Wednesday, 13 December 2023

jeevan ka Arambh

 जीवन  का आरम्भ


यद्यपि विज्ञान ने इतनी तरक्की की है कि इंसान चांद पर जा पहुँचा हैए परख नली शिशु उत्पन्न हो रहे हैंए अर्थात प्रकृति के कार्यों परए उसकी रचना पर मानव अधिकार करना चाहता है। प्रारम्भ में पृथ्वी आग का गोला थी। जीवन उसमें असंभव था लेकिन लाखों साल में जब ठंडी हुई उस पर पर्त दर पर्त चढ़ती गईए फिर भीषण वर्षा ने चारों और पानी ही पानी कर दिया और वातावरण में कार्बनडाई आक्साइड और अमोनिया भर गई। बिजली गिरने से सूर्य की प्रखर किरणांे से अनेकों रासायनिक परिवर्तन हुए तो छोटे छोटे जीवणुओं की उत्पत्ति हुई। लेकिन फिर भी पृथ्वी पर जीवन का आरम्भ कैसे हुआ नहीं जान पाया है। जीवन का आरम्भ जैली के से नन्हे कण से हुआ या किसी और तरह से यह केवल अनुमान मात्र है।

स्वंय हमारा षरीर छोटे छोटे करोड़़ांे जीवाणुओं से मिलकर बना है। कालचक्र से ये जीवाणु दो प्रकार के बन गये। काई वैक्टीरिया एक तरफ और दूसरी तरफ प्रोटोजा। प्रथम प्रकार से वनस्पति का निर्माण हुआ दूसरे प्रकार से जीव जन्तु का। इस प्रकार से हम कह सकते हैं जीव जन्तुओं के पिता प्रोटोजा है जिसका जन्म समुद्र में हुआ। सर्वप्रथम काई ने फोटो सिन्थेसिस षैली के आधार पर आक्सीजन का निर्माण आरम्भ किया लेकिन उसके भी कई लाख साल अब से करीब बारह अरब वर्ष पहले पृथ्वी पर आया। 

जीवन का प्रारम्भ समुद्र में हुआ लेकिन पृथ्वी के स्थान पर उभरने से जमीन का और पहाड़ों का निर्माण हुआ और आॅक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगी। पृथ्वी पर सर्वप्रथम जिस प्राणी का आविर्भाव हुआ वह था एम्फीबियन जो पानी और जमीन दोनों पर जीवित रह सकता था। कभी एक बार यह जीवाणु अधिक विकसित फेफेड़ों के साथ उत्पन्न हुआ और सूखी जमीन पर जीवित रहने में सफल हुआ धीरे धीरे उनकी मात्रा बढ़ी साथ ही ऊँचाई बढ़ती गई। ये जन्तु करीब 70ए000ए000 वर्ष पहले उत्पन्न हुए। ये बहुत भयानक और षक्तिषाली जन्तु ब्रोन्टोसोरस कहलाया है। चमड़ा माँस और हड्डियों का विषाल पिंडए करीब 25 मीटर लम्बाए यह जीव अपने अगले पैरों पर बड़ी मुष्किल से खड़ा हो पाता था। विषाल षरीर के मुकाबले दिमाग बहुत छोटा और अक्ल बहुत कम होती थी। कुछ जन्तु नीचे नीचे आकाष में उड़ने लगे थे वे पक्षियों के पूर्वज पैट्रोसाॅरस थे। 

abhi baki hai vah kal

Friday, 20 October 2023

Rashtra Darshan

 राष्ट्र दर्षन

हमारा राष्ट्र         एषिया महाद्वीप में भारत वर्ष

राष्ट्र गीत          जन गन मन अधिनायक

राष्ट्र ध्वज          तिरंगा

राष्ट्रीय ध्येय        हर व्यक्ति का स्वराज्य

 राष्ट्रीय निष्ठा      सत्यमेव जयते 

राष्ट्रीय साधना      अहिंसा परमो धर्म  

राष्ट्रीय मंच         मानव संरक्षण मानव मात्र कास्वष्ंसिद्ध अधिकार है

 राष्ट्रीय संकल्प     जन सेवार्थ जीवेत ष्षरदः ष्षतम्

 राष्ट्रीय अभिलाषा   सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे सन्तु निरामया

 राष्ट्रीय भूमिका      सार्व भौम प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य

 राष्ट्रीय  भावना     मनमन मंदिर घरघर गुरुकुल गांव गांवगोकुल 

राष्ट्रीय  नीति      जीवन के ष्षाष्वत मूल्यों पर आधारित पंचषील

 राष्ट्रीय  भजन      वैष्णव जन तो तेने कहिये

राष्ट्रीय  सेवा        स्वदेषी स्वाबलंबी स्वयं सेवा

राष्ट्रीय  भाषा        हिंदी और राष्ट्र लिपि देव नागरी

राष्ट्रीय  गणवेष      कृषि गौ सेवा,उन्नत उद्योग बुनियादी षिक्षा   

राष्ट्रीय  वनचर      वनराज सिंह

राष्ट्रीय  पक्षी       मयूर

राष्ट्रीय  पुष्प       कमल

राष्ट्रीय  फल        सुरभित आम    

राष्ट्रीय चिन्ह        अषोक चक्र 

राष्ट्रीयता          वसुधैव कुटुम्बवम

राष्ट्रीय देवता       योगेष्वर विरूवा सूर्य 

राष्ट्र माता           स्वर्गादीप गरीयसी भारत माता

राष्ट्र पिता          महात्मा गांधी

राष्ट्रभविष्य           बालक राष्ट्र निर्माता





Monday, 9 October 2023

sarfaroshi ki tamanna

 


‘सरफारोषी की तमन्ना अब हमारे दिल में है 

देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है।’

 यह गजल राम प्रसाद विस्मिल की मानी जाती है। लेकिन इसके लेखक हैं बिस्मिल अजीमावदी। हाँ रामप्रसाद बिस्मिल इसकी पंक्तिया गाते बहुत षिदत से थे स्वंय भी षायर थे इसलिये यह उनकी गजल के रूप में प्रसिद्ध हो गई। 

‘न किसी की आँख का नूर हॅूं’ यह बहादूर ष्षाह जफर की गजल मानी जाती है लेकिन यह उनके जीवन पर उतर पूरी रही थी लिखी यह जानिसार अख्तर के पिता मुजतर खाराबादी द्वारा। 


Sunday, 8 October 2023

vichtra ped paudhe

 बिहार में मधुबन से सात किलोमीटर दूरी पर स्थित  बासों पट्टी में एक ऐसा पेड़ है जिसकी डालियों और पत्तियों में से बरसात होती रहती है इस पानी के फव्वारे को देखने के लिये हजारों लोग जुटे रहते हैं , तथा इस पानी का सेवन करते हैं  आसाम के जंगलों में भी ऐसी बेलें पायी जाती हैं  जिनसे पीने का स्वच्छ पानी निकलता हैं । दक्षिण अफ्रीका के केपकोरने नामक प्रदेश में पानी बरसाने वाले पेड़ पाये जाते हैं । केपकोरने में वर्षा नाम मात्र को होती है। फिर भी वहाॅं के लोग मजे में खेती वारी करते हैं । यहाॅ कुछ ऐसे वृक्ष हैं  जो बहुत पानी बरसाते हैं ये पेड़ हवा में उठने वाले जलकणों को सोख लेते हैं और रात में उन्हीं कणों को बरसा देते हेंै । 

मैडागास्कर नामक द्वीप में भी प्यासों की प्यास बुझाने वाले वृक्ष हैं । बीस फुट ऊॅचे इन वृक्षों के पत्ते केले के पत्तों के समान बहुत बड़े बड़े होते हैं । एक मोटे तने में केवल दो दिशाओं में निकले ये पत्ते वृक्ष को एक अच्छी शक्ल दे देते हैं । नीचे के किसी पत्ते के डण्ठल  को काटने से उसमें शीतल और स्वच्छ जल का एक सोता फूट पड़ता है फिर थोड़ी देर में आसानी से इतना जल निकल आता है कि आसानी से आठ दस आदमी अपनी प्यास अच्छी तरह से मिटा सकते हैं। मैडागास्कर द्वीप के उत्तर पूर्व में सिचलीग द्वीप समूह है वहाॅं के एक वृक्ष में दो दो नारियल एक साथ लगते हैं और ताकल में बीस बीस किलो के होते हैं

 1926 में मेजर फ्रेंक ए गुड ने न्यू ब्रंजकवक में एक सेव के वृक्ष पर 17 कलमें लगाई थींउन्होंने ब्रंजविक में उगने वाले समस्त सेव एक ही सेव के वृक्ष  पर उगाये कदाचित संसार भर में अपनी तरह का यह एक ही बाग है ।


Saturday, 7 October 2023

vichitr ped podhe

 वृक्ष ईश्वर की ऐसी अदभुत संरचना है जिस पर मानव जीवन का आधार है यद्यपि देखने में मात्र एक वस्तु लेकिन पूरी तरह संवेदनशील । संवेदन शील होने के साथ साथ वह मनुष्य के कितने करीब है यह आजकल व्हासएप में वायरल हो रहे अनेक प्रकार के व्क्षों को देखकर कहा जा सकता है,जिनमें पुष्पों की प्रजाति मनुष्य जैसी आकृति की है । वैज्ञानिकों द्वारा किये गये शोधों से यह बात पूरी तरह अवगत हो चुकी है कि वृक्ष में भी मानव की तरह सांस लेने उन्हें अच्छे बुरे की पहचान संगीत की समझ यानि वृक्षों में भी बुद्धि होती है । हमारे लिये कितना उपयोगी है  यह हम इससे समझ सकते हैं कि मात्र एक पेड़ ही गरमियों के चैबीस घंटों में इतनी हवा ठंडी करता है जितनी बीस एअरकंडीशनर चैबीस घंटे लगातार चलकर भी न कर सकें । पेड़ वायु में घुले अनेक प्रदूषित पदार्थों को अपने अंदर सोख लेते हैं। और गुर्दे रक्तचाप दिमागी बीमारियों से बचाते हैं। इन वृक्षों में भी कुछ वृक्ष अपने आप में कुछ ऐसी विशेषताऐं बढ़ा लेते हैं कि वे आश्चर्य से अभिभूत कर देते हैं । कुछ जातियाॅं ही अदभुत हैं जैसे कुछ वृक्ष ऐसे हैं जो हवा के साथ साथ प्यासों की प्यास भी बुझा देते हैं । 

Friday, 6 October 2023

kya sahi kya galat

 क्या सही क्या गलत ? हम क्या खा रहे हैं -

मिर्च - बीटा कैरोटिन और विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है ,बंद नाक खोलने में सहायक है,खून के थक्के न बनने देने में सहायक है ,खाने का स्वाद बढ़ाती है। षिमला मिर्च लो कैलोरी है हरी मिर्च में लाल मिर्च के मुकाबले अधिक न्यूट्रिटैंट वेल्यू है।एन्टी आक्सीडेंट का अच्छा स्त्रोत है 45 ग्राम लाल मिर्च में 65 मिली ग्राम विटामिन सी होता है 100 प्रतिषत आर डी ए , ऊतक निर्माण और कैंसररोधी तत्व होते हैं। मिर्च में पाये जाने वाले कैप्सीसिन तत्व जिससे तीखापन आता है वह रक्त में थक्के बनने से रोकता है,गठियावात से बचाती है। कीमो थैरेपी से होने वाले दर्द को भी कम करती है। मिर्च से अल्सर होने या अपच की बीमारी होती हे यह सिद्ध नहीं हो सका है



Monday, 2 October 2023

AkShar

 यह कहीं पढ़ा बहुत अच्छा लगा सब को पढाना चाहती हूं

अक्षर अजर अमर है । जड़ चेतन का प्रथम एवं अंतिम आधार है।

अक्षर बोध ही ईष्वर बोध का परम श्रेष्ठ सूत्र है। आत्म बोध  प्राणबोध. -ज्ञानबोध-रस बोध एवं जीवन बोध का परम दर्षन सूत्र अक्षर ही है ।

भाषा ईष्वर स्तुति का केप्द्र बिन्दु है। यही परम परमेष्वर के प्रति अगाध प्रेम को प्रकट करने वाला अक्षर ही जीवनदायिनी औषधि है ।

भाषा ईष्वर प्रदत्त न होकर समाजप्रदत्त है भाषा मानव की मूल आवष्यकता है । इसी के द्वारा वह अपने भावों का आदान प्रदान करता है।

अक्षर सर्व सुखम सर्व हिताय की भावना को प्रवाहित करने वाली पुनीत गंगा है।

अक्षर सत्यम् षिवम् सुन्दरम् का जय घोष है अक्षर सत् चित् आनंद का स्वरूप एवं जीवन तारण का मूलमंत्र है । मानव ईष्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है पर जीव जगत का केन्द्र बिन्दु अक्षर सार्व भौमिक है ।


Thursday, 28 September 2023

kesh khile khile

 

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Tuesday, 26 September 2023

Neero

 जब रोम जल रहा था नीरो बांसुरी बजा रहा था 


रोम की यह कहावत पूरे विष्व में बड़े पैमाने पर कही सुनी जाती है कि नीरो अपने लिये एक अद्वितीय स्मारक बनवाना चाहता था और इसलिये उसने ष्षहर में आग लगवा दी  लेकिन इतिहास में कहीं भी इस घटना की पुष्टि नहीं हुई है । कहा जाता है कि जब रोम जल रहा था नीरो अपनी छत पर खड़ा एक वाइलन बजा रहा था लेकिन वाइलन का आविष्कार 16वीं ष्षताब्दी तक हुआ ही नहीं था कुछ कहते हैं वह वंषी बजा रहा था।इतिहासकार टैसीसस ने आग के कुछ साल बाद जो तथ्य दिये हैं उनमें लिखा है कि जिस समय रोम में अग्नि फैलनी आरम्भ हुई नीरो रोम से 50 मील दूर अपने महल एन्टियम में था अग्निकांड के विषय में ज्ञात होते ह ीवह घटनास्थल की ओर रवाना हो गया था और आग बुझवाने के पूरे प्रयास किये थे । नीरो प्रारम्भ से ही विवादास्पद चरित्र रहा था । उसे जनता सदा धृणा की ही दृष्टि से देखती रही और और उसके लिये दुष्प्रचार करती रही ।


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