मित्र सुदामा आये श्याम तेरे मिलने को
शीश पगा तन में नहीं जामा आपन नाम बताये सुदामा
नैनन नीर बहाये श्याम तेरे मिलने को
नंगे पैरन फटी विवाई चितवत महल चकित रघुराई
वेश दरिद्र बनाये श्याम तेरे मिलने को
प्रभु कौ मित्र बतावत आपन सुनत कृष्णा उठे नंगे पैरन
चल द्वारे तक आये श्याम तेरे मिलने को
ह्नदय लगाय श्याम अति रोये
अंखियन के जल से पग धोये
हँसकर वचन सुनाये श्याम तेरे मिलने को
कहो मित्र कुछ कही है भाभी ने
कहु सोगात दई भाभी ने
पोटली काँख दबाये श्याम तेरे
तन्दुल चाबि लोक एक दीन्हों
याचक विप्र अजाचक कीन्हों
रूकमनि हाथ दबाये श्याम तेरे मिलने को
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जय जय श्री ब्रजराज बिहारी राधे श्याम श्यामा श्याम
सुर नर मुनि के हो हितकारी राधे श्याम श्यामा श्याम
ग्वाल वंश का मान बढ़ायो नन्द बाबा की धेनु चरायो
होवे खुशी यशोदा भारी राधे श्याम श्यामा श्याम
गोपिन के कभी वस्त्र चुरावे लूटि लूटि दधि माखन खावे
लीला करे नित न्यारी राधे श्याम श्यामा श्याम
मुरली की धुन मधुर बजावे ब्रज नारिन संग रास रचावे
नाचे दे दे तारी राधे श्याम श्यामा श्याम
करूणा सुन गज की यदु नन्दन लिया उबार ग्राह के बन्धन
कीन्ही नही अबेरी राधे श्याम श्यामा श्याम
रूचि रूचि प्रेम के तन्दुल खायो सुदामा के तुमको दुख न सायो
सुख सम्पत्ति दे सारी राधे श्याम श्यामा श्याम
दुपद सुता ने तुम्हें पुकारी दुष्ट दुःशासन खेंचत साड़ी
होन न दियो उधारी राधे श्याम श्यामा श्याम
कौरव के लखि जुल्म करारे बने पाण्डवों के रखवारे
चक्र सुदर्शन धारी राधे श्याम श्यामा श्याम
कंस असुर आदिक संहारे सकल सुरन्ह के काज सवारे
श्याम की हो जय कारी राधे श्याम श्यामा श्याम
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क्या कहूँ हाल अपने घर का सुख तो है लेकिन चैन नहीं
घर में बहुये हैं बच्चे हैं नौकर भी अच्छे हैं
मौजों के भरे समुन्दर मे सुख तो है लेकिन चैन नही
ष्षट रसमय व्यंजन मिलते हैं बिजली के पंखे चलते हैं
है बर्फ के टुकड़े थर्मस में सुख तो है लेकिन चैन नही
रहता है खूब नशा धन का उस पर भी मान बड़प्पन का
इस माया वाले दफ्तर में सुख तो है लेकिन चैन नही
जो हमसे मिलने आते हैं यहाँ और बड़ाई गाते हैं
मित्रों के बढ़िया आदर में सुख तो है लेकिन चैन नही
जब मिले नही आराम यहाँ तो जायें हे भगवान कहाँ
है हाल यही सारे जग का सुख तो है लेकिन चैन नही
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कान्हा गागरिया मत फोड़े ब्रज की रैन अधेरी में
जो कान्हा तुम्हें भूख लगेगो माखन धरौ मटुकिया में
जो कान्हा तुम्हें प्यास लगेगी पानी धरौ सोरइियन में
जो कान्हा तुम्हें तलफ लगेगी बीज धरे पिटारिया में
जो कान्हा तुम्हें नींद लगेगी राधा खड़ी अटरिया में
☺61जसोदा लाल को अपने दिखा दोगी तो क्या होगा
अगर तुम दर्श मोहन का करा दोगी तो क्या होगा
खड़ी ब्रज गोपियाँ सारी तुम्हारे द्वार पर आई
दिखाने को अगर मोहन मंगा दोगी तो क्या होगा
जसाोदा लाल को .........................
हमें भी चूम लेने दो वो सुन्दर चन्द्र सा मुखड़ा
कहाँ ब्रजराज प्यारा है बता देागी तो क्या होगा
जसोदा लाल को ..........................
दिखाऊॅं किस तरह आनन्द अपना श्याम प्यारा में
नजर तुम गोपियाँ उसको लगा दोगी तो क्या होगा
जसोदा लाल को अपने दिखा तो तो क्या होगा
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62दिल तो मेरा हर लिया गोविन्द माधव श्याम ने
कृष्णा कृष्णा मैं पुकारूँ तेरे घर के सामने
बन्शी वाले अपनी बन्शी तू सुना दे आन कर
तेरी चर्चा हम करेगें हर वशर के सामने
दिल तो मेरा हर लिया ................................
खम्ब से प्रहलाद को तूने बचाया था प्रभु
द्रोपदी की लाज राखी कौरव दल के सामने
मेरी ख्वाहिश है फकत मोहन तेरे दीदार को
इसलिये धूनी रमाई तेरे दर के सामने
श्याम जी दर्शन दिखा दो इस दास को आन कर
हम तुम्हारे सामने हैं तुम हमारे सामने
☺63वन के लिलहार राधा को छलने चला भेष उनका बनाना गजब हो गया
जुल्म ढाती है दो चोटियाँ श्याम की माँग सिन्दुर भरना गजब हो गया
देख आकाश का दिल दहलने लगा सूरज बदली में मुख को छिपाने लगा
लीला गोदन को जिस दम चले श्याम जी उनका महलांे में आना गजब हो गया
गोदनी की नजर से नजर जब मिली राधे जान गई छल किया आन कर
बहुत शर्मिदा थी उस घड़ी राधिका श्याम का मुस्कराना गजब हो गया
हाथ गालों पर जिस दम धरा श्याम ने छिटकाकर हाथ राधा कहने लगी
सच बता रे छलिया तू कौन है तुमसे लीला गोदाना गजब हो गया
मैं हूँ प्रेमी तेरा तू मुझे जानती मैं हूँ छलिया श्याम मुझको पहचान ले
राधा तेरे लिये में जनाना बना तुमसे नजरें मिलाना गजब हो गया
☺64वृन्दावन वंशी बाज रही नट नागर कुंज बिहारी की
वंशी की धुन सुन राजा इन्द्र जागे जोगी और भोगी वो भी जगे
वन तपसी भी सब मोह गये तो क्या गति होय अनारिन की
देखो सिर का घड़ा सिर पर ही रहा और हाथ का करूआ हाथ में रहा
जो ठाढ़ी रही सो ठाड़ी रही जो झुकी रही तो झुकी रही
अब क्या गति होय पनिहारिन की
जमुना बह न सकी गऊये चर न सकी
पक्षी उड़ न सके गिरवर चढ न सके
वन के पक्षी सब मोह गये नट नागर कुंज बिहारी की
देखो चले पुरवाइया सन सन सन ओर बजे करताल छम छम छम
पग घुंघरू बोले छम छम छम मोहनी जरी है श्याम मुरारी ने
वृन्दावन वंशी बाज रही नट नागर श्याम मुरारी की
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