Friday, 18 December 2015

हमें गिड़गिड़ाना आता है

आम जनता का काम केवल और केवल गिड़गिड़ाना है । हे देवों के देव ,हमारे परम पिता नेता ,आप तो पांच साल मैं एक बार गिड़गिड़ाते हैं बाकी समय तो जनता ही गिड़गिड़ाती है। हम तो रोज गिड़गिड़ाते हैं।

न लकड़ी है , न कोयला , न कंडे ,न बिजली । अधिकतर जमीन है ,मालिक नेता । किराये के मकान में रहने वालों की नेता बनते ही बड़े बड़े माॅल कारखाने इंडस्ट्री खड़ी हो जाती है ।

और हर रिश्तेदार मालामाल । हमारे पास तो आपके धरों के आसपास फुटपाथ पर खड़ी की छोटी सी छबरिया है ,किसी न किसी पेड़ के नीचे या बस्ती में एक कमरे में घुसी दस जान । पेड़ को तो आपके कारिंदे काट ले जाते हैं , आपके अफसर उसकी टहनियां काट कर पेड़ के नाम पर आपकी किसी घोषित बंजर जमीन पर गढ़वा देते हैं जो तीसरे दिन सूख जाती हैं पर आपका वृक्षारोपण समारोह हो जाता है।

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