Friday 18 December 2015

हास्यम शरणम् गच्छामि का पिछला भाग

हास्यम शरणम् गच्छामि  का पिछला भाग

उस हमले में बचे राॅड ने अपना अनुभव बताया कि हमले के तुरंत बाद, हम सब कर्मचारी एक साथ सीढि़यों से नीचे भागे। हमें यह भी नहीं पता था कि आगे हमारी जान बचेगी या नहीं। हम लोग ग्यारहवीं मंजिल पर पहुंचने तक इतना थक चुके थे कि किसी की आगे जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। तब हमारी एक साथी ने कहा, ‘क्यों न हम जिस तरह नये साल के आने की खुशी में 10,9,8,7 गिनते हैं उसी तर हर मंजिल की गिनती करें।’ बस हम सभी जोर जोर से हंसने लगे और गिनते हुए नीचे पहुंच गये।


मानसिक शांति पाने के लिये भी हंसना बहुत आवश्यक है। अनावश्यक भय, अनिद्रा आदि से हंसी दूर रखती है। व्यक्ति की कार्य शक्ति  बढ़ जाती है विश्वास जगता है।

लाफिंग बुद्धा चीन में सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है , इसका गौतम बुद्ध या उनके जीवन से कहीं मेल नहीं है। वह हंसी के द्वारा लोगों को ऊर्जा प्रदान करता है, अर्थात् हंसी जीवन में सुख सौभाग्य लाती है। 

हम दूसरों की गलतियों ,मूर्खताओं या दुर्भाग्य पर हंसते हैं ,लेकिन कभी कभी हंसी कष्टदायक भी हो जाती है। जब हम किसी का मजाक बनाते हैं, छोटी गलत हंसी आपके व्यक्तित्व को ही गलत ठहरा देती है। किसी की खिल्ली उड़ाना ,किसी  की भावनाओं को ठेस पहुँचाना ,किसी की परेशानियों का मजाक बनाना हास्य नहीं है। दूसरों को गिराने के लिये न हंसो। दूसरों को देखकर बनावटी हंसी हंसना या अत्यधिक हंसना अनैतिक व्यवहार हो सकता है।


शायद हास्य व्यंग्य से कहीं जन मानस प्रभावित हो। व्यंग्य तीखी कटार की तरह उनके हृदय को मंद कर उन के अंदर के भ्रष्टाचार के दानव का अंत कर दे। उनका हृदय तंत्र साफ निर्मल हो। कलम की धार होती पैनी है, वह जितना तीक्ष्ण वार करती है शायद वास्तविक खंजर न कर सके। चारों ओर अराजकता रिश्वतखोरी, काम न करने की प्रवृति समाज का नासूर बन गई है। दिन व दिन अपराधिक प्रवृति बढ़ती जा रही है। एक आस, एक विश्वास, हम समाज की बुराइयों में एक तो बना ही पायेंगे।


हास्य बोध मस्तिष्क की उर्वरता का द्योतक है। वह डर मुक्त बनाता है । जीवन में साहस का संचार होता है। हंसी रिश्तों केा मजबूत बनाती है । साथ साथ हंसना खिलखिलाना, मुरझाये चेहरों पर ताजगी ला देती है। हास्य बोध के लिये गांधीजी ने कहा है ‘आज मैं महात्मा बन बैठा हूँ लेकिन जिन्दगी में हमेशा कठिनाइयों से लड़ना पड़ा है, कदम-कदम पर निराश होना पड़ा है, उस वक्त मुझमें विनोद न होता तो मैंने कब की आत्महत्या कर ली होती। मेरी विनोद शक्ति ने मुझे निराशा से बचाये रखा है। अतः हास्यम् शरणम् गच्छामि । केवल पांच मिनट का विशुद्ध हास्य आपके जीवन को बदल देगा इसलिये हंसिये और स्वस्थ रहिये। इसे जीवन का मूल मंत्र मानिये।

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