Sunday, 10 January 2016

होरला: भाग 8

प्रातः एक बजे तक पढ़ने के बाद मैं अपने दिमाग और विचारों को ठंडा करने के लिये खुली खिड़की पर खड़ा हुआ। बहुत खुशनुमा गर्म गर्म वातावरण पहले ऐसी रात कभी नहीं बिताई।
       चांद नहीं था लेकिन गहरे आकाश में तारे अपना प्रकाश फेंक रहे थे कौन इस संसार को चला रहा है,? दूर कौन है जो हमसे अधिक जानते हैं हमसे क्या क्या अधिक जानते हैं। वे क्या देखते हैं जो हम नहीं देख सकते। क्या किसी दिन हम पर आक्रमण कर देंगें।



     
  हम कमजोर है रक्षाहीन नादान छोटे, हम जो मिट्टी के कण की तरह पानी के बुलबुले में घूमते रहते हैं।

       मैं सो गया, ठंडी रात में करीब तीन प्रहर बीत गय,मैंने अपनी आंख खोली एक अजीब सी उलझन भरी सनसनाहट। पहले कुछ नहीं दिखा फिर लगा मेज पर रखी किताब का पन्ना पलटा कमरे हवा जरा भी नहीं आई थी मैं देखता रह गया। चार मिनट बाद मैंने देखा हाँ देखा मैं देखता रह गया दूसरा पन्ना पलटा जैसे किसी ने पलटा हो  


मेरी कुर्सी खाली थी लेकिन मैं जानता था उस पर वह बैठा पढ़ रहा है। क्रोध से जानवरों की तरह मैं उसे पकड़ने झपटा उसे मारने के लिये लेकिन कुर्सी पलट गई ,जैसे कोई उठकर भागा। कुर्सी मेज हिल गई लैंप गिर गया और बंद हो गया  फिर खिड़की बंद हो गई जैसे कोई जाते जाते बंद कर गया हो।


       तो वह भाग या वह मुझसे डर गया वह मुझसे डर गया।       कल या और कभी मैं उसे दबोच लूँगा और कुचल दूँगा। कभी कभी कुत्ते अपने मालिक को काट कर फाड़ डालते हैं।

       18 अगस्त, मैं सारा दिन सोचता रहा ,मैं उसकी बात मानूँगा। उसकी इच्छा पूरी करूँगा। मैं नम्रता से पेश आऊँगा मैं कमजोर हूँ वह शक्तिशाली है।

       19 अगस्त, मैं जानता हूँ मैंने रेव्यू डू मोन्डे साइन्टिफिक में पढ़ा है कि एक समाचार आया था पागलपन की महामारी का। यूरोप में मध्यकाल में सैन-पोलो मैं इसी प्रकार की बीमारी फैली थी डरे हुए निवासी अपना घर छोड़ कर भागे थे उन्हें लग रहा था प्रेत उनके पशुओं को कब्जे में कर रहे हैं। जब वे सो रहे होते है उनका दूध पानी पी जाते है।



       प्रोफेसर डान पैड्रो हैनरिख अपने अनेक सहायकों के साथ सैन-पोलो निरीक्षण करने गये थे। ओह! मुझे याद आया सीन पर जाते हुए उसने मेरी खिड़की की ओर देखा पिछली 8 मई को ,वह बहुत सुंदर सफेद और चमकती आभा वाली थी। उसने मुझे देखा उसने मेरे सफेद घर को देखा और वह जहाज से धरती पर उछल कर गई थी। 


ओह ! दया भगवान!
       अब समझा ,मनुष्य का समय गया और वह गया वह जो प्रागैतिहासिक मानव से डरता था जिन्हें तांत्रिको ने अशांत कर दिया जिन्हें तांत्रिको ने जगा दिया है सारे भूत-प्रेत आत्माऐं जिन्न परिया अदि जाग गई हैं पुरातन भय और मानव अब उन्हें भलीभांति देख रहा है।


       सम्मोहन प्रक्रिया ने उसे कृपा प्रदान की। दस साल पहले शरीर वैज्ञानियों ने प्रकृति की शक्ति को पहचान लिया वे अपने नये हथियार से खेलने लगे और मनुष्य की आत्मा पर कब्जा कर लिया, जो गुलाम बन गई। वे उसे सम्मोहन चुम्बकीय शक्ति कहते हैं मैंने उन्हें अपनी शक्ति से मनुष्य से बच्चों की तरह खेलते देखा है। 


आह हम पर विपत्ति हैं वह गया है। वह अपने को क्या कहता है ,यह कल्पना करता हूँ कि वह मुझे अपना नाम चिल्ला कर बता रहा है , मैं सुन नहीं रहा हूँ हाँ वह चिल्ला रहा है-मैं सुन रहा हूँ वह दोहरा रहा है होरेला.. मैंने सुना होरला... वह गया है होरला।


       ओह गिद्ध ने कबूतर खा लिया। भेडि़ये ने मेमने को पकड़ लिया शेर ने तीखे सींग वाले भैंसे को खा लिया। मनुष्य ने शेर को एक तीर से मार दिया, एक तलवार से बंदूक से लेकिन होरला मनुष्य को वही बना देगा जो हमने बैल और घोड़े को बना दिया है पालित पशु ,अपना गुलाम, ,अपना भोजन केवल अपनी इच्छा शक्ति से। दया हम पर।


       लेकिन कभी कभी पशु अपने मालिक को मार देता है जिसने उसे बंधक बनाया। मैं भी चाहता हूँ मैं ऐसा कर पाता मुझे उसे जानना होगा, छूना होगा, देखना होगा, वैज्ञानिक कहते है कि पशु की आंखे हमसे भिन्न है वे वस्तु को अलग-अलग नहीं पहचान पाती ,जैसे हम पहचान लेते हैं मेरी आंखे उसे नहीं देख पा रही हैं, जो मुझ पर हावी हो रहा है।




       क्यों ? ओह! अब मुझे याद आया मान्ट-सैन्ट-माइकल में पादरी ने कहा था ,‘क्या हम एक सौवा हजारवा कण भी जो आस्तित्व में है उसको देख पाते हैं। हवा को देखों जो प्रकृति में सबसे शक्तिशाली है वह मनुष्य को धूल चटा देती है। विशाल इमारतों को गिरा देती है, पेड़ों को उखाड़ देती है। समुद्र की लहरों को पर्वताकार बना देती है  


पहाड़ों को नष्ट कर देती है बड़े जहाजों को तोड़ देती है। हवा जो मार देती है, जो सीटी बजाती है जो आह भरती है जो गरजती है- क्या कभी उसे देखा है ? क्या उसे देख सकते हो ? वह हैं।

होरला: भाग 9

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