Friday, 11 December 2015

वीर तुम बढ़े चलो,

वीर तुम बढ़े चलो,धीर, तुम बढ़े चलो, सामने खुदी सड़क हो दिल रहा धड़क हो, गड्ढे हो या कचरे का पहाड़ हो, नाक पर रुमाल हो , लांघते बढ़े चलो, पार तुम करे चलो, वीर तुम बढ़े चलो,




कहते हुए घरवाली ने घरवालों को दही पेड़ा , खिला कर घर से बाहर जाने का हौसला बढ़ाया। स्कूटर की गद्दी पर रबर लगा लो ,स्कूटर उछले तो लगे नहीं ।  बसों से ट्रकों से भगवान् रक्षा करना ।


बेटे को बस में बैठाते हुए समझाया बेटा बस में ज्यादा उछलकूद मत करना ,पता नहीं कौन से नाले में बस गिर जाये, बेटा बहुत चिंता हैं पता नहीं कौन सी सड़क धसक जाये और कब लालपरी का सपना बस ड्राइवर को आ जाये। बेटा ! मन तुम्हारे साथ रहेगा। गायत्री मंत्र का जाप करूँगी, जब तक घर वापस नहीं आ जाओगे।



बेटी की स्कूटी की पूजा की, छोटे-बड़े गड्डों से बेटी की रक्षा करना। बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला, बेटी दुपट्टे में मुँह छिपाकर जाना। पहला जमाना होता घूंघट मार लेती।

बेटा मनचलों की निगाह पर गाज पड़े। काली कलकत्ते वाली काले दिलों से बचाना। खड्ढों की कीचड़ से बेटी का मुंँह न काला हो जाये। सीधे काॅलेज से घर आना। नाखून बड़ा लो आंखे निकला कर लाना, राक्षस की जगह उनको बाहर टांग देंगे।


घर वाले को आंख में आंसू भरकर विदा किया सही सलामत रहे तो शाम को मिलेंगे सड़क के गड्ढों से बचकर चलना, आगे बड़े बड़े खुले नाले हैं ढकने की क्या जरूरत एक वारिश में सड़क का इकठ्ठा कूडगिर जाता है भर जायेगा धीरे धीरे।


चार छः जान दब जायेगी दो चार गाय, कुत्ते कम ही होंगे सड़क पर सो भरने की जरूरत नहीं है। गड्ढे तो सरकारी जेब के भरते चलो। जेब में छलनी लगी है सीधे स्विटजरलैंड जाकर खुलती है उनके पास बड़े चार्टरप्लेन है। तुम्हारे पास टूटा स्कूटर है इसलिये सही सलामत घर आना तुम्हारे आने के बाद ही खाना बनाऊँगी नहीं तो बेकार जायेगा।


बिजली का भरोसा नहीं जो फ्रिज चले। हे ईश्वर! रक्षा करना इस निरीह प्राणी की। आंखे खोलकर जाना हैलमेट का ध्यान रखना स्कूटर उछले तो हैलमेट जबड़े पर लग सकता है ।


दांतों का ख्याल रखना बत्तीसी आसानी से नहीं बनती साठ हजार लगते हैं वो कमाने में सात महिने लग जायेंगे फिर क्या भूखे मरेंगे , तो यह मत सोचना दांत लग जायेगे। हड्डी जुड़ने में पता है। अरे! बाप रे इतने में तो दूसरा आ जायेगा इसलिये वीर तुम चलना पर सड़क पर ध्यान से बढ़ना।



फिर आगे कहा कोई बात नहीं, दस दिन पहले ही सड़क के एक गड्ढे में तुमने अपना पैर तुड़ाया । स्कूटर में सात सौ रुपये लग गये अभी आया भी नहीं है। मिस्त्री केा बहुत काम मिलता है पर अब ध्यान से जाना ।


उन रुपयों की भरपाई के लिये एक महिना खाली दाल खाना, आधी कटोरी से ज्यादा नहीं मिलेगी, पर हाड़ तोड़ मेहनत के लिये आधी कटोरी दाल तो जरूरी है।


हां अगर संसद में कोई जुगाड़ हो जाये तो कोई बात नहीं। कल तुम गड्ढों को कूद कर पार करने के छत पर जो अभ्यास कर रहे थे ,बंदर समझ नीचे के फ्लैट वालों ने डंडे चलाए ,वो तो खैर एक ही लगा पर ध्यान रखना, बड़े बड़े नाले हैं कहीं गिर गये तो दूसरा मुझे जल्दी मिल भी नहीं पायेगा ,चाहो तो कोई छड़ी बड़ी ले जाओ कुछ तो सहायता मिलेगी।

1 comment:

  1. मुझे इसमें मेरा बचपन याद आ गया

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