Wednesday 20 January 2016

फिसल गई तो क्या ? भाग3

मध्यप्रदेश के एक मंत्री अजय विश्नोई के हिसाब से काम करने के लिये पत्नी की मांग जायज है लगता है दूध के जले हैं मंत्री पद पर पहुँचने के लिये बड़ी कवायद करनी पड़ी है तभी तो हर मांग जायज नजर आती है। हर महिला उन्हें बाजारु लगती है । साफ सुथरी महिलाओं के  चेहरों पर  अभीजीत मुखर्जी को डेटिंग पेटिंग नजर आती है। 


महिलाऐं सिर काढ़ कर हाथ मुँह धोकर क्यों आई  प्रदर्शन करने ? नुची खुची फटी फटाई आती तब मानते वो महिलाएँ है या पीडि़ता है। जुबान के साथ साथ उनकी चेहरों पर नजरें फिसल रही थी तो क्या करे ? अब वो किसी से कम तो हैं नहीं आखिर देश की सर्वोच्च कुर्सी के वंशज है।


 ‘पानी नहीं है तो क्या पेशाब कर दूँ ’ डिप्टी सी एम महाराष्ट्र सरकार का बयान कितना सम्मान जनक है ? हाय! राम कुछ तो पहुंचाये सब तक खुद ही पी जायेंगे। अपने घर के पंप में पहुंचा देउन्हें तो भगवान की देन मिल ही गई है। मोरारजी देसाई से कुछ शिक्षा तो ग्रहण की ही होगी। ईश्वर से प्रार्थना है उन्हें यही पीने को मिलता रहे 



और सौ वर्ष जिये। जनता वैसे भी जीकर क्या करेगी बेचारी पिलपिली क्षुद्र आत्माएँ।
 भगवान ने भी यह अंग बहुत सोचकर बनायातभी तो इसमें हड्डी नही दी कोई तोड़ न सके और पकड़ में नहीं आती। लाख कोशिश करो फिसल ही जाती है।


 जुवान दिल जली है दिल से आग लगवाती है
खुद बत्तीस सिपाहियों केा पहरे पर लगा छिप जाती है।

 विज्ञान कहता है जीभ का घाव बहुत जल्दी भर जाता है और ज्ञान कहता है कि जीभ से निकली बात का घाव कभी नहीं भरता।

 रसना जो हरसमय रसमय रहती है मुलायम कोमल इसमें हड्डी नही है अर्थात् कठोर नही है पर मुलायम चमड़े की मार से ही उधेड़ देती है यह तो और भी छिपी हुई है । इसके तो कड़क पहरेदार इसीलिये है कि बोले और छिप जाये फिर झेलते रहो।


गुलाब सी गुलाबी,गुलाब जामुन सी मुलायम,जामुन सी कालिख छोड़ती ,जीभ है निराली।जब ही तो जब चलती है और ऐसी मार मारती है कि फिर उसका रखवाला लाख कोशिश करले । अब तो निकल गया तीर कमान से सोचने ही नहीं देती। दिमाग और जीभ और हृदय तीनों आड़े टेड़े चल देते हैं। 


दिमाग सोचे नहीं , दिल समझे नहीं कि जीम चट से निकल पड़ती है। जब ही तो ए बी सिंह ने सोचा न समझा अब बेटी को जान से मारने की धमकी दे डाली अगर ऐसे में खुद भी लेकर चलेंगे तो क्या कर लेंगे ? बेटी तो गई हर हाल में। हाँ बेटे ने ऐसा काम किया तो उसको हार पहनायेंगे । 


बेटा बड़ी वहादुरी का काम करके आया है तू तो इनाम का हकदार है ।तुझे तो जान की बाजी लगा कर बचा लेंगे । हां तेरी बहन होगी तो तू भी साथ होगा पर वो मरेगी क्योंकि लड़की है।

गन्ने सी रस से भरी
मारती डंडे की मार

बत्तीस दांतो से लोहा लेती
बिना उसके आदमी बेकार

है बहुत मन चली
झट से फिसल जाती

और फिर चाँद पर
जूते पड़वाती।

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