हम परेदशी फकीर कोई दिन याद करोगे
रमता राम फकीर कोई दिन याद करोगे
माय भी छोड़ी बाप भी छोड़ा छोड़ा है सकल शरीर
महल भी छोड़ा दुमहला भी छोड़ा है सकल जगीर
हाथ में कूड़ी बगल में सोटा घोटगें गोमती के तीर
☺ देवी जी
हँस पूछे श्री भगवान शारदा के बहिनी
एक बहिनी बम्बई में बसत है मुम्बा देवी उसका नाम
एक बहिनी कलकत्ता बसत है काली मइया उसका नाम
एक बहिनी कानपुर मेंबवसत है तपेश्वरी उनका नाम
एक बहिन बिन्ध्याचल में बसत है बिन्धेश्वरी उनका नाम
एक बहिन मेरठ में बसत है नोचन्दी उनका नाम
एक बहिन हरिद्वार में बसत है मन्सा देवी उनका नाम
एक बहिन नीम सार बसत है जिसका लालता नाम
☺ये लाली लाल लहँगा चमके दरबार में
चुनरी लहराई तेरी मतवाली चाल से
ये लालो लाल लहँगा चमके दरबार मंे
एक तो माता सिंह सवारी दूजे कोढ़ी आया
केाढ़ी को काया देना अपने दरबार में
ये लालो लाल लहँगा चमके दरबार में
एक तो माता सिंह सवारी दूजे अन्धा आया
अन्धे को आँखें देना अपने दरबार में
एक तो माता सिंह सवारी दूजे बाझँन आई
बाझँन को पुत्र देना अपने दरबार में
ये लालो लाल लहँगा चमके दरबार में
एक तो माता सिंह सवारी दूजे कन्या आई
कन्या को घर वर देना अपने दरबार में
ये लालो लाल लहँगा चमके दरबार मंे
एक तो माता सिंह सवारी दूजे भक्त आये
भक्तों को दरशन देना अपने दरबार में
ये लालो लाल लहँगा चमके दरबार में
☺शिव आये जसोदा के द्वार मात मुझे दर्शन करा दो
मेरा सोया हुआ है गोपाल बाबा ले भिक्षा जा
कैलाश पर्वत से आया हूँ माता तेरे घर जन्मा है जग का विधाता
तेरे अंगना में छायी बहार मात मुझे दर्शन करा दो
मुश्किल से बाबा ये दिन आया बीती उमरिया में ये लाल पाया
इतना करो तुम विचार बाबा ले भिक्षा जा
जिसको तू माता समझती है बेटा वो तो है सारे जग का विधाता
मेरे जीवन का प्राण अधार मात मुझे दर्शन करा दो
गले में सोहे बाबा मुण्डों की माला देखेगा डर जावेगा लाला
इतना करो तुम विचार ले भिक्षा जा
जिसको डराता है संसार सारा उसको डराऊंगा मेैं क्या बेचारा
पैया पड़ूं मैं तुम्हारा मात मुझे दर्शन करा दो
डरती हुई माता अन्दर को धायी गोदी में अपनी कन्हैया को लाई
शिवजी को देखकर कृष्ण मुस्काये
लाखों इसी में प्रणाम मात मुझे दर्शन करा दो।
☺भोला डोल रहे पर्वत पर अपनी पार्वती के संग
एक तो भोला खाये धतूरा दूजे खाये भंग
तीजे भोला चरस चढ़ावे हो रहे नशे में दंग
भोला डोल .............................
कान में भोला के कुडंल सोहे गले में काला भुजंग
सिर पर उनके चन्द्र विराजे जटा से बह रही गंग
भोला डोल .............................
एक तो उनको बूढा नादिया दूजे करे हुड़दंग
तीजे गनपत गोद विराजे पार्वती के संग
भोला डोल .......................................................
डमडम डम डम डमरू बाजे और बाजे मृदंग
श्याम जी की वंशी बाजे राधा जी के संग
☺अकुलाती देखो सकुचाती चली पनियाँ भरन शिवनारि
सागर में उतारी गागरिया
रूप देख कर कहे समुन्दर कौन पिता महतारी
कौने दिशा की रहने वाली कौन पुरुष की नारी
अरे हाँ कौन पुरुष की नारी
होले से गिरजा बोले क्या छाया रूप अपार रे सागर
राजा हिमाचल पिता हमारे मैनावत महतारी
भोला नाथ है पति हमारे मैं उनकी घरवाली
अरे हाँ मैं उनकी घरवाली जल लें जाँऊ
मेरे पति नहावे ये सुन मेरी पुकार
कहे समुन्द्रर छोड़ भोला को घर घर अलख जगाय
चौदह रतन भरे मेरे घर में बैठी भोज उड़ाओ
पीवे भंगिया वह वो रगिया क्यों सहती कष्ट अपार रे
बात सोच कर अपने मन में झट भोला ढिग आइ
आप के होते तके समुन्द्र सारी व्यथा सुनाई अरे हाँ
शिव कियो जतन सागर को मथंन लियो
चौदह रतन निकाल रीे सागर ..........................
☺इस तन में रमा करना इस मन में रमा करना
वैकुन्ठ तो यही है इसमें ही बसा करना
हम मोर वन के मोहन नाचा करेगें वन में
तुम श्याम घटा वन कर उस वन में उड़ा करना
होकर के हम पपीहा पी पी रटा करेगें
तुम स्वाति बूँद बनकर प्यासे पे दया करना
हम राधे श्याम जम में तुम को ही निहारेगें
तुम दिव्य ज्योति बनकर आँखों में रहा करना
☺
जसोदा आना सुन्दर श्याम हमारे घर कीर्तन में
आप भी आना संग गोपियो को लाना आकर रास रचाना
आप भी आना ग्वाल वालों को लाना आकर माखन लुटाना
आप भी आना संग राधाजी को लाना आकर वंशी बजाना
आप भी आना नन्द बाबाजी को लाला मात जसोदा को लाना
आप भी आना संग अर्जुन को लाना गीता ज्ञान सुनाना
आप भी आना संग नारद जी को लाना वीरातान सुनाना
आप भी आना संग शंकर जी को लाना डमरू की धुन सुनाना
आप भी आना सारे देवों को लाना कीर्तन में धूम मचाना
☺
ऐसे कपटी श्याम ऐसे कपटी कुंजनवन
छोड़ चले उद्धव कुजंनवन
जो मैं होती चन्दन की लकड़ी
श्याम लगाते तिलक माथ्ेा विच रहती रे उद्धव माथे ...
.जो मैं होती बाँस की बंसी श्याम बजाते बीन
अधर विच रहती रे उद्धव
जो मैं होती मोर की पंखी श्याम लगाते मुकुट
माथे विच रहती रे उद्धव ...................
.जो मैं होती सीप की मोती श्याम पहनते हार
ह्नदय विच रहती रे उद्धव ह्नदय विच .....
जो मैं होती बन की हिरनियाँ श्याम मारते वाण
प्राण तज देती रे उद्धव प्राण तज देती ................
जो मैं होती जल की मछलियाँ श्याम करत स्नान
चरण गहि लेति रे उद्वव ........
☺श्रीमन नारायण नारायण नारायण
वासुदेव घर जन्म लियो है मात पिता कुल तारायण
भक्त हेतु जसुदा घर आये सुमर सुमर भये तारायण
मोर मुकुट मकराकृत कुण्डल शंख चक्र गदा धारायण
शबरी के फल रूचि खाये भक्त सुदामा तारायण
दुर्योधन घर मेवा त्यागी साम बिदुर घर हारायण
गज और ग्राह लड़े जल भीतर लड़त लड़त गज हारायण
गज की टेर सुनी रघुनन्दन धाय पधारे धारायण
अजामिल सुत हेतु पुकारे नाम लेत भये तारायण
वृन्दावन में रास रचायो सहस्त्र गोपी एक नारायण
इन्दर कोप कियो ब्रज ऊपर नख पर गिरधर धारायण
चारांे बेद भागवत गीता बाल्मीकि जी रामायण
रामा तुलसी दासजी की रामायण
रामा वेद व्यास जी की पारायण श्री मन नारायण
इतना नाम जपो निशि वासर कोट पाप भये तारायण
श्री मन नारायण नारायण नारायण
भज मन नारायण नारायण
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