71मेरे माठी के मटके तू राम राम बोल
उपर से तू चिकना चुपड़ा भीतर से है तेरा पोल मेरे .....
उपर से तू सुन्दर बहुत है भीतर पड़ा है विष घोल मेरे
जब तू जायेगा यम के द्वारे तब ही खुलेगी तेरी पोल मेरे
लख चोरासी में फिर आया अपनी हस्ती टटोल मेरे ....
कहत कबीर सुनो भई साधों राम का नाम अनमोल
मेरे माटी के मटके तू राम नाम बोल
72तेरी बन जैहे गोविन्द गुन गाये से
गोविन्द गुन गाये से गोपाल गुन गाये से
शबरी की वन गई अजामील की बन गई
गणिाका की बन गई सुग्गा के पढ़ाये से
धु्रब की भी बन गई प्रहलादो की बन गई
मीरा की बन गई जहर विष खाये से
कबिरा की बन गई सूरो की बन गई
तुलसी की वन गई राम गुन गाये से
73जुलम कर डारोरी या काली कमली वाले ने
मथुरा में याने जन्म लियो गोकुल में बजे बधाये जी या
सोय गये याके पहरे वाले आपहि खुल गये तालेरी या
ले वसुदेव चले गोकुल को यमुना ने चरणा परवारे जी
कर श्रंगार पूतना आई माके छिन में प्रान निकाले री या
इन्द्र ने कोप कियो ब्रज उपर नख पर गिरवर धारे री या
चन्द्र सखी मज वाल मोहन छवि हरि भक्त प्राणा उधारे री
74बासुरिया कहाँ भूल आये कान्हा निरमोइया
आगे आगे चले कन्हैया पीछे दाउ भइया
उनके पीछे चले मनसुखा उनके पीछे गइया
माखन चोर नन्द को ढोटा कहती चले गुजरिया
मारग में नहीं जाने देव डाले फोर गगरिया
रास रचावे वंशी तटपर नाचे ताता थैया
राधा के संग में बृज वाला हो रही ता ता थैया
लेकर चीर कदम्ब पर बैठे संग बलदाऊ भैया
हाथ जोड़ कर गोपी बोली विनती सुनो कन्हैया
बृज को छोड़ द्वारका धाये ऐसे निठुर कन्हैया
सूना वृन्दावन दिखावे व्याकुल ग्वालिन भइया
राधा गोपी रूदन मचावे ग्वालिन मनसुखा भइया
बृज वासन वागन में रोवे ले ले नाम कन्हेया
75मेरी फूल बगिया चको महाराज
तेरी फूल बगिया में क्या क्या लगा है बेला चमेली गुलाव
तेरी फूल बगिया में क्या क्या विकत है पूरी कचोड़ी अचार
तेरी फूल बगिया में क्या क्या वजत है ढोलक मंजीरा सितार
तेरी फूल बगिया में कोन बसत है राम लखन हनुमान
चन्द्र सखी भज बाल कृणा छवि रघुवर देखो निहार
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