जीवन का आरम्भ
यद्यपि विज्ञान ने इतनी तरक्की की है कि इंसान चांद पर जा पहुँचा हैए परख नली शिशु उत्पन्न हो रहे हैंए अर्थात प्रकृति के कार्यों परए उसकी रचना पर मानव अधिकार करना चाहता है। प्रारम्भ में पृथ्वी आग का गोला थी। जीवन उसमें असंभव था लेकिन लाखों साल में जब ठंडी हुई उस पर पर्त दर पर्त चढ़ती गईए फिर भीषण वर्षा ने चारों और पानी ही पानी कर दिया और वातावरण में कार्बनडाई आक्साइड और अमोनिया भर गई। बिजली गिरने से सूर्य की प्रखर किरणांे से अनेकों रासायनिक परिवर्तन हुए तो छोटे छोटे जीवणुओं की उत्पत्ति हुई। लेकिन फिर भी पृथ्वी पर जीवन का आरम्भ कैसे हुआ नहीं जान पाया है। जीवन का आरम्भ जैली के से नन्हे कण से हुआ या किसी और तरह से यह केवल अनुमान मात्र है।
स्वंय हमारा षरीर छोटे छोटे करोड़़ांे जीवाणुओं से मिलकर बना है। कालचक्र से ये जीवाणु दो प्रकार के बन गये। काई वैक्टीरिया एक तरफ और दूसरी तरफ प्रोटोजा। प्रथम प्रकार से वनस्पति का निर्माण हुआ दूसरे प्रकार से जीव जन्तु का। इस प्रकार से हम कह सकते हैं जीव जन्तुओं के पिता प्रोटोजा है जिसका जन्म समुद्र में हुआ। सर्वप्रथम काई ने फोटो सिन्थेसिस षैली के आधार पर आक्सीजन का निर्माण आरम्भ किया लेकिन उसके भी कई लाख साल अब से करीब बारह अरब वर्ष पहले पृथ्वी पर आया।
जीवन का प्रारम्भ समुद्र में हुआ लेकिन पृथ्वी के स्थान पर उभरने से जमीन का और पहाड़ों का निर्माण हुआ और आॅक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगी। पृथ्वी पर सर्वप्रथम जिस प्राणी का आविर्भाव हुआ वह था एम्फीबियन जो पानी और जमीन दोनों पर जीवित रह सकता था। कभी एक बार यह जीवाणु अधिक विकसित फेफेड़ों के साथ उत्पन्न हुआ और सूखी जमीन पर जीवित रहने में सफल हुआ धीरे धीरे उनकी मात्रा बढ़ी साथ ही ऊँचाई बढ़ती गई। ये जन्तु करीब 70ए000ए000 वर्ष पहले उत्पन्न हुए। ये बहुत भयानक और षक्तिषाली जन्तु ब्रोन्टोसोरस कहलाया है। चमड़ा माँस और हड्डियों का विषाल पिंडए करीब 25 मीटर लम्बाए यह जीव अपने अगले पैरों पर बड़ी मुष्किल से खड़ा हो पाता था। विषाल षरीर के मुकाबले दिमाग बहुत छोटा और अक्ल बहुत कम होती थी। कुछ जन्तु नीचे नीचे आकाष में उड़ने लगे थे वे पक्षियों के पूर्वज पैट्रोसाॅरस थे।
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