Wednesday, 16 December 2015

होली आई रे

होली आते ही कृष्ण को महारास रचाने के लिये एक के बाद एक निमन्त्रण मिलने प्रारम्भ हो गये। नहीं ,उस वन्दे जितना फास्ट कोई नहीं नाचता है, आरकेस्ट्रा भी उस बहुत बढि़या है बांसुरी लगता है


चैरसिया से सीखी है। धीरे धीरे ख्याति बढ़ती जा रही थी। कृष्ण के पास गोपियों के साथ रास रचाने के लिये समय कम होता जा रहा था। कुछ गोपियां भी उसने अपने ग्रुप में ले ली। परन्तु सारी गोपियों को अपने साथ ले जाने में मुश्किल हो रही थी।


गोकुल, वृन्दावन, मथुरा, बरसाना, नन्दगांव से तो निमंत्रण आ ही रहे थे लेकिन दिल्ली, हैदराबाद, पूना फिर फिल्मों से आफर आने लगे। रथ को छोड़ना पड़ा। अब चार्टर प्लेन किया और फिर उनका एक दिन अमेरिका में तो दूसरा दिन लंदन में तीसरा टोकियों मे, चैथा दिन दुबई में रहने लगा।


कुछ गोपियां साथ रहती पर बाकी का रो रो कर बुला हाल था खास खास गोपियां राधा की सहेलियां बिसाखा आदि को तो फिल्मों में भी चांस मिल गया हमारा नंबर कब आयेगा? कृष्ण को मोबाइल मिलाती कृष्ण को स्विच आॅफ करना पड़ता तो मोबाइल पर कृष्ण को मैसेज कर देती।


होली आ ही गई पर कृष्ण वृन्दावन नहीं पहुंच पा रहे थे। महारास का समय हो रहा था। हर गोपी चाह रही थी कि कृष्ण उसके साथ हो।


एकाएक सारी गोपियों के मोबाइल पर मैसेज और फोटो आया उसमें कृष्ण उसके साथ नाच रहे थे। उसे देख कर हर गोपी के आनन्दाश्रु बह उठे, कृष्ण हमेशा उनके साथ हैं और हर गोपी ने वह तस्वीर दूसरे से छिपा ली।

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