Monday, 30 November 2015

ये पति कैसे कैसे ?

न जाने कितने प्रकार के जीव हैं। उनमें एक पति नामक जीव है जो हर समय अपनी पत्नी को कोसता रहता है कि हाय भरी जवानी में अपने आपको बरबाद कर लिया ,लेकिन एक मिनट भी बरबादी के कारण के बिना चलता नहीं है। अंग्रेजी में जहां पति इकठ्ठे हों पता है उस दल को क्या कहते हैं? अनहैप्पीनैस। मतलब यह ग्लोबल समस्या है कि तेरी मेरी बने ना तेरे बिना सरे ना। हमारा देश रंगों से भरपूर है। हर रंग के आदमी व महिलाएँ मिल जायेंगे एक दम काले एकदम गोरे या बीच के भी।


हर मौसम है। विविध संस्कृति हैं। विभिन्न भाषा एवम् बोलियां हैं। उसी प्रकार पतियों की भी भिन्न भिन्न किस्में हैं ,भिन्न भिन्न जमाने हैं, परन्तु विचार सब एक से हैं। यह हो सकता है कि परिस्थितियां फर्क हो या शौक कुछ ऐसे भी हैं। एक शव यात्रा निकल रही थी उसे देखकर गोल्फ खेलते व्यक्ति ने सिर झुकाया। उसका साथी बोला ,‘लगता है मृतक के प्रति बहुत श्रद्धा है, तुम्हारे मन में।’ गेंद पर नजर टिकाये व्यक्ति बोला, ‘हां क्या करूं ? आखिर चालीस साल तक साथ रहे थे।’


 कुछ पति अपनी पत्नी की याद में  फूट फूट कर रोते हैं । एक पति माॅं ,पिता ,भाई ,बहन की मृत्यु पर बिलकुल नहीं रोया पर पत्नी मरी फूट फूट कर रोया।कारण था भाई मरा एक बोला मत रोओ मैं तुम्हारे भाई जैसा हॅूं । बहन मेरी पड़ोसन बोली,‘मत रोओ मैं तुम्हारी बहन जैसी हॅू  माॅं मेरी एक महिला बोली ‘मत रोओ मैं  माॅं जैसी हॅूं । पर पत्नी मेरी किसी ने नहीं कहा कि मैं तुम्हारी पत्नी जैसी हॅूू । ये पति सबसे पहला काम अपने आप को गाली देने का करते हैं, साले, उल्लू के पठ्ठे थे जो शादी की या बेटे को गाली देंगे,‘गधे की औलाद,’ ‘उल्लू की दुम’ यानि अपने आगे बेचारे का लेबल लगाये रहते हैं बेचारा शादी शुदा है।

दो यार लड़ाई के मैदान में मिले, बहुत पुराने दोस्त थे एक पूरब का तो दूसरा पश्चिम का। दोनों गले लगे फिर एक बोला, ‘भाई तू क्यों सिपाही बना है ?’वह बेचारगी से बोला, ‘ क्या करूं शादी वादी हुई नहीं, न जोरू न जाता, अल्लाह मियां से नाता, सोचा चलो जौहर दिखाने के लिये बीबी नही है तो यहीं दिखा दें ,पर भाई तू अपनी सुना ,तू क्यों आया ?’  
‘मेरी शादी हो गई इसलिये आया भाई।’
मतलब शादी वो लड्डू है जो खाये तो पछताये ना खाये तो पछताये, यानि बीबी तो लड्डू है ही अब जो कुछ भी गलती है तो वो इन बेचारे पतियों की है। अब यह भाई बेचारा कहकर किसकी सहानुभूति बटोरना चाहते हैं ? या तो जो इनके जैसे बेचारे हैं वो या वो जो इन्हें देख कर बेचारा बनने को बेचैन हैं, और जब ये बेचारे वेदी पर बैठने की तैयारी करते हैं तो उनसे कुछ भी करालो। उस समय यदि कोई पूंछ लगाकर सड़क पर भागने के लिये कहे तो भी तैयार हो जायेंगे। पर कहेंगे अपने को बेचारा बलि का बकरा। इन बेचारों की चालाकी देखिये कि अपनी पत्नी के लिये परिचय कराते समय कहेंगे इन से मिलिये ये हैं मेरी धर्मपत्नी। पत्नी तो कभी नहीं कहेगी कि इनसे मिलो ये हैं मेरे धर्मपति। असल में दिल का चोर जुबान पर आ ही जाता है। अब जैसे होता है धर्म भाई, इसका मतलब भाई है पर वास्तव में भाई नहीं है। धर्म बहन इसका मतलब बहन है पर वास्तव में बहन नहीं है। तो क्या धर्म पत्नी कहने में भी यही अर्थ छिपा है कि वे पत्नी है वास्तव में पत्नी नहीं है।


कुछ पति अपने आपको हीरो से कम नहीं समझते । रास्ते चलते या पार्टी में अपनी टाई की नाॅट ठीक करते चलते हैं। उन्हें लगता है दुनिया की सारी हसीन लड़कियां उन पर मरती हैं। इसी प्रयास में गाना गाना भी शुरू कर देते हैं, पर ऐसा लगता है कि बांस एक साथ फटाफट कर रहे हों। सबसे बड़ी मुश्किल यह है समझते यह हैं कि वो भी किसी हीरो की तरह गाना बनाते जायेंगे ,चुन चुन कर भाव गायेंगे। पर होता क्या है शुरू करने में ही गड़बड़ा जायेंगे। तुक तो बहुत दूर ,बंदी भी नहीं कर पाते।

एक पति महोदय ने गला खखाकर कर इधर-उधर देखा ,सामने अंगूर दिखाई दिये गाना शुरू किया ‘तू है मीठी- मीठी गोल गोल अंगूर’,यहां तक तो ठीक था उनकी बीबी थी कुछ-कुछ गदबदी। पर आगे की लाइन के साथ ही नौबत तलाक पर आ पहुंची, बड़ी मुश्किल से मनाया गया और उन्होंने आगे गाने से तौबा कर ली। आगे पंक्ति थी, ‘सूरत तेरी ऐसी लगती जैसे हो लंगूर’ अब वो बेचारे भी क्या करे उस समय जल्दी में काफिया ही उन्हें अंगूर के साथ लंगूर का मिला।


एक पति महोदय अपने आपको ऋतिक रोशन से कम नहीं समझते थे। सुंदर सी साली एक बारात में साथ साथ चल रही थी । उस पर और लड़कों पर रौब गालिब करने के लिये जैसे ही कमर के दो चार झटके लगाये कि बारात में भी फिर आगे कार में गये ओर तीन दिन तक कमर की सिकाई करते रहे।

कुछ पति उमर मात कर दें। जवान बनने के सारे नुस्खे घंटे डालते हैं । डाक्टर दर बढ़ जायेगी पर अपने आपको छैला ही समझते रहते हैं। शीशे के आगे जुल्फें संभालते ही रहेंगे ,यहां तक कि एक दिन गंजे हो जाते हैं । चाहे एक बाल रह जाये पर उसे भी कंघे से काढ़ते हुये खिड़की से बाहर झाकेंगे जरूर कि कोई हसीना उन्हें देख रही है या नहीं। खुदा न करे यदि गलती से किसी हसीना की निगाह उनकी उल्टी सीधी हरकतों पर पड़ जाये तो तुरन्त पत्नी से कहेंगे, मुझ पर आज भी लड़कियां मरती हैं।  चाहे वो देखने वाली उनसे दोगुनी उम्र की हो। केशव केसन असकरी का तो मामला अब रहा नहीं । ऐसे ऐसे गाने गायेंगे,‘अभी तो मैं जवान हूँ अभी तो मैं जवान हूँ।’ अभी तो मैं जवान हूँ गाते पति से एक पत्नी बोली ‘
मुआ, टी.वी. खोलो तो अब तो माटी मिटे लिपटते चिपटते ही दिखें हैं, केश काला तेल के विज्ञापन, असली कालेपन को भी डाॅक्टर के चक्कर लगाते रहेगें, हमारे जमाने में तो एक चुंबन के लिये कितने कितने लुका छिपी के खेल खेलते थे

अब तो सरे आम मागेंगे ‘जुम्मा चुम्मा दे दे मुझे । खूब याद है एक बार ही दिया था तुमने गर्म गर्म चुंबन ।’ पति महोदय, बोले, ‘अरे वाह! अब तो कोई बात ही नहीं अकेले हैं अभी देता हूँ गर्म गर्म चुंबन ,पर जरा ठहरो दांत लगा आता हूँ ‘ । हुआ न रोमांस का भुरता।
ये पति कैसे कैसे जारी है

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