Monday, 18 December 2017

vyaapari chor nahin

आज  बीजेपी जीत तो गई क्योंकि  जनता  के पास विकल्प नहीं हैं  और स्वयं मोदीजी बहुत भले और विकास पुरुष कहना चाहिए हैं पर  यह जीत निराशजनक है हम मोदीजी को गद्दी पर देखना चाहते हैं क्योंकि  देश उनके हाथों मैं सुरक्षित है कम से कम पैसे के लिए बिकेगा नहीं प विकास भी  चाहते हैं पर कम  से कम जनता को अधिक परेशान करके नहीं  ा माध्यम वर्ग का व्यापारी  छोटा मोटा चोर है आम व्यपारी  बस रोटी ही अच्छे से खा पता है दिन रात करके इतना तो हुक बनता है  उसके ही दम पर सरकारी कर्मचारी मलाई खा रहे हैं उसे  ही सर्वाधिक परेशान किया जाता है
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तो लड़ी जा रही पर इसके मुख्या अपराधी कौन है अच्छी तरह सब जानते है  नोटबंदी  किस वजह से विफल हुई इसका मुख्या कारणक्या था कहने की आवश्यकता नहीं है इसीप्रकार  व्यापारी वर्ग को इतना परेशान किया जाता है की कहा नहीं जा सकता सही ईमानदार से भी वसूली के बिना कागज़ नहीं बढ़ाये जाते हैं बिना मेहनतवह मौज मरते हैं  सारा दिन मेहनत  करके व्यापारी अच्छे से रोटी खाने का हकदार तो है  फिर  लगाम व्यापारी के ऊपर ही क्यों लगाती है 

Wednesday, 13 December 2017

भारत इंडिया हो गया


बदलाब की बयार हर तरफ है  इन्सान की प्रकृति ही नहीं बदल रही है सब कुछ बदल रहा है। डॉ राधाकृष्णन ने कहा था  आवश्यक नहीं जिस उद्देश्य के साथ शताब्दियों पहले कोई कार्य शुरू किया गया है वह आज भी सार्थक हो समय के साथ आवश्यकताएं बदलती हैं अब  अगर ब्रह्माण्ड भी अपनी चाल बदल रहा है तो उसका क्या दोष टेनीसन ने कहा है परिवर्तन संसार का नियम है परिवर्तन का कोई उद्देश्य तो होता है सब कुछ नियमबद्ध है तो हमारे उद्देश्य भीतो किसी नियम के अंतर्गत होंगे लेकिन इस समय हम उदेश्यहीन है।  भारत का भारत अब कहीं नहीं अब पूरब का सूर्य पश्चिम से निकल रहा है  और पश्चिम की उदासी भरी डूबते सूर्य की हिंसक प्रवर्ती उग रही है भोरे की शीतलता डूब रही है तब ही हर तरफ पश्चिम का अनुसरण कर रहे हैं जहाँ बस चलते जाना है कहाँ किसके लिए कुछ नहीं पता उद्देश्य ही बिखराव लता है एक सूत्र मैं नहीं बंधता डोर कमजोर होती है टूट टूट कर तुकडे बिखरी रहती है भारतीय संस्कृति मैं परिवार समाज प्रमुख था उसके सामने उद्देश्य था अपने को अपने बच्चों के सामने स्थापित करना एक उदाहरण पेश करना जिससे उनके अपने बच्चे सीखें और एक सुसंस्कृत परिवार सामने आये लेकिन परिवार के साथ साथ मर्यादाये टूटी लिप्साएं बढ़ी लोलुपता बढ़ी राजनीती बदली उसके उद्देश्य बदले तो सब कुछ बदल गया तभी तो भारत इण्डिया  हो गया 

Friday, 6 October 2017

hath bandhe Kyoon khade ho

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Monday, 17 April 2017

किसी गेडे को फासेंगे

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Sunday, 19 February 2017

महर्षि दयानंद

 महर्षि दयानन्द

भारत भूमि पर महर्षि दयानन्द एक ऐसे ज्वाजल्यमान नक्षत्र हैं जिसके प्रकाश ने भारत भूमि को अंधेरे गर्त से निकालकर प्रकाशित किया है। युगों युगों में ऐसा सूर्य उत्पन्न होता है जिसका प्रकाश हर युग के अंधेरे मिटाता है।
कभी भारत भूमि ज्ञान का अथाह भंडार थी । वेद पुराण उपनिषद् में जीवन के सभी तत्व समाहित है जिस भारत में गौतम कपिल कणा व्यास, जैमिनि पतंजलि जैसे दर्शनशास्त्र प्रणेता, महर्षि शिवि ,कर्ण, दधीचि हरिश्चन्द जैसे दानी, द्रोण, भीष्म, भीमार्जुन सदृश बलशाली युधिष्ठर सदश धर्मात्मा सती, सीता, सावित्री, सुलोचना सदृशी पतिव्रत परायण अंजना तथा काली, कराली-दुर्ग और चण्डी जैसी वीरांगनाऐं हो चुकी। जहां मर्यादा पुरुषोत्तम राम जैसे राजा, सोलह कलाओं के केन्द्र रहे श्री कृष्ण जन्म ले चुके हैं। ऐसी भारत भूमि को ऋषि मुनियों ने शत शत नमन किया है।
गायन्ति देवाः किल गीतकानि
धन्यस्त्वहो भारत भूमि भागः।
जिस की प्रशंसा में देवता भी गीत गाते है। वह भारत भूमि धन्य है कहा जाता है एक बार शंकाराचार्य मंडनमिश्र से शास्त्रार्थ करने उनके नगर पहुंचे। उन्हें एक कुँए पर पनहारिने पानी भरती दिखाई दी उन्होंने उनसे मंडनमिश्र के घर का पता पूछा तो पनहारिनों ने उत्तर दिया
स्वतः प्रमाण परतः प्रमाणम्
       कीराडना यत्र गिरो गिरन्ति
       द्वारेषु नीडान्तरसन्निरूद्धाः
        अवेहि तन् मण्डनमिश्रधाम
अर्थात् जिस घर के द्वार पर पिंजरे में बैठे पक्षी वेद स्वतः प्रमाण है या परतः प्रमाण है इस बात पर शास्त्रार्थ कर रहे है। बस समझ लेना कि यही मण्डनमिश्र का घर है
ऐसी भूमि जब चारों ओर से शास्त्रों की अवहेलना और कर्मकाण्डों से घिर घोर अंधेरे गर्त में जा रही थी अज्ञानता और सामाजिक दुरवस्था से आहत महर्षि दयानन्द ने वैदिक धर्म की पुर्नस्थापना वैदिक कर्मकाण्ड के प्रचार का बीड़ा उठाया । उनका कहना था वेद शास्त्रादि के अप्रचार के कारण जो अन्धकारमय युग में विधर्मियों ,नास्तिकों एवम् वाम मार्गियों ने अंहिसा के प्रतीक यज्ञादि को अज्ञानता के कारण दूषित और कलंकित किया है उसे उचित मार्ग दिखाने के लिये आर्य समाज की स्थापना की।
पंडितों ने अपने लाभार्थ वेद मंत्रों के अपने ढंग से अर्थ निकाल लिये थे और यजमानों को अनेक कर्मकाण्डों में लिप्त कर दिया था । अनेकों देवी देवताओं के चक्कर में भारतवासियों को फंसा दिया था। अनेक मत खड़े हो गये थे । विभिन्न विचारों के अलग अलग मत बन गये थे । शैव वैष्णब, जैन, बौद्ध तो एक दूसरे     की जान के दुश्मन बन गये थे । ऐसे समय में महर्षि दयानन्द देवदूत के समान आये और  पंडितों    और     धर्माबलंबियों के चक्कर से देशवासियों को निकालने का प्रयास किया इसके लिये नगर नगर शहर शहर जाकर प्रवचन दिये और शास्त्रार्थ किये ,जागृति फैलाई। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों के मिटाया अस्पृश्यता छुआछूत जैसे कोढ़ का विरोध किया । देश प्रेम की भावना जगाकर स्वतंत्रता की अलाख जगाई। देश की सुप्त आत्मा को जगाकर एक महान उद्धारक के रूप में देश को झिझोड़ डाला था।







Thursday, 2 February 2017

प्रसंग


शरत  और लेखन 

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कविता खड़ी 
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बच्चों की पीढ़ी के लेखक 
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तीन गधे 
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चौथे  शिकार 
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स्ट्रोक  से नहीं मरोगे 
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 छात्र सो गए 
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कितने जूते 

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शेख सदी और कपड़ों की दावत 
“ks[k lknh bZjku ds e”kgwj dfo FksA cM+h lknh rfc;r ds ekfyd FksA ,d nkor esa “ks[k lknh dks vkeaf=r fd;k x;kA “ks[k lknh ekewyh diM+ksa esa igq¡p x;sA nkor ds izca/kdksa us “ks[k lknh dks igpkuk ugh vkSj Hkxk fn;kA tc lknh dks igq¡pus eas cgqr nsj gks xbZ rks estcku us lknh dks ykus ds fy;s viuk ,d izfrfuf/k ?kksM+k xkM+h ysdj HkstkA bl nQk vPNs diM+s igus nkor esa vk;sA lcus gkFkksa gkFk fy;kA tc nkor esa cSBs rks os viuk [kkuk diM+ksa rd ys tkrs fQj IysV eas j[k nsrsA yksxksa us iwNk ;g vki D;k dj jgs gSaA
       mUgksus tcko fn;k diM+ksa dks [kkना  f[kyk jgk gw¡A yksx g¡l iM+sA lknh us le>k;k dqN nsj igys eSa ekewyh diM+ksa nkor esa vk;k FkkA yksxksa us Hkxk fn;kA vc bu diM+ks esa vk;k rks cM+k Lokxr gks jgk gSA ;g nkor esjh ugh diM+ksa dh gSA blfy;s mUgsa [kkuk f[kyk jgk gw¡A yksx lqudj cgqr yfTtr gq,A


वालिदा  के दोस्त 
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सारा घर मस्जिद 
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जरूर पिटते 
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उर्दू मैं लिखना क्यों  छोड़ा 
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csnh th cksys]Þ Hkkjrh th ,d fnu pk; ok; jf[k;s dqN v”dth dk ewM cnysA vHkh eSus dqN mnwZ ys[kdksa dks tek fd;k buls >xM+k gks x;kA* ^ vjs ;kj Hkkjrh]* v”dth ckr dkV dj cksys]Þ rqe rks tkurs gks Ñ”upanj “kkfgn yrhQ lc esjs iqjkus ;kj gSaA rks fQj >xM+ D;ksa x;sA
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शुक्ल जी के जूते 
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नाहा भी लिया करो 
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Tuesday, 10 January 2017

वक्त की कमी


gj [kq”kh gS yksxksa ds nkeu esa ij ,d galh ds fy;s oDr ugh
fnu jkr nkSM+rh nqfu;k esa ftUnxh ds fy;s oDr ugh
lkjs fj”rks dks rks ge ekj pqds
vc mUgsa nQukus dks oDr ugh
lkjs uke uke eksckby esa gSa ij
nksLrh ds fy;s oDr ugh
xSjks dh D;k ckr djs tc viuksa ds fy;s gh oDr ugh
vk¡[kksa esa gS uhn Hkjh ij lksus ds fy;s oDr ugh  
fny gS xeksa ls Hkjk gqvk ij jksus ds fy;s oDr ugh
iSlksa dh nkSM+ esa ge ,sls nkSM+s fd Fkdus dk Hkh oDr ugh
ijk;s ,glkuks dh D;k dnz djs tc vius liuks ds fy;s oDr ugh
rw gh crk , ftUnxh bl ftUnxh dk D;k gksxk fd gj iy ejus okyksa dks
thus ds fy;s Hkh oDr ugh


Monday, 9 January 2017

प्रसंग अपहरण

dhflaxj dk vigj.k

  gsujh dhflaxj tc vesfjdk ds lsØsVjh vkWQ LVsV Fks mUgksaus vius vaxj{kd ls iwNk ]^ vxj esjk dksbZ vigj.k djus dh dksf”k”k djs rks vki D;k djsaxs \*
^fQØ u djsa * vaxj{kd us tokc fn;k]^ ge vkidks thfor ugha ys tkus nsaxsa *



fuDlu vkSj phu dh nhokj

izslhMsaV fuDlu ls  phu dh ;k=k ds le; phu dh nhokj fn[kkdj iwNk fd vki bl fo”kky nhokj ds fo’k; esa dqN dguk pkgsaxs \*
^gkW* fuDlu flj fgykdj cksys ^okLro esa ;g fo”kky nhokj gS *




Hkk’k.k esa dqN Fkk ugha

xsjkMZ QksMZ ds ikl vksgkek esa Hkk’k.k nsus ds cknuscjkLdk esa ,d cw<+h vkSjr vkbZ vkSj cksyh ]^lquk gS jkr dks vkius Hkk’k.k fn;k Fkk *A
^vjs ] oks dqN ugha Fkk * QksMZ us uezrk ls dgk
^gkWa eSaus Hkh ;gh lquk Fkk *A cw<+h vkSjr eqLdjkrs flj >qdk dj cksyh


Sunday, 8 January 2017

सीखने से dर कैसा

;fn ge vius thou ds i`’Bkksa dks iyV dj ns[ksaxs rks gj i`’B ij ukdkeh Hkh fy[kh gksxh vkSj mlls lh[kk gksxk fujarj lh[kuk gh thou gS ;g dguk fd mez c<+ xbZ vc D;k djsaxs lh[kdj lg ftanxh gkjuk gS Aftanxh gkjdj ugha thrdj pyuk gS dgha Hkh tkvks D;k vkidk dksbZ bZ esy gS  vc irk bZ esy gS rks tc ge dEI;wVj dks lh[kus dh dksf”k”k gh ugha djsaxs rks pykuk vk;sxk gh ugha tc lh[kus dh {kerk ?kV  tkrh gS rc ckj ckj dksf”k”k djrs jguk gh fl[kkrk g Svaxzsth dh dgkor gS izSfDVl esDl eSu ijQSDV ;FkFkZ ij vk/kkfjr gS lVhd gS A

vius ls NksVs ls  lh[kus esa xqjst ugha djuk pkfg;s A NksVs cPps eksckby dEI;wVj  fdlh izdkj ds bySfDVªd vkbVe dks pykuk vfHkeU;q dh rjg isV ls lh[kdj vkrs gSa dkj.k muesa Mj ugha gksrk A

Tuesday, 3 January 2017

शब्द

gekjs “kCn
izk; lrgh gksrs gSa [kks[kys Hkh
ijUrq ogh “kCn
tc vorfjr gksrs gSa
foKtuks dh ok.kh esa
vk tkrh gS muesa
xq:rk vkSj xq.koÙkk
vkSj “kCn cu tkrs gSa lcn
fQj ?kj ?kj esa eafnj esa xq:}kjksa  esa
J}k ls xk;s tkrs gSa
“kCn ls lcn dh ;k=k gh gS
vUr ls vuUr dh ;k=k

Kku dh mi;ksfxrk bl ckr ij fuHkZj djrh gS fd ge mldk mi;ksx dSls djrs gSaA vxj ge Kku dk mi;ksx vius LokFkZ dh iwfrZ ds fy;s djrs gSa vkSj blls vPNk gS fd ge vKkuh gh jgsA
                                                                     egkjktk lk;kthjko
gs izHkksa vkuUnnkrk Kku gedks nhft;s
“kh?kz lkjs nqxZ.kksa dks nwj gels dhft;s
yhft;s gedks “kj.k esa ge lnkpkjh cus
czgepkjh /keZ j{kd ohj ozr /kkjh cus
fuank fdlh dh ge fdlh Hkwydj Hkh u djsa
lR; cksys >wB R;kxs esy vkil esa djsa
fnO; thou gks gekjk rsjk ;{k xk;k djsa
xr gekjh vk;q gks izHkw yksd ds midkj esa
gkFk Mkysa ge dHkh D;k Hkwydj vidkj esa

              gs izHkks vkuannkrk uksV gedks nhft;s
              y{eh dk vkSj viuk oksV gedks nhft;s
              cqf} ,slh “kqf} dj nks ,d ek <kbZ djsa
tksM+ dj Hkj tk;sa yk[kksa [kpZ u ikbZ djsa
vFkZ esa vuqjfDr nks Hkkstu Hktu esa HkfDr nks
HkLe gks nks lsj jcM+h izcy ikpu “kfDr nks


शायरी

izHkw djs rqEgsa feys
daidikrh “kke esa m"e Lusg ls Hkjs cksy
/kqi va/ksjh jkr esa iwjk pk¡n
vkSj lery lM+d rqEgkjs }kjk

       l`f"V dk lkSgknZ vfiZr gS rqEgsa
       usge; mn~xkj vfiZr gS rqEgsa
       dyh dk Jaxkj cudj rqe f[kyks
       xU/ke; migkj vfiZr gS rqEgsa

rqe c<+ks rks O;kae eqldkus yxs
rqe galksa rks pk¡n “kjeku yxsA
vkyksd ls jax nks f{kfrt dh ik;ysa
eu izQqfYyr izk.k gjlkus yxsA

       lk/kuk ds fur dey f[kyrs gSa
       eafnjksa esa nhi fur tyrs jgsa
       O;ke esa cjls lnk vk”kh"k gh
       fot; ds mn~?kks"k gh ctrs jgs

uo o"kZ yk;sa ekso vkSj fdydkfj;k¡
vgykn Hkj nsa jaxe; fipdkfj;k¡
Hkkjrh dk eky cudj rqe lxks,
vkgou djrh gSa e/kqj Qqyokfj;k¡

       eqj>k;s psgjksa ds v/kjks ij
       FkksM+h lh eqLdku f[kykvks
       tkfr /keZ dk ean feVkvks
       tkfr /keZ dk Hksn feVkdj
       Qkx xhr fey tqydj xkvks
       jke vkSj jgeku feysxs
       iwtk vkSj vtku feysaxs
       feytqy dj djsa fBBksyh rc gksxh gksyh
       ydfM;ksa dks tyk nsus ls iki ugh ej tkrk gS
       ?k`.kk }s"k dk nkuo ncs ik¡o vkrk gS
vanj ds bl vgdkj dks
fNis gq, bl fdjnkj dks
[kqn gh ekjs xksyh rc gksxh gksyh
u;k jkT; gS ubZ lM+d gs
tkuk ge dks izxfr rd gS
vjs jk/kk tSlh gksyh [ksys
fgUnqLrku ds xk¡o xk¡o esa
viusiu dk jax gks ?kksyk
lcdh Hkj tk;sxh >ksyh rc gksxh gksyh

       ftUnxh  ds dqN o"kZ py iM+ks ,slh jkg is
       ftl jkg is yksx py u lds ?kcjk;s
       ft;ksxs lkjh ftanxh rqe bl vankt ls
       fd nqfu;k rqEgsa ns[ksxh ljkgsxh Qwy cjlk ds

vk feydj tekus dh fQtkvksa dks cny nsa
eqYd ds [kqnkvks dh vnkvksa dks cny nsa

       ftuds ne ij [kqyh lk¡l ge ys jgs
       oks tks ekspksZ ij viuk ygw ns jgs
       yM+ jgs gSa nq”euksa ls yisVs dQu
       mu “kghnksa dks djrs gSa “kr “kr ueu

ftanxh ds vafre lQj ij dqN ugh vkrk gS dke
nqfu;k mlh dks djrh ;kn tks dj tkrs dqN nku

       mudh >hy lh vk¡[kksa esa Mwc tkus dks th pkgrk gS
       ysfdu D;k d:¡ chp esa p”ek vk tkrk gS

vkt tkds Åij okys dh “kjkjr le> eas vkbZ
bl /kjrh ij vkidh t:jr gS
blds ckn vki dk vkuk cgkuk Fkk
jko.k ds ckn fdlh dks vkuk Fkk
      
       ePNj us vkidks dkVk mldk tquwu Fkk
       vkius [kqtyh dh vkidk lqdwu Fkk
       pkgdj Hkh vkius mldks ugh ekjk
       D;ksafd mldh jaxksa ess vkidk [kwu Fkk

ngyht ugh jgrh Nr ugh jgrh lqdwu ugh jgrk
?kj esa cqtqxZ u gks rks ?kj ?kj ugh jgrk

       nks vk¡lw rsjs fudys vk¡[ks esjh gks
       fny rsjk /kM+ds /kM+du esjh gks
       gekjh nksLrh bruh xgjh gks
       fctusl rw djs bude esjh gks

vk¡[k esa vk¡lw vk;sa gSa yc iS galh jksdh gS
tc lnhZ ds lQj ess lw lw jksdh gS
rw D;k pht gS tks ns[krk gS epyrk gS
rsjk psgjk dsys dk fNydk gS gj vkneh fQlyrk gS

       /kq/kyh /kq/kyh lh utj vkrh gS rsjh rLohj , nksLr
       tjk p”ek yxkdj ns[k rks lkQ fn[ksxk

esjk eqYd esjk ns”k esjk;s oru “kkfUr dk mUufr dk I;kj dk peuA bldh [kq”kgkyh ds fy;s rueu fulkj gS igpkus gS ;s gekjh gS xoZ gekjk tks fn;k gS blesa gesa dtZ dSls mrkjk tk;A gS vukS[kh “kku bldh tqnk gS vku bldh ltns esa >qdrk “kh”k bldk gks gekjh tku Hkh bldhA jaxhy gS jaxhyk gS ns”k esjk /kjrh bldh ek¡ gS gekjhA

vkt calr dh jkr xe dh ckr u djuk
/kwy fcNk, Qwy fcNkSuk cfx;k igus pk¡nh lksuk
dfy;k¡ Qsads tknw Vksuk egd mBs lc ikr
xeu dh ckr u djuk

vkx gS dslj jax jaxscu jaftr “kke dh Qkxqu dh f[kyh ihyh dyh lh dslj ds cluksa esa fNik ru lksus dh Nk¡g lk cksyrh vk¡[kksa esa ifgys clar ds Qwy dk jax gS

cgqr ls yksxksa us ns”k ij tku yqVkbZ gS
vkt oDr vk x;k gS tc ns”k us vkokt yxkbZ gS
ej feVsaxs vius ns”k ds fy;s ;s lh[k geus “kghnksa ls ikbZ gS

tc ;qok “kfDr ysxh vaxMkbZ f[kysxh nqfu;k egdsxk lalkj
lR; dh gksxh fot; Nydsxk I;kj vki lHkh dk eqckjd gS ------------dk R;kSgkj

Qwy dks ia[kqfM+;ksa esa er ck¡Vks dkSe dks dchyksa esa er ck¡Vksa
,d leanj lk gS fgUnqLrku gekjk bls >hyksa vkSj rykcksa esa er ck¡Vksa

bl ns”k dks fgUnw u eqlyeku pkfg;s
gj etgc ftldks I;kjk oks balku pkfg;sA

fdju nsuk lqeu peu nsuk] fny esa dksbZ reUuk gS rks
bruh gS vxj ej tkrk rks frjaxs dk dQu nsuk

rsjh [kqclwjrh c;ku djuk eqefdu gS
rsjh lknxh ij fQnk lkjk tgku gS
bl frjxsa ij ejrk gS fny
esjk csysVkbu esjk fgUnqLrku gSA

eSa fdl feÍh ls tUek gw¡ ;kjks ml feÍh dk uke fy[k nks
esjs dQu ds gj dksus iS fgUnqLRku fy[k nks

feÍh esa panu dh [kq”kcw ufn;ksa esa ve`r dk ikuh
dqnjr ls feyk bls /kjrh dks Hkkjr ,d vueksy fu”kkuh

gs /keZfu"B gS deZ fu"B rqe “kklu fiz; gS lsukuh rqe lnk deZ esa yhu jgs lcds
fgr ds rqe dY;k.kh rqe ej dj Hkh gks vej lnk tu eu ds gks rqe egkizk.k ge gSa
 J}katfy vfiZr djrs “kr “kr iz.kke

;qx esa tc tc ukjh ckrh cu dj tyrh gS
ns”k tkfr dh eku e;kZnk rc rc lksps esa <yrh gS

gVk nks lc ck/kk,sa esjs iFk dh
feVk nks vk”kadk,s eu dh
tekus dks cnyus dh “kfDr dks le>ks
dne ls dne feyk ds pyus rks nks eq>dks

eku ds tTckrksa le>us dks dneks dh j¶rkj gS ckdh
;s fu”kk lQj ds iM+ko gS eftysa vHkh vkSj gSa ckdh

la?k"kksa ls fu[kj fu[kjdj gksrk gS bulku cM+k
,d ,d bZV tqVdj gh gks ikrk gS Hkou [kM+k

egkdkO; lk ftudk thou ,d i`"B eSus [kksyk gS
d.k d.k gS loZ= egÙkk lnk lR; uked cksyk gS

eSys gks tkrs gaS fj”rs fycklksa dh rjg
nksLrh gj fnu dh esgur gS pyk ;w gh lgh
tSlh gksuh pkfg;s oSlh rks ;g nqfu;k ugh
nqfu;knkjh Hkh t:jr gS pyks ;ksa gh lgh

ifjanks dks feysxh mM+ku ;s muds QSys gq, ij cksyrs gSa
jgrs gSa tks [kkeks”k vdlj nqfu;k esa muds gquj cksyrs gSA

viuh gh [kkfe;ksa ds iVds gq, gSa ge
[kqn viuh lyhcksa ij yVds gq, gSa ge
lfn;ksa ls yxkrkj dnerky dj jgs
nqfu;k cny xbZ exj vVds gq, gSa ge

ftl ij gekjh vk¡[k us eksrh fcNk, jkr Hkj

Hkstk rq>s dkxt ogh geus fy[kk dqN Hkh ugh 
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