बाड्रा के लिये, भई वो तो लाखों करोड़ कमा सकते हैं, कुछ साल में। सरकारी दामाद रहे, आखिर अब दामाद तो दम ले लेता है उसको कौन पकड़ सकता है । वो तो सब साफ सुथरा है। कभी मैंनेगो प्यूपिल थे अब तो भई खासगो हैं, सबके बाप। कोई पत्ता नहीं हिला सकता न हिला पाया, कह सुनकर रह गये। क्लीन चिट भई जरा भी गंदा नहीं हे।
करोड़ों से स्नान करता है भई गंदा कैसे हो सकता क्या अब मुरादाबाद कूड़े वाली गली में है क्या ?
सरकारी माल जेब में बड़ी एअर लाइंस है, सरकार नुकसान सहेगी। बेटा तो समुद्र के किनारे बिकनी पहने 12 माडल्स के साथ बालीबाल खेल रहा है अब वो समझा कि लोग उससे चिढ़ते क्यों है? हाँ! सिद्धार्थ माल्या को बहुत दुःख है बताओं उसकी एश पर रोक लगाना चाहते हैं, ‘गन्दी नालियों के किनारे बच्चे खेलते है मै मना करता हूँ, कतई नहीं खूब खेलो ।’
एक नेता जी कहते हैं यह मेरी किस्मत है कि मैं सरकार का खाता हूँ। सरकार आम जनता का, जिसका खर्च पांच लोगों के पारिवारों के लिये महिने भर है ‘उनकी पत्नी न जाने कौन सी मंडी से खरीद कर लाती है कि उनका खर्च 600 रु॰ में चल जाता है। कितने लोग है ? घर में सिलैडर कितने लग जाते है हिसाब बतायेंगे क्या ?
प्रति व्यक्ति के लिये औसत वजन खाने का एक समय का ढाइसौ ग्रा॰ लेकर चलें तो तीन समय खाने के लिये 750 ग्राम चाहिये। जब कि मेहनत करने वाले और सूखी रोटी वाले के लिये कम से कम 1 किलो खाना प्रतिदिन चाहिये। दाल हो ,चावल हो, या आटा ।
औसत प्रति व्यक्ति कम से कम 60 रु॰ प्रतिदिन केवल इन तीन चीज का आयेगा जब कि मसाला तेल के अलावा भी अन्य सामान चाहिये। संभवतः नेताओं को खर्चा करने की आदत ही नहीं रहती। केवल घर भरना आता है इसलिये पता ही नहीं कि खर्च क्या होता है खुद अपने पैसों से केवल जुकाम का इलाज करा कर देख लें।
सबसे मजेदार बात तो आसाराम बापू ने कही कि भाई कहती, भइया, भइया करती पैरों पर पड़ती, नहीं नहीं पढ़ाई बढ़ाई छोड़ पहले आश्रम में दीक्षा लेने जाती कि संत जी मेरे साथ बलात्कार की नौबत आये तो मुझे क्या करना चाहिये ? मेरी सारी कन्याओं से हाथ जोड़ प्रार्थना है कि सारे भइयाओं को लेकर संत जी के आश्रम में ले जाय । भइया का अर्थ समझा दे जिससे भइया कहते ही भेडि़या मेमना बन जाय खुद तो बापू बापू पर भी न पिघले।
अब कैलाश बाजपेयी को लीजिए ठीक ही कहा है ,पुरुष द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखा अर्थात जब पुरुष ने उसको मना कर दिया तो वह निकली कैसे ? उसको सजा देने के लिये पूरी रामायण लिख गई और हर जगह नारी को हरा दिया। अग्नि परीक्षा नारी को ही तो देनी पड़ी और वनवास भी। मतलब दोषी नारी है।
आंध्रप्रदेश के बी सत्यनारायण के हिसाब से रात्रि नौ बजे आधी रात थी और उस समय लड़की सड़क पर क्या कर रही थी ? इससे ध्वनि निकलती है रात में गुंडों का राज होता है केवल गुंडो को गुंडा गिरी का अधिकार है और अधिकारी पुरुष है उससे बचना है तो नारी घर में रहे।
अलवर के बनवारी लाल को छोटी बच्चियों की स्कर्ट भी अश्लील नजर आ रही थी ,बिलकुल ठीक उन्होंने हाल की बच्ची को भी बुरका नहीं पहना दिया।
महिलाओं की जुबान भी न जाने क्या क्या कहती हिल जाती है ? जुवान चलती है सरपट, बहुत गलत किया लड़की ने छः लोगों से घिरी थी, विरोघ क्यों किया आत्मसमर्पण कर देती। हाँ अनीता शुक्ला जी बहुत जो बड़ी कृषि वैज्ञानिक है
मध्यप्रदेश की । खेती जानती है, कहीं आप भी तो दो फुट का आलू नहीं उपजा रही हैं ? बहुत बेवकुफ थी लड़की, रेप रेप चीखती और मजे लेती तो क्यों मरती, साथ देती, हिम्मत होनी चाहिये थी, बात पहुंच ही नहीं पाती गले से झट फिसल जाती है।
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