Thursday, 10 December 2015

तैयारी एक समारोह की

आप सर, स्टेज के इधर से दो सीढि़यां उतर कर नेता जी को हार पहनायेगें, आप महासचिव साहब उनकी श्रीमती को गुलदस्ता भेंट करेंगे । एक लड़के को नेताजी की  पहनकर स्वागत का रिहर्सल किया गया।


पांचवी बार जब रिहर्सल हो गया तब स्वागत समारोह के अध्यक्ष ने चैन की सांस ली बहुत ठीक बिलकुल ऐसे ही मधुकर जी बस जरा रूकियेगा।


वो आप चिंता मत करो बिलकुल ठीक ठीक होगा, एक बात ध्यान रखना साहब सभी कार्यक्रम एकदम जोर के होने चाहिए।


स्वागत का पूरा इन्तजाम था चारों ओर झालरें रोशनी बड़े बड़े पंखे जिसमें अतिथि को जरा सी भी गर्मी न लगे, द्वार पर सूखे रंगों से बड़ी सी अल्पना।


‘सब सपना अपना पार्ट अदा करने के लिये अपनेे अपने कागज लिये तैयार रहें। जैसे ही अतिथि द्वार पर आये पंखा, बिजली सब चालू कर देना, उससे पहले मत खोलना, बेकार बिजली का खर्चा होगा


अतिथि के जाते ही बंद ठीक, बस माइक वगैरह चालू रहे’ प्रिंसीपल महोदय ने समझायासाथ ही कहा,‘ स्वागतध्यक्ष जी इशारा कर दीजियेगा मैं नेताजी को पहचानता नहीं हूँ।’



गाड़ी रुकी, सफेद बंद गले का कोट, चूड़ी दार पजामा पहने नमस्ते करते नेताजी जी उतरे काला कोट पहने पी ए साहब। स्वागताध्यक्ष ने बढ़कर उनका स्वागत किया।


द्वार पर आये ही थे कि पंखा बिजली चालू हुए। एक पंखें ने अतिथि को देख सिर झुकाया साथ अल्पना के सारे सूखे रंग उ़ड़ चले नेताजी को रंगने। इस हबड़ तबड़ में रंगो को रोकने की कोशिश करते नेताजी पीछे रह गये 


आगे बढ़ आये पी ए महोदय और संचालक ने नेताजी के स्वागत में शब्दों के फूल बरसाने प्रारम्भ किये जब तक कि स्वागताध्यक्ष महोदय संचालक महोदय को नेेताजी के विषय में कुछ कहने से रोंके कि संचालक महोदय ने प्रिसीपल साहब और मधुकर जी को अपना कार्य अंजाम करने के लिये कह डाला।


मुस्कराते बड़ा सा हार लिये प्रिसीपल साहब और गुलदस्ता लिये मधुकर जी चले।
नेताजी अभी रंगो को ठीक से झाड़ भी न पाये थे कि बड़ा सा हार आते देख नम्रता से सिर झुका हाथ जोड़ खड़े हुए।

तभी ताली की गड़गड़ाहट के बीच में अपने गले में कुछ न पा जब ऊपर देखा तो मधुकर जी गुलदस्ता लिये मुस्करा रहे थे और प्रिसीपल साहब पीए के गले में माला डाल उसे हाथ जोड़ रहे थे।

No comments:

Post a Comment

आपका कमेंट मुझे और लिखने के लिए प्रेरित करता है

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...