Saturday, 11 September 2021

hippocratic oath

 डाॅक्टर की डिगरी हाथ में लेते समय सब छात्रों की समवेद स्वर में एक शपथ लेनी पड़ती है मैं इस व्रत को निभाने की शपथ लेता हूँ। अपनी बु(ि और विवेक के अनुसार मैं बीमारों की सेवा के लिये ही उपचार करूँगा। किसी को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से कदापि नहीं। मुझे कितना ही विवश क्यों न किय जाय मैं किसी को विषैली दवा नही दूंगा। मै। किसी भी घर में जाऊँ मेरा उद्देश्य बीमारों की मदद करना होगा। अपने पेशे के दौरान में जो कुछ भी देखे या सुनूँ यदि वह प्रगट करने योग्य न हुआ तो मैं उसे कभी जाहिर न करूँगा।

इस शपथ को हिपोक्रेटिक ओथ कहते है यह यूनान के महान चिहित्सिक हिपोक्रेटीज के विचार है।
ईसा से लगभग 460 वर्ष पूर्व यूनान के क्राॅस द्वीप में हिपाक्रेटीज ने जन्म लिया था। हिफेक्रेटीज का जीवन वृत्तान्त अधिक नही मिलता है केवल उसके द्वारा लिखी सत्तर पुस्तकें मिलती है। संभवतः हिपोक्रटीज ने अपनी चिकित्साशास्त्र की पाठशाला थेलीज ;प्रसि( गणितज्ञद्ध द्वारा बनाई पाठशाला को ही बनाया।
हिपोक्रेटीज के समय बीमारी देवताओं की शरण थी। उसका उपचार मंदिर के पुरोहित करते थे महज संयोग मात्र होता था।
हिपोक्रेटीज ने शरीर विज्ञान का बारीकी से अध्ययन कर रोग निदान की दवा बनाई उसने रोगियों की परीक्षा के लिये कुछ नियम बनाये रोगी की आंखों का रंग कैसा है शरीर का ताप, भूख, पेशाब और पखाना नियमित होता है या नहीं आज भी डाॅक्टर सबसे पहले इन्हीं बातों की जानकारी लेते है वह ऋतु परिवर्तन जलवायु पर भी पूरा ध्यान देता था। ऋतु परिवर्तन का मानव शरीर पर प्रभाव पड़ता है इस तथ्य को सामने रखकर उसने ज्योति विज्ञान का भी अध्ययन किया। हिपोक्रेटीज ने डाक्टरों के लिये अनेक नियम बनाये तथा इन्हें सीख दी वो एक आदर्श डाॅक्टर के लिये आग भी उचित उपयोगी है। उदारहण उसने डाॅक्टर से कहा कि वे रोगी का यह बताने से ने हिचकिचाएं कि रोग कितना सयम लेगा इससे रोी अधिक विश्वास करेगा। हिपोक्रेटीज ने चिकित्सक और सर्जन को अलग अलग कार्य करने के लिये कहा आज भी हिपोक्रेटीज के मत अचूक माने जाते है।
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