150मन मूर्ख पापी कौन तुझे समझावे
निन्दा कर के दिवस गंवाये रैन पड़ी सो जाये
दुर्जन की संगत में बैठे संत संगत ना भाये
कबहूँ की माया अधिक देख के धनी पुरूष बन जाये
कबहूँ दीन दुखी बन मूर्ख जग को शीश झुकावे
आतम आनन्द रूप न जाने देह से नेह लगावे
एक दिन तेरी सुन्दर काया माटी में मिल जाये
महल अटारी भवन झरोखे आलीशान बनावे
या सुन्दर देही पर पगले क्यों इतना इतरावे
या देही को भस्म करन हित जंगंल में ले जावे
गर्भ माह जो कौल कियो नर बाको मत बिसरावे
बहनो सुमरन कर लो हरि का भव सागर तर जावो
151 भगवान मेरी नइया उस पार लगा देना
अब तकतो निभाया था आगे भी निभा देना
दलबल के साथ माया घेरे जो मुझको आकर
तुम देख लेना मोहन झट आके बचा लेना
तुम ईश मैं उपासक तुम देव में पुजारी
जो बात सत्य होवे सच कर के दिखा देना
सम्भव है झंझटो में मैं तुमको भूल जाऊॅं
पर नाथ कहीं तुम भी मुझको न भुला देना
हम मोर वन के मोहन नाचा करेगें वन में
तुम श्याम घटा बन कर इन वन में उठा करना
वन करके हम पपीहा पी पी रटा करेगें
तुम स्वाति बूँद वन कर प्याले पे दया करना
हम राधे श्याम जग में तुम्ही को निहारेगें
तुम दिव्य ज्योति बनकर आँखो में रमा करना
152 कर ले प्रभू से प्यार फिर पछतायेगा
झूठा है संसार धोखा खायेगा
माया के जितने धन्धे झूठे है उनके बन्दे
तन उजले मन गन्दे आँखों के बिलकुल अन्धे
नजर क्या आयेगा झूठा है संसार
मतलब के रिश्तेदारी भा्रत पिता सुत नारी
क्यो मति गई तेरी मारी जब चलेगी तेरी सवारी
साथ कौन जायेगा झूठा है संसार ...............
मन प्रभू चरणों में लगाले तू जीवन सुफल बनाले
ले मान गुरू का कहना दिन चार यहाँ का रहना
कौन समझायेगा झूठा है संसार ...............
154तेरा रामजी करेगें बेड़ा पार उदासी मन काहे को करे
नैया तेरी राम हवाले लहर लहर प्रभु आप सभालें
आप ही करेगें वेड़ा पार उदासी .............
काबू में मझधार है इसके हाथों में पतवार है उनके
जरा सोच के देखो एक बार उदासी ............
सहज किनारा मिल जायेगा तुझको सहारा मिल जायेगा
जरा दिल से तो करिये पुकार उदासी.................
तू निर्दोष है तुझे क्या डर है पग पर साथी हनुमत है
तेरी वोही करेगें बेड़ा पार उदासी
155फँस के माया के चक्कर में उलझ गयो रे
तू भूल गयो हरि नाम भूल गयो रे
जन्म मानव का लिया हरि ने हाथ फेरा है
भूल माया में गया कहता मेरा मेरा है
साथ में लाया क्या और क्या जग में तेरा है
अमर रहना नही मरघट में होय डेरा है
झूठी बातन के झूले में झूल रहो रे
तू भूल प्रेम से कर ले भजन प्रेम की भिक्षा वाले
गुरू से कर ले भजन प्रेम की भिक्षा पाले
गुरू से प्रेम करे ज्ञान की इच्छा वाले
खुश रहते हैं सदा सतसंग की शिक्षा वाले
मुक्ति पद पाते हैं गीता की परीक्षा वाले
कुछ भी न कियो न जीवन में फिजूल गयो रे
राम के नाम में अपनी लौ लगायेगा
सहारे सत्य के वो बैकुन्ठ धाम पायेगा
तू ही करता तेरा कर्तव्य काम आयेगा
बने होनी वही जैसा कि तू बनायेगा
156माता अनसुइया ने डाल दिया पालना
तीनो देव झूल रहे वन करके लालना
मारे ख्ुाशी के फूली न समाती
गोदी में फिर फिर झूला झूलाती
कौन करे आज मेरे भाग्य की सराहना झूल रहे
मेरे घर आये मुझे देने बड़ाई
भूल गये यहाँ आप सारी चतुराई
भारत की देवियो से आज पड़ा सामना झूल रहे
स्वर्ग लोक से मृत्यु लोक पधारे
मुनियों की कुटियों में करने गुजारे
तन मन से नाच रहे पूछे कोई हाल ना झूल रहे
ताहि समय नारद मुनि आये
देख दशा मन मैं मुस्काये
सत्य मई आज तेरे मन की भावना झूल रहे .................
157राम का नाम लेकर के मर जायेगें
ले अमर नाम दुनिया में कर जायेगें
यह न पूछो कि मर कर किधर जायेगें
वो जिधर भेज देगें उधर जायेगें
राम का नाम ..........................
टूट जाय न माला कहीं प्रेम की
कीमती ये रतन सब बिखर जायेगें
राम का नाम ..............
तुम ये मानों ना मानों खुशी आपकी
हम मुसाफिर है कल अपने घर जायेगें
राम का नाम ..................................
158राम भजन में चोकस रहना कलियुग नाच नचायेगा
सधवाओ को सूखे टुकड़े विधवा चुपड़ी खायेगी
तस्वीरें नर्तकियोें की घर घर लटकाई जायेगी
सच्ची बात कहेगा जो वह वेबकूफ कहलायेगा
पिता जायेेगा अस्सी तक चल देगा पुत्र जवानी में
ब्राह्नाण धर्म जीविका करके डूबेगें जजमानी में
नारी पुरुष की भाँति चलेगी पुरुष नारि बन जायेगा
बेटा यही धर्म समझेगा रकम बाप की खायेगा
भाई चारा कहाँ शत्रुता भाई ही दिखलायेगा
शादी भी व्यापार बनेगी यही अनोखा ढंग होगा
ब्याह नहीं लड़का होगा घर का वालि का होगा
स्वयं ज्योतिषी दलाल बन यह सम्बन्ध मिलायेगा
मन्दिर तीर्थ बनेगें अड्डे दुराचार व्यामचार के
सन्यासी भी रहा करेेगे घर में साहूकरों के
शूद्र व्यास गद्दी पर डटकर कथा पुराण सुनायेगें
जब यह हाल देश का होगा समय बिलक्षण आयेगा
सत्य पथ पर आडिगा रहेगा उसे न काल सतायेगा
राम भजन में चोकस रहना कलियुग नाच नचायेगा
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