☺दया का भिखारी दया चाहता हूँ
तुम्हे रात दिन पूजना चाहता हूँ
नहीं कोई दुनिया में साथी हमारा
जगत को जो देखा झूठा है सपना
उसी ने बनाया हे प्रभु तुमको अपना
तुम्हे हर घड़ी देखना चाहता हूँ
यह माना कि भगवन गुनहगार हूँ मैं
इसी में तुम्हारा तलवगार हूँ
दया मुझपर करना कि लाचार हूँ
मैं कुछ न तेरे सिवा चाहता हूँ
मेरी आशा पूरी कर दो मुरारी
मैं सेवक तेरे दर का हूँ अति भिखारी
पड़ी है भंवर बीच नइया हमारी
सहारा प्रभु मैं तेरा चाहता हॅँ
☺कर ले प्रभु से प्यार फिर पछतायेगा
झूठा है संसार धोखा खायेगा
माया के जितने धन्धे झूठे है उनके वन्दे
तन उजले मन गन्दे आँखों के बिलकुल अन्धे
नजर क्या आयेगा झूठा है संसार
मतलब की रिश्तेदारी भ्रात पिता सुत नारी
क्यों मती गई तेरी मारी जब चलेगी तेरी सवारी
साथ कौन जायेगा झूठा है संसार
मन प्रभु के चरणों में लगाले तू जीवन सुफल बना ले
ले मान गुरू का कहना दिन चार यहाँ का रहना
कौन समझायेगा झूठा है
वशी बजावे घनश्याम जय श्री राधे राधे
रासबिहारी जय जय कुंज बिहारी जय जय
गिरवर धारी घनश्याम जय श्री राधे राधे
शुद्ध स्वरूप जय जय आनन्द रूप जै जै
विश्व स्वरूप घनश्याम श्री राधे राधे
जय जय वन्दन जै जै अलख निरजंन जै जै
जय प्रभु पूरन काम री राधे राधे
जसुदा के लाला जै जै मदन गुपाला जय जय
दीन दयाल घनश्याम जय श्री राधे राधे
मन भूल मत जइयो राधारानी के चरण
राधा रानी के चरण बृज रानी के चरण
मन भूल मत जइयो राधारानी के चरण
वृषभान की किशोरी देखो मइयाऊ मोरी
प्रीत जानि केऊ थोरी मोहि राखेगी शरण
मन भूल मत जइयो राधारानी के चरण
राखूँ श्याम उर हेर राधे राधे राधे टेर
बन्सरी में हेर हेर करे प्यार से रमन
मन भूल मत जइयो राधारानी के चरण
भक्त प्रेमी ने बखानी जाकी महिमा रस खानी
मिले भीख मनमानी करे प्यार से वरन
मन भूल मत जइयो राधारानी के चरण
मेरे मन मतवारे छोड़ो दुनिया के द्वारे
राधा नाम के सहारे सुख जीवन मरन
मन भूल मत जइयो राधारानी के चरण
एक प्रेम पुजारी आया है चरणो में ध्यान लगाने को
भगवान तुम्हारे चरणों में श्रद्धा के फूल चढ़ाने को
है प्रेम का तूफान दिल में उठा और मन में मिलन की चाह लिये
आँखों में आँसू उमड़ आया कुछ अपना हाल बताने को
हो साँवरी सूरत दिखादे जरा और बंसी तान सुना दे जरा
गोकुल में श्याम चले आओ जमुना तट धेनु चराने को
एक प्रेम पुजारी आया है चरणों में ध्यान लगाने को
उपदेश धर्म के देकर के अज्ञान हटा दो अन्दर के
कब आओगे ये बतलाओ गीता का ज्ञान सुनाने को
रामेश्वर की ये अर्जी है आगे प्रभु आपकी मर्जी है
ओ गिरवर धारी आ जाओ मेरी भी लाज बचाने को
संकट हरेगी करेगी भली वृषमान की लली
बरसाने वाली तू मेरी सहाय
दीनन दया निधि दरश दे दिखाय
लागत है प्यारी रंगीली लली वृषमान की लली
राधे राधे श्री राधे रटो
राधे रटो कोटि व्याधा हरे
कीर्रत तपस्या करी सो फली वृषमान की
त्रिभुवन पति जाने बस में किये
जहाँ पग धरे श्याम नैना धरे
छलिया ने बहु रूप धर के छली वृषमान की लली
भक्तांे को भारी भरोसा रहे
आवे शरण बाकी बंहिया गहै
दुष्टांे के दल में करे खलबली वृषमान की लली
भगवान तुम्हें में खत लिखती पर तेरा पता मालुम नहीं
हँस हँस कर लिखू रो रो कर लिखू पर तेरा पता मासुम नहीं
मेरे सिर पर पाप की गठरी है नहीं रात को भगवन सोती हूँ
तेरे चरणा पकड़ में रोती हूँ पर तेरा पता मालूम नहीं
धन दोलत की कोई चाह नहींघर वार छूटे परवाह नहीं
मुझे डूबन से डर लागत है यहाँ पापों की कोई कमी नहीं
तेरे पास में मैं ही आ जाती पर तेरा पता मालुम नहीं
तेरो हरि से मिलन कैसे होय संत संगत में आती नहीं
बेटा बेटी नाती पोते जिनका तुझको मोह
अन्त समय कोई काम न आवे इकला चलना होय
मोह माया में अन्धी है रही भरा पेट रही सोय
कभी न हरि से हुतु लगाया वृथा जनम दियो खोय
पीपल सींचे झाड़ी सीचे तुलसा सींचे रोज
पाँच चोर तेरे पीछे लागे मुक्ति किस विध होय
बालापन और तरुण अवस्था दोनों दीन्हें खोय
गया वक्त तेरे काम न आवे मूड़ पकड़ चाहे रोय
बार बार समझाऊं तुझको नेक न मानी होय
सदानाथ एक अचरज देखा ब्याज मूल दियो खोय
......
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