Saturday, 4 January 2025

Bhajan 13

 मित्र सुदामा आये श्याम तेरे मिलने को

शीश पगा तन में नहीं जामा आपन नाम बताये सुदामा

नैनन नीर बहाये श्याम तेरे मिलने को 

नंगे पैरन फटी विवाई चितवत महल चकित रघुराई 

वेश दरिद्र बनाये श्याम तेरे मिलने को 

प्रभु कौ मित्र बतावत आपन सुनत कृष्णा उठे नंगे पैरन

चल द्वारे तक आये श्याम तेरे मिलने को 

ह्नदय लगाय श्याम अति रोये 

                        अंखियन के जल से पग धोये

हँसकर वचन सुनाये श्याम तेरे मिलने को

कहो मित्र कुछ कही है भाभी ने 

                         कहु सोगात दई भाभी ने 

पोटली काँख दबाये श्याम तेरे 

तन्दुल चाबि लोक एक दीन्हों 

                        याचक विप्र अजाचक कीन्हों 

रूकमनि हाथ दबाये श्याम तेरे मिलने को 



48☺

जय जय श्री ब्रजराज बिहारी राधे श्याम श्यामा श्याम 

सुर नर मुनि के हो हितकारी राधे श्याम श्यामा श्याम 

ग्वाल वंश का मान बढ़ायो नन्द बाबा की धेनु चरायो

होवे खुशी यशोदा भारी राधे श्याम श्यामा श्याम

गोपिन के कभी वस्त्र चुरावे लूटि लूटि दधि माखन खावे 

लीला करे नित न्यारी राधे श्याम श्यामा श्याम

मुरली की धुन मधुर बजावे ब्रज नारिन संग रास रचावे

नाचे दे दे तारी राधे श्याम श्यामा श्याम

करूणा सुन गज की यदु नन्दन लिया उबार ग्राह के बन्धन 

कीन्ही नही अबेरी राधे श्याम श्यामा श्याम

रूचि रूचि प्रेम के तन्दुल खायो सुदामा के तुमको दुख न सायो

सुख सम्पत्ति दे सारी राधे श्याम श्यामा श्याम

दुपद सुता ने तुम्हें पुकारी दुष्ट दुःशासन खेंचत साड़ी

होन न दियो उधारी राधे श्याम श्यामा श्याम

कौरव के लखि जुल्म करारे बने पाण्डवों के रखवारे 

चक्र सुदर्शन धारी राधे श्याम श्यामा श्याम

कंस असुर आदिक संहारे सकल सुरन्ह के काज सवारे

श्याम की हो जय कारी राधे श्याम श्यामा श्याम

☺59

क्या कहूँ हाल अपने घर का सुख तो है लेकिन चैन नहीं

घर में बहुये हैं बच्चे हैं नौकर भी अच्छे हैं 

मौजों के भरे समुन्दर मे सुख तो है लेकिन चैन नही

ष्षट रसमय व्यंजन मिलते हैं बिजली के पंखे चलते हैं

है बर्फ के टुकड़े थर्मस में सुख तो है लेकिन चैन नही

रहता है खूब नशा धन का उस पर भी मान बड़प्पन का 

इस माया वाले दफ्तर में सुख तो है लेकिन चैन नही

जो हमसे मिलने आते हैं यहाँ और बड़ाई गाते हैं

मित्रों के बढ़िया आदर में सुख तो है लेकिन चैन नही

जब मिले नही आराम यहाँ तो जायें हे भगवान कहाँ

है हाल यही सारे जग का सुख तो है लेकिन चैन नही


☺60

कान्हा गागरिया मत फोड़े ब्रज की रैन अधेरी में

जो कान्हा तुम्हें भूख लगेगो माखन धरौ मटुकिया में

जो कान्हा तुम्हें प्यास लगेगी पानी धरौ सोरइियन में

जो कान्हा तुम्हें तलफ लगेगी बीज धरे पिटारिया में

जो कान्हा तुम्हें नींद लगेगी राधा खड़ी अटरिया में


☺61जसोदा लाल को अपने दिखा दोगी तो क्या होगा

अगर तुम दर्श मोहन का करा दोगी तो क्या होगा

खड़ी ब्रज गोपियाँ सारी तुम्हारे द्वार पर आई 

दिखाने को अगर मोहन मंगा दोगी तो क्या होगा 

जसाोदा लाल को .........................

हमें भी चूम लेने दो वो सुन्दर चन्द्र सा मुखड़ा

कहाँ ब्रजराज प्यारा है बता देागी तो क्या होगा

जसोदा लाल को ..........................

दिखाऊॅं किस तरह आनन्द अपना श्याम प्यारा में 

नजर तुम गोपियाँ उसको लगा दोगी तो क्या होगा 

जसोदा लाल को अपने दिखा तो तो क्या होगा

62दिल तो मेरा हर लिया गोविन्द माधव श्याम ने 

कृष्णा कृष्णा मैं पुकारूँ तेरे घर के सामने 

बन्शी वाले अपनी बन्शी तू सुना दे आन कर 

तेरी चर्चा हम करेगें हर वशर के सामने 

दिल तो मेरा हर लिया ................................

खम्ब से प्रहलाद को तूने बचाया था प्रभु

द्रोपदी की लाज राखी कौरव दल के सामने

मेरी ख्वाहिश है फकत मोहन तेरे दीदार को 

इसलिये धूनी रमाई तेरे दर के सामने 

श्याम जी दर्शन दिखा दो इस दास को आन कर 

हम तुम्हारे सामने हैं तुम हमारे सामने 


☺63वन के लिलहार राधा को छलने चला भेष उनका बनाना गजब हो गया 

जुल्म ढाती है दो चोटियाँ श्याम की माँग सिन्दुर भरना गजब हो गया 

देख आकाश का दिल दहलने लगा सूरज बदली में मुख को छिपाने लगा 

लीला गोदन को जिस दम चले श्याम जी उनका महलांे में आना गजब हो गया  

गोदनी की नजर से नजर जब मिली राधे जान गई छल किया आन कर 

बहुत शर्मिदा थी उस घड़ी राधिका श्याम का मुस्कराना गजब हो गया 

हाथ गालों पर जिस दम धरा श्याम ने छिटकाकर हाथ राधा कहने लगी 

सच बता रे छलिया तू कौन है तुमसे लीला गोदाना गजब हो गया 

मैं हूँ प्रेमी तेरा तू मुझे जानती मैं हूँ छलिया श्याम मुझको पहचान ले

राधा तेरे लिये में जनाना बना तुमसे नजरें मिलाना गजब हो गया 


☺64वृन्दावन वंशी बाज रही नट नागर कुंज बिहारी की

वंशी की धुन सुन राजा इन्द्र जागे जोगी और भोगी वो भी जगे

वन तपसी भी सब मोह गये तो क्या गति होय अनारिन की 

देखो सिर का घड़ा सिर पर ही रहा और हाथ का करूआ हाथ में रहा 

जो ठाढ़ी रही सो ठाड़ी रही जो झुकी रही तो झुकी रही

अब क्या गति होय पनिहारिन की 

जमुना बह न सकी गऊये चर न सकी 

पक्षी उड़ न सके गिरवर चढ न सके 

वन के पक्षी सब मोह गये नट नागर कुंज बिहारी की 

देखो चले पुरवाइया सन सन सन ओर बजे करताल छम छम छम

पग घुंघरू बोले छम छम छम मोहनी जरी है श्याम मुरारी ने 

वृन्दावन वंशी बाज रही नट नागर श्याम मुरारी की 


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