‘सरफारोषी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है।’
यह गजल राम प्रसाद विस्मिल की मानी जाती है। लेकिन इसके लेखक हैं बिस्मिल अजीमावदी। हाँ रामप्रसाद बिस्मिल इसकी पंक्तिया गाते बहुत षिदत से थे स्वंय भी षायर थे इसलिये यह उनकी गजल के रूप में प्रसिद्ध हो गई।
‘न किसी की आँख का नूर हॅूं’ यह बहादूर ष्षाह जफर की गजल मानी जाती है लेकिन यह उनके जीवन पर उतर पूरी रही थी लिखी यह जानिसार अख्तर के पिता मुजतर खाराबादी द्वारा।
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