एक शर्त ऐसी भी
1907 दोपहर लंदन के राष्ट्रीय खेलकूद क्लब के कुछ सदस्य खाना खाने के लिये एकत्रित हुए। बातचीत के दौरान दो सदस्यों में बहस छिड़ गई कि कोई भी व्यक्ति दुनिया से मुँह छिपाकर दुनिया का चक्कर लगा सकता है या नहीं। ये सदस्य थे जॉन मोर्ग, एक करोड़पति व्यापारी और लार्ड लान्सडेल। लान्सडेल का कहना था कि यह हो सकता है जबकि मोर्गन का कहना था यह नहीं हो सकता।
इस शर्त की समाप्ति 100,000 डालर की रकम के साथ हुई। अब आवश्यकता हुई एक ऐसे साहसी आदमी की जो इस शर्त को पूरा करने में सहयोग दे सके जीवन की एक रसता से ऊबे उसी क्लब के एक सदस्य को जब इस शर्त के विषय में ज्ञात हुआ तो वह रोमांचित हो उठा और इसे सम्पन्न करने के लिये आगे बढ़ आया।
कुछ सख्त नियम बनाये गये जिनमें प्रमुख था कि ड्यूमास के उपन्यास के पात्रों की तरह उसे चेहरे पर एक लोहे का मुखोटा हर समय लगाये रहना पड़ेगा। उसे सामान भी कुछ नहीं दिया जायेगा । बस एक जोड़ी अंदर के कपड़े बदलने के लिये दिये जायेंगे। उसे एक बच्चा गाड़ी खींचनी होगी। उसे एक पाउन्ड खर्चे के लिये दिया जायेगा बाकी आय का साधन उसके पास पिक्चर पोस्टकार्ड होंगे जिन्हें बेचकर अपना गुजारा करना होगा। ब्रिटेन के प्रमुख शहरों से गुजरने के बाद उसे अठारह अन्य देशों के एक सौ पच्चीस शहरों से गुुजरना होगा रास्ते में ही अपने लिये पत्नी तलाशनी होगी। लेकिन मुँह दिखाई की शर्त वही रहेगी, चेहरा पत्नी तक को नहीं दिखा सकेगा। नियमों का पालन ठीक करता है या नहीं इसके लिये उसके साथ एक खुफिया रहेगा जो उसकी गतिविधियों की सूचना देता रहेगा।
हैरी के लिये साढ़े चार पौन्ड का एक लोहे का मुखौटा बनवाया गया। जनवरी 1908 को ट्राफ्लगर स्कवायर से रोमांचित भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच 200 पौन्ड की बच्चा गाड़ी को धकेलता हुआ हैरी अपनी दुनियाँ की यात्रा के लिये निकल पड़ा उसके पास पिक्चर, पोस्टकार्ड थे और जेब में एक पाउन्ड की राशि।
न्यू मार्केट रेस पर उसकी मुलाकात एडवर्ड सप्तम से हुई उन्हें उसने पांच पाउन्ड में एक पोस्टकार्ड बेचा। एडवर्ड ने उसके हस्ताक्षर लेने चाहे तो हैरी ने मना कर दिया क्योंकि यह शर्तो के खिलाफ होता, हस्ताक्षर से उसकी पहचान खुल सकती थी कि वह कौन है।
वैक्सले हीथ में एक पुलिसमैन ने उसे बिना लाइसेन्स पोस्टकार्ड बेचने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया। हैरी अदालत में पहुँचा। तब भी वह मुखौटा लगाये हुए था, जज ने जब मुखौटे पर एतराज किया तो हैरी ने शर्त के विषय में बताते हुए मुखौटा उतारने से इन्कार कर दिया। अदालत ने हल्का सा जुर्माना करके उसे छोड़ दिया और अदालत में उसकी शिनाख्त ‘लोहे के मुखौटे वाला व्यक्ति करके की।’
हैरी वैन्सले ने बच्चा गाड़ी खींचते और पिक्चर पोस्टकार्ड बेचते बारह देशों की यात्रा कर ली। न्यूयार्क, मॉन्ट्रियल और सिडनी से गुजरते हुए उसके पास दो सौ शादी के प्रस्ताव आये लेकिन सबको इन्कार करता हुआ 1914 में वह जेनेवा पहुँचा। अभी उसे इटली और छः अन्य देशों की यात्रा करनी शेष थी कि विश्व युद्ध छिड़ गया। देशभक्त हैरी युद्ध में भाग लेना चाहता था इसलिये शर्त समाप्त कर दी गई और उसे चार हजार पाउन्ड का प्रोत्साहन पुरस्कार दिया गया जिसे उसने दान कर दिया।
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