ऽ
बात कुछ पुरानी है। सिनेमा हाॅल में मुगले आजम फिल्म का हृदयग्राही दृश्य चल रहा था । सम्राट अकबर ने अनारकली को कारागार में बंद करने का हुक्म दिया और फिर कहा ‘तखलिया’ कोर्निष बजाते कर्मचारी पीछे चलते गये । हाॅल में सन्नाटा था । ठीक पीछे से आवाज आई । एक महिला अपने पति से कह रही थी
,‘ सुनो जी, अकबर इतनी बार तकिया ला तकिया ला कह चुका है पर लाकर कोई देता नहीं, बताओ राजा की भी कोई नहीं सुनता है’। उस महिला की जहाॅं तक बात सुनाई पड़ी उस गमगीन माहौल में भी ठहाके गॅूंज उठे ।
ऽ
मैं एक काव्य गोष्ठी में थी बिटिया दिल्ली रहती है । उसके लिये कुछ सामान पैक करना था मैंने पुत्रवधू को वहीं से फोन कर दिया मुझे देर हो जायेगी समान पैक कर देगी । गोश्ठी में ही पुत्रवधू का फोन आया,‘ माॅं दिल्ली चने भी जायेंगे ; कुटे चने बिटिया को अच्छे लगते हैं मैं किसी से बनवाती हॅूंद्ध उसी दिन घर के पिछवाड़े बिल्ली ने बच्चे दिये थे । उसकी बात पर मैं चैंकी मुझे सुनाई दिया कि बिल्ली ने बच्चे दिये हैं क्येांकि काव्य पाठ चल रहा था ।
पर वो थोड़े से हैं’
‘थोड़े ! चार चार तो हैं, अच्छा घर आकर देखूंगी ’ कहकर फोन काट दिया । बहू समझी चार सौ ग्राम हैं । घर पहुॅची सामान जा चुका था । बहू बोली चने तो ढाई सौ ग्राम भी नहीं थे पर मैंने रख दिये’
‘चने ! चने की बात कर रही थीं ?’अब मेरे चैंकने की बारी थी ।
‘वो तो एक किलो अलग से रखे थे ’
मैं वही तो पूछ रही थी पर मेरी समझ नहीं आया आप क्या बात कर रहीं थी ं
फिर तो पूरे वार्तालाप पर बेहद सब हंसते रहे
ऽ
मोबाइल के आफिस में एक महिला आई और अपना फोन सामने पटकते और नंबर बताते हुए बोली मैंने पोर्ट तो कर दिया है बाकी बिल बताओ भुगतान करना है मुझे इस नंबर को दूसरी कंपनी में बदलना है यह रहा आधारकार्ड और फोटो ’
काउन्टर पर खड़े व्यक्ति ने नम्रता से पूछा,‘ मैडम परेशानी क्या है हमें बताइये’
वह जोर से बोली‘ ,मुझे इस फोन ने सड़क पर ला दिया है’
‘अरे नहीं मैडम ऐसी क्या परेशानी हुई।’ काउन्टर पर खड़े व्यक्ति ने हक्का बक्का होकर कहा ।साथ ही पास खड़े अन्य लोग उसका मुंह देखने लगे ’
उस महिला ने धीरे से कहा,‘ नैटवर्क घर में काम नहीं करता बात करने के लिये बाहर आना पड़ता है’
सब जोर से हंस पड़े ।
ऽ
पाॅंच साल के पोते को ऐसे ही एक रुपया पकड़ा दिया । घर के सामने ही एक खिलौने वाले की दुकान है वह वहाॅं पहुॅच कर बोला एक रुपये का खिलौना देदो । उसने उसे एक फिरकी पकड़ा दी । वह बोला यह नहीं चाहिये कोई और दिखाओ । दुकानदार ने ऐसे ही एक दो चीजें उसे दिखाईं वह मना करता
चला गया ।
दुकानदार खीज कर बोला ,’तू एक रुपये में दुनिया लेले ’
मेरा पोता कुछ क्षण सोचता रहा फिर बोला ,‘दिखाओ’
बच्चों के मुख से
ऽ
मेरा 6 साल का पोता बड़े गौर से पुराना गाना टी वी पर सुन रहा था। एकदम बोला ‘दादी, गाय पेड़ पर चढ़ जाती है ।’
‘गाय पेड़ पर? नहीं तो गाय कैसे चढ़ जायेगी, पर आप ऐसा क्यें पूछ रहे हो?’
‘दादी देखो न टीवी में लड़की गा रही है अमवा की डाली पै गाय मतवाली कोयलिया काली ’
हंसते हंसते बहुत मुष्किल से समझा पाई कि गाय से मतलब गाने से है ।
ऽ
एक समय था जब जैनरेटर नहीं थे और फिल्मों में बिजली चली जाती थी,और बिजली आने का इंतजार ही किया जाता था हमेषा यही मनाते थेकि बिजली न जाये । फिल्म नीलकमल चल रही थी,हीरो
राजकुमार ने डायलाग बोला,‘मैं जानता था नीलकमल तुम जरूर आओगी ’ उसके साथ ही बिजली चली गई। पीछे से किसी कुढ़े हुए व्यक्ति की आवाज उसी लय में गूॅंजी,‘ मैं जानता था बिजली तुम जरूर जाओगी ’।
ऽ
साहित्यिक गोष्ठी चल रही थी ंएक फिल्मी लेखकों की जोड़ी भी वहाॅं बैठी थी । देश विदेश के साहित्य पर चर्चा छिड़ गई थी कि एक लेखक बोला आस्कर वाइल्ड का नाम तो सुना ही होगा’
‘हाॅं हाॅ क्यों नहीं अफ्रीका का प्रसिद्व जंगल है।’
साहित्यकार क्या कहते चुप लगा गये । गोष्ठी से लौटते हुए फिल्मी लेखक के दूसरे साथी बोले फिल्मी आदमी होकर तुमने नाक कटा दी।’
‘क्यों कैसे ?’
‘अरे यार आस्कर वाइल्ड अफ्रीका का जंगल नहीं आस्कर अवार्ड में इस बार सबसे ज्यादा अवार्ड जीतने वाली फिल्म है ’
बात कुछ पुरानी है। सिनेमा हाॅल में मुगले आजम फिल्म का हृदयग्राही दृश्य चल रहा था । सम्राट अकबर ने अनारकली को कारागार में बंद करने का हुक्म दिया और फिर कहा ‘तखलिया’ कोर्निष बजाते कर्मचारी पीछे चलते गये । हाॅल में सन्नाटा था । ठीक पीछे से आवाज आई । एक महिला अपने पति से कह रही थी
,‘ सुनो जी, अकबर इतनी बार तकिया ला तकिया ला कह चुका है पर लाकर कोई देता नहीं, बताओ राजा की भी कोई नहीं सुनता है’। उस महिला की जहाॅं तक बात सुनाई पड़ी उस गमगीन माहौल में भी ठहाके गॅूंज उठे ।
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मैं एक काव्य गोष्ठी में थी बिटिया दिल्ली रहती है । उसके लिये कुछ सामान पैक करना था मैंने पुत्रवधू को वहीं से फोन कर दिया मुझे देर हो जायेगी समान पैक कर देगी । गोश्ठी में ही पुत्रवधू का फोन आया,‘ माॅं दिल्ली चने भी जायेंगे ; कुटे चने बिटिया को अच्छे लगते हैं मैं किसी से बनवाती हॅूंद्ध उसी दिन घर के पिछवाड़े बिल्ली ने बच्चे दिये थे । उसकी बात पर मैं चैंकी मुझे सुनाई दिया कि बिल्ली ने बच्चे दिये हैं क्येांकि काव्य पाठ चल रहा था ।
पर वो थोड़े से हैं’
‘थोड़े ! चार चार तो हैं, अच्छा घर आकर देखूंगी ’ कहकर फोन काट दिया । बहू समझी चार सौ ग्राम हैं । घर पहुॅची सामान जा चुका था । बहू बोली चने तो ढाई सौ ग्राम भी नहीं थे पर मैंने रख दिये’
‘चने ! चने की बात कर रही थीं ?’अब मेरे चैंकने की बारी थी ।
‘वो तो एक किलो अलग से रखे थे ’
मैं वही तो पूछ रही थी पर मेरी समझ नहीं आया आप क्या बात कर रहीं थी ं
फिर तो पूरे वार्तालाप पर बेहद सब हंसते रहे
ऽ
मोबाइल के आफिस में एक महिला आई और अपना फोन सामने पटकते और नंबर बताते हुए बोली मैंने पोर्ट तो कर दिया है बाकी बिल बताओ भुगतान करना है मुझे इस नंबर को दूसरी कंपनी में बदलना है यह रहा आधारकार्ड और फोटो ’
काउन्टर पर खड़े व्यक्ति ने नम्रता से पूछा,‘ मैडम परेशानी क्या है हमें बताइये’
वह जोर से बोली‘ ,मुझे इस फोन ने सड़क पर ला दिया है’
‘अरे नहीं मैडम ऐसी क्या परेशानी हुई।’ काउन्टर पर खड़े व्यक्ति ने हक्का बक्का होकर कहा ।साथ ही पास खड़े अन्य लोग उसका मुंह देखने लगे ’
उस महिला ने धीरे से कहा,‘ नैटवर्क घर में काम नहीं करता बात करने के लिये बाहर आना पड़ता है’
सब जोर से हंस पड़े ।
ऽ
पाॅंच साल के पोते को ऐसे ही एक रुपया पकड़ा दिया । घर के सामने ही एक खिलौने वाले की दुकान है वह वहाॅं पहुॅच कर बोला एक रुपये का खिलौना देदो । उसने उसे एक फिरकी पकड़ा दी । वह बोला यह नहीं चाहिये कोई और दिखाओ । दुकानदार ने ऐसे ही एक दो चीजें उसे दिखाईं वह मना करता
चला गया ।
दुकानदार खीज कर बोला ,’तू एक रुपये में दुनिया लेले ’
मेरा पोता कुछ क्षण सोचता रहा फिर बोला ,‘दिखाओ’
बच्चों के मुख से
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मेरा 6 साल का पोता बड़े गौर से पुराना गाना टी वी पर सुन रहा था। एकदम बोला ‘दादी, गाय पेड़ पर चढ़ जाती है ।’
‘गाय पेड़ पर? नहीं तो गाय कैसे चढ़ जायेगी, पर आप ऐसा क्यें पूछ रहे हो?’
‘दादी देखो न टीवी में लड़की गा रही है अमवा की डाली पै गाय मतवाली कोयलिया काली ’
हंसते हंसते बहुत मुष्किल से समझा पाई कि गाय से मतलब गाने से है ।
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एक समय था जब जैनरेटर नहीं थे और फिल्मों में बिजली चली जाती थी,और बिजली आने का इंतजार ही किया जाता था हमेषा यही मनाते थेकि बिजली न जाये । फिल्म नीलकमल चल रही थी,हीरो
राजकुमार ने डायलाग बोला,‘मैं जानता था नीलकमल तुम जरूर आओगी ’ उसके साथ ही बिजली चली गई। पीछे से किसी कुढ़े हुए व्यक्ति की आवाज उसी लय में गूॅंजी,‘ मैं जानता था बिजली तुम जरूर जाओगी ’।
ऽ
साहित्यिक गोष्ठी चल रही थी ंएक फिल्मी लेखकों की जोड़ी भी वहाॅं बैठी थी । देश विदेश के साहित्य पर चर्चा छिड़ गई थी कि एक लेखक बोला आस्कर वाइल्ड का नाम तो सुना ही होगा’
‘हाॅं हाॅ क्यों नहीं अफ्रीका का प्रसिद्व जंगल है।’
साहित्यकार क्या कहते चुप लगा गये । गोष्ठी से लौटते हुए फिल्मी लेखक के दूसरे साथी बोले फिल्मी आदमी होकर तुमने नाक कटा दी।’
‘क्यों कैसे ?’
‘अरे यार आस्कर वाइल्ड अफ्रीका का जंगल नहीं आस्कर अवार्ड में इस बार सबसे ज्यादा अवार्ड जीतने वाली फिल्म है ’
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