Saturday, 16 August 2025

Brij ke Bhajan

 71मेरे माठी के मटके तू राम राम बोल

उपर से तू चिकना चुपड़ा भीतर से है तेरा पोल मेरे .....

उपर से तू सुन्दर बहुत है भीतर पड़ा है विष घोल मेरे 

जब तू जायेगा यम के द्वारे तब ही खुलेगी तेरी पोल मेरे 

लख चोरासी में फिर आया अपनी हस्ती टटोल मेरे ....

कहत कबीर सुनो भई साधों राम का नाम अनमोल

मेरे माटी के मटके तू राम नाम बोल 


72तेरी बन जैहे गोविन्द गुन गाये से 

गोविन्द गुन गाये से गोपाल गुन गाये से 

शबरी की वन गई अजामील की बन गई 

गणिाका की बन गई सुग्गा के पढ़ाये से 

धु्रब की भी बन गई प्रहलादो की बन गई 

मीरा की बन गई जहर विष खाये से 

कबिरा की बन गई सूरो की बन गई 

तुलसी की वन गई राम गुन गाये से 


73जुलम कर डारोरी या काली कमली वाले ने 

मथुरा में याने जन्म लियो गोकुल में बजे बधाये जी या 

सोय गये याके पहरे वाले आपहि खुल गये तालेरी या 

ले वसुदेव चले गोकुल को यमुना ने चरणा परवारे जी 

कर श्रंगार पूतना आई माके छिन में प्रान निकाले री या 

इन्द्र ने कोप कियो ब्रज उपर नख पर गिरवर धारे री या 

चन्द्र सखी मज वाल मोहन छवि हरि भक्त प्राणा उधारे री 


74बासुरिया कहाँ भूल आये कान्हा निरमोइया 

आगे आगे चले कन्हैया पीछे दाउ भइया 

उनके पीछे चले मनसुखा उनके पीछे गइया 

माखन चोर नन्द को ढोटा कहती चले गुजरिया 

मारग में नहीं जाने देव डाले फोर गगरिया 

रास रचावे वंशी तटपर नाचे ताता थैया 

राधा के संग में बृज वाला हो रही ता ता थैया 

लेकर चीर कदम्ब पर बैठे संग बलदाऊ भैया 

हाथ जोड़ कर गोपी बोली विनती सुनो कन्हैया 

बृज को छोड़ द्वारका धाये ऐसे निठुर कन्हैया 

सूना वृन्दावन दिखावे व्याकुल ग्वालिन भइया 

राधा गोपी रूदन मचावे ग्वालिन मनसुखा भइया 

बृज वासन वागन में रोवे ले ले नाम कन्हेया 

75मेरी फूल बगिया चको महाराज

तेरी फूल बगिया में क्या क्या लगा है बेला चमेली गुलाव 

तेरी फूल बगिया में क्या क्या विकत है पूरी कचोड़ी अचार 

तेरी फूल बगिया में क्या क्या वजत है ढोलक मंजीरा सितार 

तेरी फूल बगिया में कोन बसत है राम लखन हनुमान 

चन्द्र सखी भज बाल कृणा छवि रघुवर देखो निहार 


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