किसी ने सच ही कहा
हैःजिव्हा ऐसी बाबरी, कर दे सरग पाताल,आपन कह भीतर गई, जूती खात कपाल।
सच ही है जरा सी चीज है
पर चिकनी ऐसी कि झट फिसल जाती है। कितना ही पकड़ो, पकड़ ही नहीं आती है। दिमाग में जो चल रहा होता
है पट से आ जाता है। लाख चेहरे पर, जुबान पर पहरे लगाओ
लाख गा गा कर मर जाओ, पर्दे में रहने दो, पर पर्दा है कि उठ ही जाता है।
यह तो वैज्ञानिक सच है कि किसी की भी जीभ
एक सी नहीं होती ,जैसे हाथ के निशान अलग अलग होते हैं
जीभ भी अलग अलग होती है तब ही तो जुमले भी हैं कि अलग अलग निकलते रहते हैं।
संजय
निरुपम की जीभ फिसल कर बोली स्मृति ईरानी को ‘ठुमके
लगाने वाली’ ‘बड़ा दुःख है। स्मृति ईरानी के कई सीरियल देखे, पर उसे ठुमके लगाते नहीं देखा, पता नहीं लोग
कहां कहां ठुमकेवालियों को देख आते हैं, कैसे इतने
अनुभव कर लेते हैं भाई लोग।
छत्तीसगढ़ के भाजपा के वरिष्ठ सांसद सचेतक रमेश बैस
आदिवासी आश्रम में दर्जन भर नाबालिग बच्चियों के साथ अनाचार की घटना पर 9 जनवरी को बोले, बराबरी या बड़ी उम्र की महिलाओं
के साथ बलात्कार तो समझा जा सकता है मगर नाबालिक बच्चियों के साथ तो यह जघन्य
अपराध है। लो बोलो महिलाओं के साथ होने दो जो कुछ है ,
कोई
बात नहीं सब घर की बात है। औरते क्या चीज है ? उनके
लिये कुछ नहीं, और फिर जैसा घर में जो देखता है वही तो
समाज को समझता है हर समाज घर से प्रारम्भ होता है।
विश्वनाथगंज
के विधायक राजाराम शुक्ल को तो सपने ही हर समय महिलाओं के आते हैं कहते है न
बिल्ली को सपने में भी छीछड़े नजर आते हैं, तभी तो
उन्हें सुल्तानपुर में चैक बाॅटते हुए डी एम के काम नहीं, उनकी सुन्दरता दिखाई देती है ,और उस का ऐसा नशा
चढ़ा कि कह गये कि उनकी पट्टी की सड़कें हेमामालिनी और धक धक गर्ल माधुरी दीक्षित
के गालों से भी अधिक चिकनी बनेगी। बेचारे सपने में भी हाथ फिराते रहे होंगे। जब
सड़क पर उनकी कार फिसलती जायेगी तो वाह! वाह!
क्या
बात है ?
‘छोड़कर
दीनो करम पर देश को तू भूल जा, चल
चला चल, चल चला चल, गाल पर
तू फिसल जा,
अब तो जिन्दगी उन्हीं
सड़कों पर बीतेगी, सुल्तानपुर
की डीएम साहिबा जरा हाथ आपका भी फिसल जाता हो अच्छा रहता। हम तो मुँह फाड़े
शिरोमणि अकाली दल के ओंकार सिंह थापा को पढ़ रहे हैं जो अनजाने में ठकठक करने पर
अपनी पत्नी को भरी सभा में कहते हैं,‘ तॅनू पता है जद
बोल रहा हां भैण.... द ठाठा कारी जांदी ए।’ टोकने पर कह
रहे हैं मुझे एक भी ऐसा आदमी दिखाइये जिसने अपनी नौकरानी या अपनी जनानी को गाली न
दी हो ।
हो गया न फलुदा तभी हर तरफ से औरतों को घर की देखभाल के पैसे दिये जाने की
बात उठ रही है। पहचान लो अपनी औकात।
मजा
तो यह है लच्छेदार चटाखेदार भाषण के चक्कर में नरेन्द्र तोमर समझ ही न पाये उनके
कहने का मतलब क्या है ?:कागे्रसियों के यहाँ बच्चा भी
पैदा होता है उसमें भी भाजपा का होने का आरोप लगा दिया जाता है। क्या क्या फिसलन
है। कोयला मंत्री ने कानपुर में एक कवि सम्मेलन में कह मारा ‘पत्नियाँ पुरानी हो जाती है तो उनमें कोई मजा नहीं रहता । ’श्री प्रकाश जायसवाल ,सही मंत्रालय है कोयला
मले जाओ ,मले जाओ ,तो मजा लेते ही रहते होंगे तभी तो अंतर मालुम है। यह जिन्दगी उनके लिये
मात्र मजा है और पत्नी मजे की चीज । पर बेचारे क्या करे दिल की बात जुबान पर फिसल
पड़ी है। घने सिर के बाल घर जाकर टकले तो हो गये होंगे। ‘एक मंत्री के लिये 71 लाख रु॰ की रकम बहुत
छोटी होती है। यह आंकड़ा 71 करोड़ होता तब मैं
इसे
गंभीरता से लेता’,बेनीप्रसाद शर्मा ने इस्पात केन्द्रीय
मंत्री सलमान खुर्शीद पर एन जी ओ के फंड कें दुरुपयोग के आरोपो के बारे में 15 अक्टूबर 2012 को स्पष्ट किया कि मंत्री
लोगों की बहुत छोटी हेरी-फेरी ध्यान देने की बात नहीं है । यह तो रोज की बात है
वास्तव में बहुत छोटी हेरी फेरी थी। इतने तो नेताओं के पी ए लोग ही कमा लेते
होंगे।
बताओ केवल 71 लाख बहुत टुच्चेपन पर उतर आये
है नेता। ऊपर से केन्द्रीय मंत्री यह तो हजारों करोड़ का हो ,तभी तो बनाना रिपब्लिक मैंगो प्यूपिल मात्र रह गये हैं
फिसल गई तो क्या ? अगला भाग
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