पहले तो बाजार जाती हूँ सब्जियाॅ और एनीमल का चार्ट लाती हूँ। फिर दोनों का काम करूंगी। खाना वाना देखी जायेगी सामने होटल से मंगा लूंगी।
बात बात पर अपनी खिल खिल हंसी से इनके हवाइयाॅं उड़े चेहरे से मिलाते हैं तो समझ नहीं आता कि हमने बचपन जिया या ये खो रहे हैं। दस साल की उमर में बम परमाणु की बातें अपनी तो सोच कर ही रूह कांप जाती है। हमारे लिये तो हिस्ट्री ज्याग्रफी है बेवफा सुबह को पढ़ी और शाम को सफा’ गा गाकर किताबों से सर मारने वाले हम अब बच्चों को रटाते हैं तो सारा मंजर आंखों के आगे से गुजर जाता है।
कहां हमारे माँ बाप जिन्हें यह ही नहीं मालुम था कि बच्चे किस क्लास में पढ़ रहे हैं और एक हम हैं कि हम बच्चों का सारा कोर्स एक एक अक्षर सहित रटा रहे हैं। लगता है भर्ती स्कूल में बच्चे हुए हैं पर अप्रत्यक्ष रूप से पढ़ाया उनके माँ बाप को जा रहा है। जैसे कह रहे हो बहुत मस्ती मारी पढ़ाई को फालतू काम समझा। अब पढ़ो और समझो कि पढ़ाई इसे कहते हैं।
घर में किसी से कह भी नहीं सकती कि छटी की पढ़ाई पढ़ाने में असमर्थ हूँ। सब मेरी पी.एच.डी. की डिगरी छीनने को तैयार हो जायेंगे, या कहेंगे न पढ़ाने के बहाने है। बताओ छटी और चैथी को नहीं पढ़ा पा रही हैं। चुपचाप ध्यान लगाकर अल्पी और वेबू की पुस्तकों का अध्ययन मनन करती हूँ
अंग्रेज़ी का उच्चारण उनके मुँह से सुनती हूँ। मन ही मन कई बार दोहराती हूँ, तब बोलती हूॅं तब भी बच्चों की ही ही के बाद उनसे सीखना पड़ता है। मम्मी कैसी अंग्रेजी में एम.ए. हो बोलना तो आता नहीं है।
इधर यह लिख रही हूँ उधर बिटिया कर रही है,‘ माँ क्या फालतू का काम कर रही हो, कल हमारे स्कूल में बेजीटेबुल डेकोरेशन और फ्लावर शो है, हमने बैजीटेबल में नाम लिखाया है कुछ सिखाइयें हमको।
सिखाना बिखाना क्या है आप अभी तो बता दीजिए सुबह काट कर रख दीजियेगा हम वहां लगा देंगे।’ उधर वेबू कह रहा है माँ हमारा एनीमल का प्रोजैक्ट बनाकर दो नहीं तो हमें डांट पड़ेगी। हाँ भई पहले तो बाजार जाती हूँ सब्जियाॅ और एनीमल का चार्ट लाती हूँ। फिर दोनों का काम करूंगी। खाना वाना देखी जायेगी सामने होटल से मंगा लूंगी।
दोनों ही भाग अव्रतीम
ReplyDeleteशब्दावली अच्छी है
समाज में अब भी काफी वर्ग शिक्षा से पिछड़ा हुआ है यह सब जाती का भी इसमें भेदभाव कहें या लोगो की सोच का
ReplyDeleteबेशक बिलकुल सही कहा आपने अपनी इस पोस्ट में
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