141मथुरा न सही कुजंन ही सही रहो मुरली बजाते कहीं न कहीं
कुंजन न सही मधुवन ही सही रहो रास रचाते कहीं न कहीं
चाहे लाख छिपो प्रभु भक्तन से दीदार न दो तरसाओ न तुम
प्रेमी है जो तेरे दर्शन के चलो पार लगाते कहीं न कहीं
उस वक्त उठाया था गिरवर इस वक्त उठा भी गिरता धरम
मन्दिर न सही इस दिल में सही रहो झलक दिखाते कहीं न कहीं
अब वक्त मुसीबत का है प्रभु दम आखिर आया लवों पर है
नहीं तेरे सिवा कोई और मेरा रहो दुख से बचाते कहीं न कहीं
भक्तों पर विपदा भारी है हर तरफ से आहें जारी है
अब नाथ तेरी इन्तजारी है रहो चाहे निभाते कहीं न कहीं
142 मित्र सुदामा आये श्याम तेरे मिलने को
श्ीगा पगा तन में नहीं जामा आपन नाम बताये सुदामा
नैनन नीर बहाये श्याम तेरे मिलने को
नंगे पैरन फटी विवाई चितवत महल चकित रघुराई
वेश दरिद्र बनाये श्याम तेरे मिलने को
प्रभु कौ मित्र बतावत आपन सुनत कृष्णा उठे नंगे पैरन
चल द्वारे तक आये श्याम तेरे मिलने को
ह्नदय लगाय श्याम अति रोये
अंखियन के जल से पग धोये
हँसकर वचन सुनाये श्याम तेरे मिलने को
कहो मित्र कुछ कही है भाभी ने
कहु सोगात दई भाभी ने
पोटली काँख दबाये श्याम तेरे
तन्दुल चाबि लोक एक दीन्हों
याचक विप्र अजाचक कीन्हों
रूकमनि हाथ दबाये श्याम तेरे मिलने को
143 जसोदा लाल को अपने दिखा दोगी तो क्या होगा
अगर तुम दर्श मोहन का करा दोगी तो क्या होगा
खड़ी ब्रज गोपियाँ सारी तुम्हारे द्वार पर आई
दिखाने को अगर मोहन मंगा दोगी तो क्या होगा
जशोदा लाल को .........................
हमें भी चूम लेने दो वो सुन्दर चन्द्र सा मुखड़ा
कहाँ ब्रजराज प्यारा है बता देागी तो क्या होगा
जशोदा लाल को ..........................
दिखाऊॅं किस तरह आनन्द अपना श्याम प्यारा मैं
नजर तुम गोपियाँ उसको लगा दोगी तो क्या होगा
जशोदा लाल को अपने दिखा दोगीे तो क्या होगा
145 नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा
श्याम सुन्दर मुख चन्दा भजो रे मन गोविन्दा
तू ही नटवर तू ही नागर तू ही बाल मुकुन्दा
भजो रे ............................................
सब देवन में कृष्ण बड़े है ज्यू तारा विच चन्दा
भजो रे .......................
सब सखियन में राधा बड़ी है ज्यो नदियन विच गंगा
भजो रे ...........................
ध्रुव तारे प्रहलाद भी तारे नरसिंह रूप धरन्ता
भजो रे .....................................
काली दह में नाग ज्योे नाथो फण फण नृत्य करन्ता
भजो रे
वृन्दावन में रास रचायो नाचत बाल मुकुन्दा
भजो रे ...........................
मीरा के प्रभु गिरधर नागर काटो जम के फन्दा
भजो रे मन गोविन्दा
146तेरे नैना करे कमाल कटीले काजल वाली
तू रोज कुआ पर आवे
तोहे देख जिया ललचावे
सुन तेरी पायल की झनकार कटीले
तेरो लंहगा धेर घमीरो
जामें पड़ा़े है रेशमी नारो
तेरी चलगत अजब बहार कटीले
147
बीत गये दिन भजन बिना रे
बाल अवस्था खेल गंवायो जब जवान तन नार तना रे
जाके कारण भूल गवायो अबहूँ न गई मन की तृष्णा रे
कहत कबीर सुनो भाई साधो पार उतर गये संत जना रे
148ओ प्यारे परेदेशी जिस दिन यहाँ से तू उड़ जायेगा
तेरा प्यारा पिंजड़ा पीछे यहीं पड़ा रह जायेगा
जिस पिंजड़े को सदा से तूने पाला था बड़े प्यार से
खूब खिलाया खूब पिलाया रखा उसे सवाँर के
तेरे होते होते नीचे जिसे सुलाया जायेगा
ओ प्यारे ..........................
रोवेगें थोड़े दिन तुझको भूलेगें सब बाद में
ज्यादा से ज्यादा श्राद्ध यें करवा देंगे याद में
हलुआ पूरी खाकर तेरा स्वाद बनाया जायेगा
ओ प्यारे .................................
तुझे पता है जो कुछ होना तो फिर क्यों नहीं सोचता
मूर्ख वो दिन भी आयेगा जब पड़ा रहेगा लोथड़ा
जन्म अमोलक हीरा वृथा जन्म गवाँया
ओ परेदेशी ................................
149तुम मेरे प्रभु मैं तुम्हारा कैसे टूटेगा नाता हमारा
तू चन्दा हरि में चकोरा धन घोर घटा में हूँ मोरा
सदा देखू मैं राह तुम्हारा कैसे टूटेगा नाता हमारा
मैं हूँ दीपक प्रभु तुम हो बाती
मेरे जीवन के तुम हो साथी
बिन तेरे न हो उजियारा कैसे टूटेगा नाता हमारा
मैं हूँ मछली हरि तुम हो पानी
मैं हूँ मगता मगर तुम हो दानी
बिन तेरे न कोई हमारा कैसे टूटेगा नात हमारा
मै नैना हरि तुम हो ज्योति
मैं हूँ सीपी प्रभु तुम हो मोती
मेरे जीवन को तेरा सहारा कैसे
मैं हूँ चातक हरि तुम हो स्वाति
मैं पुकारा करूॅं दिन रात्रि
मैं हूँ किश्ती तुम मेरा किनारा कैसे .....................
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