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मैया मोहि दाऊ बहुत खिजाओ
मोसो कहत मोल को लीन्हो तू जसुमति कब जायो
कहा कहो याहि रिस के मारे खेलन हूँ नहि जात
पुनि पुनि कहत कौन है माता को है तुम्हारो तात
गोरे नन्द यशोदा गोरी तुम कत श्याम शरीर
चुटकी देदे हॅंसत ग्वाल सब सिखे देत बलवीर
तू मोही को मारन सीखी दाऊ कबहु न खीजे
मोहन को मुख रिस समेत लखि जसुमति सुन सुन रीझे
सुनहु कान्ह बलभद्र चबाई जनमत ही को धूत
सूर श्याम मोहे गो धन की सो हों जननी तू पूत ।
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