सिंघल माता का मंदिर
हिमाचल प्रदेश के पांगी क्षेत्र में सिंघल गांव के घने
वृक्ष से घिरा मध्य में एक मंदिर चामुंडा देवी का मंदिर है जिसकी मूर्ति के आगे
एक वृद्धा की प्रणाम की मुद्रा में मूर्ति है। कहते हैं यह वृद्ध माँ चामुंडा से
प्रार्थना पर पत्थर की हुई।
कहते हैं वृद्ध चूल्हे पर खाना पका रही थी कि चूल्हे में
से एक काले पत्थर की मूर्ति निकली उसने वृद्धासे कहा मैं चामुंडा हूँ और तुम्हारे
घर में प्रकट होना चाहती हूँ। वृद्धा घबराई, वह भागी-भीगी
बहु-बेटों के पास खेतों में पहूँची और घटना से अवगत कराया। सुनकर बहु-बेटे हंस
पड़े लगता है माँ जी ने सपना देखा है।
पर वृद्धा नहीं मानीतो एक बेटा बोला जो एक बैल से हल चला
रहा था झुमला कर बोला ठीक यहाँ हल चलाये न हमारा बैल मर गया है, बुढि़या।
बच्चों की झिड़की खाकर वापस आई कि उसी काले पत्थर से आवाज
आई तेरे बेटे-बहुओं ने मेरा अपमान किया है मैं शाप देती हूँ वे पत्थर के हो जाये।
आज से इस गोद में एक ही बैल से सब हल चलायेंगे नहीं तो दूसरा बैल मर जायेगा। कोई
चारपाई पर नहीं सोयेगा।
वृद्धा बदहवास खेती में लौटी कि माँ ने शाप दिया हैं देखा
कि उसके बेटे बहू पत्थर के हो गये हैं। रोते-रोते बुढि़या वापस माँ के पास आई
वहीं प्रणाम की मुद्रा में माँ से प्रार्थना करती बोली ‘माँ मेरा परिवार तो पत्थर
का हो गया मैं क्या करूँगी मुझे भी पत्थर का बना दे’ बस वृद्धा भी वहीं पत्थर
की हो गई तब गांव वालों ने वहाँ पर देवी का मंदिर बना दिया वृद्ध की पत्थर की
मूर्ति आज भी उसी मुद्रा में है।
यह पांगी घाटी के अन्य मंदिरों की शैली का है तथा बेहद
खूबसूरत है।
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