अब की देखूँगी छबीलो बाको छैल
तू कितना छलिया गोकुल को
मैं हूँ ग्वालिन बरसाने की लाला
तेरी धोंस में नहीं आने की लाला
अब तो जाने दे घर हूँ पैे गइया बैल
तू कितना छलिया गोकुल का
मात यशोदा से कह आई लाला
घर चल के तेरी होयगी पिटाई लाला
वो तो जाने है सब मइया तेरे भेद
तू कितना छलिया गोकुल को
नेक शरम तोहे नही आवैी है लाला
भयो अनोखो उतपाती है लाला
अब तो जाने दे मत रोके मेरी गैल
तू कितना छलिया
दीन्ही फौर तेरे कान्हा ने मेारी भरी मटुकिया रे
भरी मटुकिया रे मोरी भरी मटुकिया रे
सास भी लड़े ससुर भी धोंसे
साँच कहूँ मैं मइया तोसे
पीटे बालम रोज हाथ में ले ले लठिया रे
दीन्ही फौर तेरे कान्हा ने मेारी भरी मटुकिया रे
ऐसो है तेरो नन्द किशोरी
माखन खाय करे वरजोरी
पकड़ कलाई बात करे मोसे घटिया घटिया रे
दीन्ही फौर तेरे कान्हा ने मेारी भरी मटुकिया रे
जीभ निकाले नैन चलावे
डरपावे ठैंगो दिखलावे
और कहे ग्वालों से ग्वालिन है रही पटिया सी
दीन्ही फौर तेरे कान्हा ने मेारी भरी मटुकिया रे
मान मेरा कहना नहीं तो पछतायेगा
माटी का खिलौना माटी में मिल जायेगा
मात पिता भ्राता सुन नारी यह सब है दो दिन की यारी
पल भर में ये नाता सभी से छुट जायेगा
माटी का खिलौना माटी में मिल जायेगा
सुन्दर रूप देखकर भूला जोश जवानी के मद में भूला
एक दिन हंसा अकेला उड़ जायेगा
माटी का खिलौना माटी में मिल जायेगा
हीरा जवाहरात की माला तुम्हारी
मखमल का गद्दा रेशमी साड़ी
सूट बूट हैट कार यहीं पड़ा रह जायेगा
माटी का खिलौना माटी में मिल जायेगा
हीरा ऐसौ जनम गँवायो
सोच सोच कर फिर पछतायो
दीवान एैसा जनम तू फिर नहीं पायेगा
माटी का खिलौना माटी में मिल जायेगा
कैसो बैठो है आलस मे तो पे राम कहो न जाय
राम कहो ना जाय तो पे श्याम कहो ना जाय
भोर भयो मुख मल मल धोयो रे
बातन बातन सब दिन खोयो रे
साँझ भई पलका चढ़ सोयो रे
सोबत सोबत उभर बीत गई काल शीश मड़रायो
कैसो बैठो है आलस में तो पे राम कहो न जाय
लखचोरासी में भरमायो बड़े भाग नर देह तू पायो
अब की चूक न जाना भाई लुटने पाये नही कमाई
राधे श्याम समय फिर ऐसे बार बार नहीं आय
कैसो बैठो है आलस मे तो पे राम कहो न जाय
मुश्किल से हमने नर देहि पाई भजो राम सीता भजो मेरे भाई
एक मनष्ुा तन श्रवण ने पाया मात पिता को कॉवर में बिठाया
लगा वाण सीने से आवाज आई भजो राम सीता भजो मेरे
एक मनुष्य तन मोरध्वज ने पाया प्यारे पुत्र पर आरा चलाया
आरा चली गरदन से आवज आई भजो राम सीता भजो
एक मनुष्य तन शबरी ने पाया झूठे बेरो को प्रभु को खिलाया
प्रेम भरे बेरो से आवाज आई भजो राम सीता भजो राम
एक मनुष्य तन रावणा ने पाया राम के हाथांे मृत्यु को पाया
भजो राम सीता
एक मनुष्य तन अर्जुन ने पाया प्रभु के चरणों में शीश झुकाया
गीता ज्ञान मिला मेरे भाई
नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा
श्याम सुन्दर मुख चन्दा भजो रे मन गोविन्दा
तू ही नटवर तू ही नागर तू ही बाल मुकुन्दा
भजो रे ............................................
सब देवन में कृष्ण बड़े है ज्यू तारा विच चन्दा
भजो रे .......................
सब सखियन में राधा बड़ी है ज्यो नदियन विच गंगा
भजो रे ...........................
ध्रुव तारे प्रहलाद भी तारे नरसिंह रूप धरन्ता
भजो रे .....................................
काली दह में नाग ज्योे नाथो फण फण नृत्य करन्ता
भजो रे
वृन्दावन में रास रचायो नाचत बाल मुकुन्दा
भजो रे ...........................
मीरा के प्रभु गिरधर नागर काटो जम के फन्दा
भजो रे मन गोविन्दा
हे दया मय दीनबन्धो दीन को अपनाइये
डूबता बेड़ा मेरा मझधार पार लगाइये
नाथ तुम हो पतित पावन मैं पतित सबसे बड़ा
कीजिये पावन मुझे मैं शरण मैं हूँ आ पड़ा
हे दया मय दीनबन्धो दीन को अपनाइये
तुम गरीब निवाज हो ये जगत सारा कह रहा
मैं गरीब अनाथ दुख प्रवाह में नित बह रहा हूँ
इस गरीबी से छुड़ाकर कीजिये मुझको सनाथ
तुम सरीखे नाथ पाकर क्यों कहाऊॅं में अनाथ
हे दया मय दीनबन्धो दीन को अपनाइये
हो तृषित आकुल अमित प्रभु चाहता दो बूँद नीर
तुम तृषा हारी अनोखे उसे देते सुधा क्षीर
है दया मय दीनबन्धो दीन को अपनाइये
यह तुम्हारी अमित महिमा सत्य सारी है
किस लिये मैं रहा सोचत फिर अभी तक है वियोग
हे दया मय दीनबन्धो दीन को अपनाइये
अब नही ऐसा उचित प्रभु कृपा मुझ पर कीजिये
पाप का बन्धन छुड़ा नित शान्ति मुझको दीजिये
है दया मय दीनबन्धो दीन को अपनाइये
जाओ प्यारे बजंरगी जान बचाओ लछमन की
लछमन मेरा प्यारा है इन नैनो का तारा है
आस हमारे जीवन की
जाओ प्यारे बंजरगी जान बचाओ लछमन की
अयोध्या में हम जायेंगे माता से क्या बतलायेंगे
कुशल वो पूछे लछमन की जान बचाओ
हिमालय पर्वत जाना तुम और संजीवन लाना तुम
किरन न निकले सूरज की
जाओ प्यारे बजरंगी जान बचाओ लछमन की
राम नाम के साबुन से जो मन का मैल गवायेगा
निर्मल मन के शीशे में वह राम का दशर््न पायेगा
रोम रोम में राम है तेरे तुझसे कोई डर नहीं
देख सके जो आँख न उसकी उन आँखों में नूर वही
देखे गायन मन्दिर में जो ज्ञान की ज्योति जगायेगा
यह शरीर का अभिमान है जिसको प्रभु कृपा से पाया है
झूठे जग बन्धन में फँस कर क्यों उनको विसराया है
राम नाम का महामंत्र जो साथ तुम्हारे जायेगा
निष्फल है सब भक्ति तेरी जब दिल में विश्वास नहीं
मंजिल का पाना है क्या जब दीपक में प्रकाश नहीं
निश्चय है तो मन सागर से बेड़ा पार हो जायेगा
जग माया का अभिमान है झूठा यह तो आनी जानी है
राजा एक अनेक हुये कितनों की सुनी कहानी है
गया समय फिर पास न आये सिर धुन धुन पछतायेगा
निर्मल मन के शीशे में वह राम का दर्शन पायेगा
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