Sunday 10 January 2016

होरला: भाग 6

एक घंटे तक मैं उसे समझाता रहा लेकिन उसकी समझ में नहीं आया। जब वह चली गई तब मैं डाक्टर  के पास गया वह कहीं बाहर जा रहा था, उसने मेरी बात सुनी और मुस्कराता रहा।

       तुम्हें अब विश्वास हो गया।
       हाँ ,और कुछ कह भी नहीं सक रहा

       ‘चलो ,अब तुम्हारी बहन के पास चलें वह आराम कुर्सी पर अर्द्धनिद्रा में थी वह थकी हुई थी। डाक्टर ने उसकी नाड़ी देखी ,फिर उसकी ओर कुछ देर तक देखा एक हाथ उसकी आंखों की ओर उठाया उसने आंखं डाक्टर के चुम्बकीय प्रभाव में आकर बंद कर ली ,जब वह सो गई तब वह बोला,‘ तुम्हारे पति को अब पांच हजार फ्रेंक नहीं चाहिये 



इसलिये तुम अब भूल आजो कि तुम्हारी भाई उनका इंतजाम करे ,अगर वह उनके लिये कहे तो उसका विश्वास नहीं करोगी फिर उसे जगा दिया मैंने जेब से गड्डी निकाली और उसे देते हुए कहा, ‘बहन, ये लो पैसे जो तुमने सुबह मुझसे मांगे थे लेकिन वह चकित रह गई एकदम मना कर दिया उसने मांगने से ही नकार दिया वह समझी मैं उसे साथ मजाक कर रहा हूँ  


अंत में वह अपना आपा खो बैठी तब मैं वापस आगया मैं अपना लंच भी नहीं खा पाया इस घटना ने मुझे अशांत कर दिया था।


       19 जुलाई , मैंने कई व्यक्तियों केा अपना रोमांचकारी अनुभव सुनाया पर मुझ पर हंसने लगे मैं समझ नहीं पाया क्या सोचूं ? बुद्धिमान लोग कहते हैं हो सकता है।

       21 जुलाई , मैंने बोगीविल में खाना खाया और शाम को एक नाव में विहार किया और रात नाचघर में बिताई निश्चित स्थान और समय पर बहुत निर्भर करता है। इल--ला गे्रनोलिरे में अलौकिक शक्ति पर विश्वास करना मूर्खता है लेकिन सेंटमाइकेल की चोटी पर और., भारत में ? हम अपने चारों ओर के वातावरण से बहुत प्रभावित होते है। मुझे अगले हफ्ते घर वापस जाना है।


       30 जुलाई, मैं कल अपने घर गया सब कुछ ठीक है।
       2 अगस्त , कुछ भी नया नहीं है बहुत बढि़या मौसम मैंने अपने दिन सीन को बहते हुए देखकर बिताये।

       4 अगस्त , मेरे नौकरों में झगड़ा हो गया उन्होंने बताया कि रात अलमारी में रखे गिलास टूट गये। झाड़ पोंछ वाले ने रसोइये पर इल्जाम लगाया उसने बर्तन धोने वाली पर इल्जाम लगाया कौन अपराधी है? जो भी है चालाक है ,कौन बतायेगा ?


       6 अगस्त ,इस बार मैं पागल नहीं हूँ मैंने देखा, देखा कोई शक नहीं मैंने उसे देखा।
       मैं दोपहर तेज सूर्य की रोशनी में दो बजे अपने बगीचे में गुलाब की क्यारियों के बीच टहल रहा था गुलाब झड़ने ही जा रहे थे मैं जाइंट बैटिले को देखने के लिये रूक गया उस पर तीन बहुत सुंदर गुलाब खिले थे। मैं ने साफ देखा एक गुलाब की डंडी मेरी ओर झुकी, जैसे किसी अदृश्य हाथ ने उसे झुकाया हो, फिर फूल सीधा हो गया। 


फिर फूल ने अपने को ऊँचा किया जैसे कोई अपने मुँह तक सूंघने के लिये ले गया हो, वह हवा में खड़ा रहा एक सुर्ख लाल बिंदु की तरह मुझसे तीन गज दूर हताशा में मैं उसे लेने लपका। मुझे कुछ नहीं मिला वह गायब हो गया था तब मैं अपने ही प्रति क्रोध से भर गया एक जिम्मेदार और गंभीर व्यक्ति को इस प्रकार दृष्टि भ्रम के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिये


       लेकिन क्या वह मायाजाल था मैं डंडी को देखने झुका और मुझे वह झाड़ी पर ताजा तोड़ा हुआ मिला और दो अपनी डंडियों पर थे। मै घर लौट आया मेरा दिमाग परेशान था अब मुझे विश्वास हो गया था कि दिन और रात मेरे पास कोई अदृश्य आत्मा है जो दूध पानी पर रहती है वह चीजों को छू सकती है उन्हें ले सकती है उनकी जगह बदल सकती है वह प्रकृति से मालामाल है यद्यपि वह हमारी इंद्रियों को नहीं दिखाई देती लेकिन जैसे मैं रहता हूँ वह है मेरी छत के नीचे रहती है।



       7 अगस्त ,मैं शांति से सोया उसने मेरे जग से पानी पी लिया पर मुझे परेशान नहीं किया। जब मैं नदी किनारे घूप में घूम रहा था मेरे अंदर अनेकों संदेह उठ खड़े हुए, वैसे ही कोई छोटे छोटे शक, मैंने पागलों को देखा है और बुद्धिमानों को भी देखा है  


शांत और जीवन के हर पहलू को अच्छी नजर से देखने वाले ,केवल एक बात पर वे साफ तुरंत और अपनी बात बलपूर्वक हर विषय पर कह पाते हैं और एकाएक उनके दिमाग पर पागलपन का दौरा पड़ता है और टुकड़ों में बंट जाता है और विशाल भयानक समुद्र की लहरों में जहाँ मेढक है शार्क हैं उनमें उतराने लगता है जिसे पागलपन कहते हैं।

होरला: भाग 7

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