Tuesday 12 January 2016

ततैया और मधुमक्खी

ततैया और मधुमक्खी दोनों मित्र संग संग रहते थे लेकिन। जहाँ ततैया का स्वभाव रूखा और कठोर था मधुमक्खी बहुत मधुर स्वभाव की थी वह ततैया को अधिकतर टोकती कि इतने बुरे ठंग से सबसे व्यवहार मत किया करो।


ततैया कहता तुम नही जानती मधुमक्खी बहन उसकी कोई सुनता भी नही है। होगा लेकिन जबरदस्ती किसी का खाना पीना छीनना  भी अच्छा नही लगता। एक दिन दोनों एक गुलाब के पौधे पर बैठे थे।

पौधा पराग से भरा था उन्हें प्यास लग रही थी आस पास कहीं पानी नही था। उन्होंने वही पराग पी लिया  


पराग बेहद मीठा  ठडा था उसे पीकर उनमें अदभुत् शक्ति, जाग गई। अब तो उन्होने निश्चय कर लिया कि रोज पानी की जगह पराग ही पिया करेंगे। ततैया को जब भी प्यास लगती वह उड़ता किसी भी फूल पर जा बैठता और उसमें डंक चुभो देता और पराग पी जाता। मधुमक्खी टुकुर टुकुर देखती रहती


वो मांग पाती डंक चुभा पाती एक दिन वह चमेली के फूल से बोली,‘ बहन प्यास लगी हैं जरा सा पराग दोगीतो चमेली बोली,‘ ऊपर से पी सको तो लेलो अंदर  डंक मत चुभाना तुम्हारा साथी ततैया तो आता है, जब देखो लंबा सा डंक चुभा कर पराग ले जाता है। मधुमक्खी दौड़ी दौड़ी गई और दाक खोखली पतली नलियां ले आई


अपने मुंह में लगा कर पीने लगी। उस दिन उसे इतना रस मिला कि उसका पेट एकदम भर गया उसने ततैये से कहा कि जब रात को फूल बंद हो जाते है।

तब रस नही मिलता। दोपहर में भी फूलों का रस सूख जाता हैं उसने छोटे-छोटे घडे बनाने शुरू कर दिये और उनमें रस भर देती। अपने संगी साथी भी उसी काम में लगा लिये क्योकि फूल कहते कि रस लेलो नही तो बेकार जायेगा।


ततैया ने भी घड़े बनाने शुरू किये लेकिन उसके डंक को देखते तो फूल डर जाते और उनका रस सूख जाता। उसके  कटोरे खाली ही रह जाते जबकि मधुमक्खी के हजारों घड़े भर जाते हैं।

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