यह कहीं पढ़ा बहुत अच्छा लगा सब को पढाना चाहती हूं
अक्षर अजर अमर है । जड़ चेतन का प्रथम एवं अंतिम आधार है।
अक्षर बोध ही ईष्वर बोध का परम श्रेष्ठ सूत्र है। आत्म बोध प्राणबोध. -ज्ञानबोध-रस बोध एवं जीवन बोध का परम दर्षन सूत्र अक्षर ही है ।
भाषा ईष्वर स्तुति का केप्द्र बिन्दु है। यही परम परमेष्वर के प्रति अगाध प्रेम को प्रकट करने वाला अक्षर ही जीवनदायिनी औषधि है ।
भाषा ईष्वर प्रदत्त न होकर समाजप्रदत्त है भाषा मानव की मूल आवष्यकता है । इसी के द्वारा वह अपने भावों का आदान प्रदान करता है।
अक्षर सर्व सुखम सर्व हिताय की भावना को प्रवाहित करने वाली पुनीत गंगा है।
अक्षर सत्यम् षिवम् सुन्दरम् का जय घोष है अक्षर सत् चित् आनंद का स्वरूप एवं जीवन तारण का मूलमंत्र है । मानव ईष्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है पर जीव जगत का केन्द्र बिन्दु अक्षर सार्व भौमिक है ।
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