Monday, 15 July 2024

Bhajan 6

 ☺18

मैया कर दे मेरो ब्याह मंगायदे दुलहिन गोरी सी 

गोरी सी गुनवारी होय भोरी सी बिचारी होय

गोरी नथवारी होय बड़े गोप की लली

ढूँढ दै री माय जामें तेरो कहा जाय 

झट दूल्हा मोय बनाय बात मान लै भली

छोटे हाथन बीच रचायदे मेंहदी थोडी सी मैया कर दे ..........................

थोड़ी सी बरात ग्वाल बाल पाँच सात 

मल हल्दी से हाथ रेशमी पिताम्बर 

बँधाय कर कुल की रीत गोपी गाय देगी गीत 

और दैदे पट पीत शीश सहरा धराय 

धर मुकुट वियहिवेे जाऊॅं कछाय दे कछनी कोरी सी मैया ......................

कोरी मैया करे बात बुरौ बलदाऊ मेरौ भ्रात

ले न जाऊगो बरात रहे मोसे दूर दूर 

कबहू न राखे मेल जाते बिगरौ सिमरो खेल

मेल राखे न कबहू बाकू मोय कहे तू

जा दिनते घर पाये काहू की छोटी मोरी सी मैया ..................

मैया ऐसे ढुंढवाय गोदी में ले बैठाय रूठ जाय ले मनाय मैरो ब्याह करे 

होले होले आय बतराय आवे बातन में रस बाबा नन्द से बताय 

प्रीति बढे मेरी चन्द्र चकोरी सी मैया कर दे ..................



☺19

माई ये मनमोहन के साथ ग्वालन के गये दधि खाने को 

घुसे एक गुजरी के घर में ग्वाल सहित गोपाल 

गोरस की छींके पर मटकी लटकी देख विशाल  

लगे सोचन राह जतन की गुणी हर फन के गये दधि खाने को 

नाँद पे खड़ा किया ग्वाले को ता कांधे चढ़ श्याम 

फिर भी ना पाया मटकी को तो किया अनोखा काम 

मारा है लोटा हन के चतुर बचपन के गये दधि खाने को 

पेंदा फोड़ दिया मटकी का बही दूध की धार 

वारी वारी लगा के चुल्लू पीवे बाल गुपाल

पूरे परन हुये मन के ग्वाल बालन के गये दधि खाने को 

ता विच गोरस बेच के गुजरी आई अपने धाम 

ग्वाल बाल छिप गये तुरत और पकड़ गये घनश्याम 

मन में बसे है गोपिन के नाथ भक्तन के गये दधि खाने 



☺20

सखी री मैने गोविन्द लै लिये मोल 

काहे की डन्डी काहे का है पलरा काहे से ले लियो मोल 

सखी री .....................................

मोहन की डन्डी ऑंखन का है पलरा ह्नदय से ले लियो मोल 

सखी री ................................

कोई कहे गोरो कोई कहे कारो कोई कहे चित चोर 

सखी री .....................................

कोई कहे रूपया कोई कहे पैसा श्याम लियो अनमोल 

वृन्दावन की कुंज गलिन पे मिल गयो नन्द किशोर 




राधे श्याम से आज मिला दो मुझे

सेवा कुंज की राह बता दो मुझे

है यही अभिलाषा श्यामा श्याम के दरशन करूँ

जाऊँ शरण वारिज प्रभु की चरण रज मस्तक धरूँ

कोई सीधी सी राह बता दो मुझे राध्ेाश्याम .............

..बेला या द्रुम भुला मधुकर फूल फल अली बनू

सींचू नैन जल से कुसुम कानन विपिन माली बनूँ

भानु तनया का नीर पिलादो मुझे राधे श्याम .....................

जमुना किनारा पास हो और शरद रैन प्रकाश हो 

आस पूरन हो जभी वृन्दा विपिन में वास हो 

भूमि कि रेशा बना दो मुझे राधे श्याम ................................

या बना मकरन्द मृदु माला मनोहर कुंज की 

कोई तो वस्तु बना दे श्री राधा केलि निकुंज की 

कहीं चित्र समझ के लगा दो मुझे राधे श्याम ..................

भूप ब्रज के रूप रस की वारणी पिया करूँ

झाँकी जुगल बाँकी अदा की सर्वदा किया करूॅं

श्याम वंशी की तान सुना दे मुझे राधे श्याम से ..........................






21

मइया जब मैं घर से चलंू बुलावे ग्वालिन घर में होय 

अचक हाथ को झालो दे के मीठी बोली देवर कह के 

निधरक है जाय सॉकर देके झपट उतारे काछनी मुरली लेत छिनाय 

मैं बालक यह धीगरी मेरो बस न चलाय आपहु नाचे मेाहि नचावे कहा बताऊं तोय 

मइया जब ..................................

मैं भोरो यह चतुर गुजरिया एक दिन ले गई पकड़ उंगलिया 

 टूटी सी जाकी राम कुठरिया धरी मटुकिया मो निकट गोरस की तत्काल      माखन दूंगी घनों सौ जो चेंटी बीनो लाल मैने या की चेंटी बीनी यह निधरक रही सोय मइया जब ..............................

एक दिना पनघट पर मइया  मैं बैठो एक द्रुम की छैया 

ढिंग बैठो बलदाऊ भइया यह ले पहुँची गगरिया सो रपटो जाको पाय 

मेरे गोहन पड़ गई कि धक्का दीनो श्याम गुलचा दे दे लाल गाल किये मैं ठाड़ो रहो रोय मइया जब ...............................

हमें दिखावत हो ठकुराई नन्द बाबा की गाय चराई घर ही में बढि रहे कन्हाई 

तनिक छाछ पर नाच दिखावो कहा सिखावो मोय मइया जब .....................................

भक्तन हित यह देह हमारी  तू कहा जाने जाति की ग्वारी 

बन्शी तीन लोक से न्यारी श्रवण सुनत सुर नर मुनि मोहे जल थल नाद समाय 

मइया जब ..........................


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