Wednesday, 16 December 2015

ताका-झांकी

ताकाझाकी की हमारे यहां बड़ी बुरी आदत है। दूसरे के फटे में टांग जरूर अड़ायेंगे। अरे आजादी का मतलब होता है पूर्ण आजादी, जिसका जो मन आये करो लेकिन नहीं यहाँ चैन ही नहीं है।


अरे! संसद में हमारी इच्छा हम बकवास सुने या न सुने। हम कोई संसद बहस सुनने के लिये जाते है।


अरे! वो तो वहाँ जाने के पैसे मिलते हैं, अब जहाँ फोकट में पैसे मिलें तो घर पर सोयें या वहाँ जाकर कुर्सी पर सोयेंरात तो इतने काम होते हें फुरसत कहाॅं मिलती है। संसद जाने में  पैसा खर्च नहीं होता मिलता है,  अब दुनिया को चैन ही नहीं हैं अब सीट पर बैठे हम क्या कर रहे है ?



ताकाझांकी करते रहेंगे। मजा तो वैसे संसद में जब तमाशा होता है जूता चलता है तब आता ही है , थोड़ी अपनी भी हाथ की खुजली मिट जाती है




पर कैमरे को क्या आफत कि वो सारी दुनिया को दिखा देता है। केेमरे की ताकने झाकने की ऐसी बुरी आदत है , इतना छिपा कर कुर्सी पर मोबाइल पर मजे ले रहे थे और चैन नहीं पड़ी छिप छिप कर झांकने लगा।


बराबर उस ताकझांक को दिखा रहे हैं और नाम हमारा लगा मजा सब ले रहे हैं ,झांके जा रहे हैं झांके जा रहे हैं कि हम क्या देख रहे हैं ?



अपने गिरेबा में तो झांकेगे नहीं दूसरे के गरेबा में झांकेगे कि वो क्या कर रहा है ? अपने घर में तो मोटे मोटे पर्दे लगा देंगे और पड़ोसी की बीबी कब नहा रही है कब कपड़े बदल रही हैं देखने की कोशिश करेंगे जरा भी हवा से पर्दा हिले और झांके पड़ोसी क्या कर रहा है ?


ताकने झांकने की इतनी बुरी आदत है कि कितना माल है कितनी जमीन है ? कोशिश करते रहेंगे जरा पता तो चले अब चैथे विश्व के अमीर हों या गरीब देश के।


ताकने झांकने के मारे पीछे पड़े रहेंगे खुद हमें नहीं मालुम कि हमारे पास दस अरब है कि दो अरब ,लेकिन दूसरों को मालुम है कि क्या क्या है ? अब यह बिना ताकझांक के तो हो नहीं सकता।


जिस पर मुद्दा तो यह है कि दिन भर तो अखबारों में आता रहता है। कैसे कर बचायें अर्थात् सरकार को कैसे चूना लगाये ? फिर कितना तो चूना लगाया कितना कर दिया वो कोई बताने की बात है ?

फिर वोई बात, हम तो किसी के फटे में टांग अड़ाते नहीं। फटा कपड़ा तो गरीब का होता है उसके बीच में पड़कर हम क्या करेंगे ? कौन हम उनके लिये संसद में आये हैं । 


हम और हमारे रिश्तेदार कोई कम हैं जिनकी हमें गरीबी दूर करनी होती है। हम तो गरीबों के घर में झांकते भी नहीं, पर सब हमारे घर में झांकते रहते हैं कि हमने कया खाया क्या पीया।
बहुत बुरी बात है हमारे गद्दे के अंदर क्या है इससे सबको क्या करना है। बताओ कितनी गंदी आदतें हैं लोगों में ।

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