Monday, 11 August 2025

Tips

 add a teaspoonful of corn flour to a smaller quantity of curd and mix the curd into warm milk. The milk will set into thick curd in a shorter time especially during winter.

Stale carrots will taste fresh if you soak them in cold water overnight.

While making barbeque sprinkle soar lemon juice over the hot coats in the last few minutes pf grilling to add flavor to chicken or mutton.

The water used for soaring vadas can be used for kneading chapatti dough or making pulao.

To prevent insects from infesting stared rice and other grains.

Beat an egg with a spoonful of milk to make a soft omelette.

Rinse a stainless vessel with water and pour the milk into it when it is still wet .The milk will not get burnt or stick to the base of vessel.

Instead of throughing away the seeds of vegetables like ridge gourd pumpkin red pumpkin ,snake gourd etc collect them. also collect the weeds from fruits like water melon and musk melon .Dry the seeds well in the sun grind them with a little water in a mixture and strain through muslin cloth. This strained liquid can be used for thickening gravies.

Chill egg whites thoroughly for quicker and easier beating.

A pinch of soda bicarb to sugar syrup to prevent the syrup from  crystalising or forming a crust.

Green tomatoes can be ripened faster if you put them in a paper bag along with a ripe tomato or apple

Sunday, 10 August 2025

Vichitra choriyan

 विचित्र चोरियाँ


दिल ही तो है, पता नहीं कब किस पर आ जाये और उसे हासिल करने के लिये कुछ भी कर गुजरने के लिये तैयार हो जाये। हो सकता है वह लकड़ी का मात्र दरवाजा हो या पुराना पुल, पुलिस थाने में हो, या लावारिस पड़ी चीजें।

आस्ट्रेलिया के सिम्बा शहर के थाने में रात्रि को एक बजे सात चोर घुसे। उस समय वहाँ उपस्थित बीसों सिपाही खर्राटे भर रहे थे। चारों ने पुलिस की टेबुल पर पड़ी चोरी की एक सूटकेस बड़ी होशियारी से उठाई और नौ दो ग्यारह हो गये।

अमेरिका में फ्लोरिडा की एक पुलिस चौकी में चोरी हुई और चोर टेलीफोन चुराकर ले गये। इससे भी मजेदार चोरी पोलेंड की राजधारी वारसा में हुई जहाँ चोरों ने पुलिस चौकी में से सिपाहियों के पैरों के जूते गायब कर दिये।

आयरलैंड में टिपरेरी के पास साढ़े बारह मील लम्बी रेल की पटरी चोर ले गये। बहुत दिनों तक रेल का आना जाना बंद रहा। जब फिर से रेलवे लाइन ठीक करने के लिए उस स्थान का निरीक्षण किया गया तो अधिकारी यह जानकर हैरान रह गये कि वहाँ कभी रेलवे लाइन थी कहा ही नहीं जा सकता था। रेल की पटरियाँ, पटरी के नीचे के तख्ते सिगनल के बक्से, सिगनल और रेल के फाटक सब गायब थे।

स्पेन और पोलेंड में लोहे के पुल तक चुरा लिये गये थे। पोलैंड में एक व्यस्त रहने वाला पुल रातों रात चोरी हो गया। स्पेन वालों ने इससे भी बड़ा काम कर दिया था। उन्होंने तीस फुट लंबा पुल दिन दहाड़े ही उठा लिया। यह काम चोर ने दस दिन तक पुल के पुर्जे धीरे धीरे ढीला करके किया। पकड़े जाने पर चोर ने बताया कि उसने यह पुल सरकार से खरीदा है। उस आदमी ने पुल के कलपुर्जे पहले ही बेच दिये थे।

लंदन में एक अंग्रेज परिवार का बगीचा ही चोरों ने गायब कर दिया। गर्मी की छुट्टी बाहर बिताकर जब परिवार वापस आया तो यह देखकर हैरान रह गया कि उनका बगीचा गायब है। पड़ोसियों ने बताया कि उन्होंने देखा था कि कुछ लोग लारियों में आये और सारा लॉन खोद कर ले गये। उन्होंने समझा कि शायद लॉन बेच दिया गया है, इसलिये किसी ने हस्तक्षेप नहीं किया।

लंदन की एक बस्ती में एक चोर ने एक ईंट का भट्टा जिसमें सवा सौ फीट ऊँची धुऐं की एक चिमनी थी, चुरा ली। बाद में चोर ने पुलिस को बताया मेरी प्रेमिका की शर्त थी, यदि चिमनी चुरा लोगे तो मैं तुमसे शादी कर लूंगी।

कनाडा में आठ फ्लेटों की चोरी हो गयी। यह बात द्वितीय विश्वयु( के पहले की है। फ्लेटों का मालिक किराया ज्यादा मांगता था जिससे उसे किरायेदार नहीं मिलते थे, वह किसी भी हालत में किराया कम करने को तैयार नहीं था। जब उसे कोई किरायादार नहीं मिला तो उसने तंग आकर फ्लेटों में ताला लगा दिया। वह कभी कभी चक्कर लगा जाता था। एक दिन जब वह चक्कर लगाने आया तो यह देखकर हैरान रह गया कि उसके आठों फ्लेट गायब हैं। चोरों ने फ्लेटों को ऐसे गायब कर दिया जैसे वे वहाँ थे ही नही। नीवों के नीचे की कंक्रीट तक वे निकाल ले गये थे।

इटली के पार्क में एक ऐसी प्रतिमा थी जिसे सिर्फ स्थानीय लोगों ने ही गढा़ था। यह विशालकाय भारी प्रतिमा रातों रात गायब हो गई और बाद में एक कूड़े के ढेर में पड़ी मिली। इस चोरी के लिये तीन आदमी गिरफ्तार किये गये। उनमें से एक चोर ने कहा मुझे इस मूर्ति से नफरत थी। यह इतनी कला विहीन और भद्दी थी कि मेरे सौंदर्यबोध को इससे आघात पहुंचता था।

कैलीफोर्निया में एक चोर चांदी के बर्तनों की दुकान में घुसा लेकिन केवल लकड़ी का टूटा दरवाजा चुरा कर ले गया। ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका में डरबन में एक दवा के कारखाने में चोर घुसे और सारी बहुमूल्य दवाइयाँ अछूती छोड़कर केवल सिर दर्द की दो लाख पच्चीस हजार गोलियां ले गये।

डेन्चर कालरोडो में में एक कर्मचारी केवल स्पार्कप्लग ही चुराता रहा, पुलिस ने उसके घर से इक्कीस लाख स्पार्क प्लग बरामद किये। उस व्यक्ति का कहना था कि उसे स्पार्कप्लग ही अच्छे लगते हैं उनकी गोलाई ही देखते रहता था।

फ्रांस की एक चालीस वर्षीय अविवाहित स्त्री को विवाह की अंगूठियाँ चुराने को शौक था। उन अँगूठियों को चुराकर उसे अद्भुत तृप्ति महसूस होती थी।


Thursday, 7 August 2025

Ek shirt esi bhi

 एक शर्त ऐसी भी


1907 दोपहर लंदन के राष्ट्रीय खेलकूद क्लब के कुछ सदस्य खाना खाने के लिये एकत्रित हुए। बातचीत के दौरान दो सदस्यों में बहस छिड़ गई कि कोई भी व्यक्ति दुनिया से मुँह छिपाकर दुनिया का चक्कर लगा सकता है या नहीं। ये सदस्य थे जॉन मोर्ग, एक करोड़पति व्यापारी और लार्ड लान्सडेल। लान्सडेल का कहना था कि यह हो सकता है जबकि मोर्गन का कहना था यह नहीं हो सकता।

इस शर्त की समाप्ति 100,000 डालर की रकम के साथ हुई। अब आवश्यकता हुई एक ऐसे साहसी आदमी की जो इस शर्त को पूरा करने में सहयोग दे सके जीवन की एक रसता से ऊबे उसी क्लब के एक सदस्य को जब इस शर्त के विषय में ज्ञात हुआ तो वह रोमांचित हो उठा और इसे सम्पन्न करने के लिये आगे बढ़ आया।

कुछ सख्त नियम बनाये गये जिनमें प्रमुख था कि ड्यूमास के उपन्यास के पात्रों की तरह उसे चेहरे पर एक लोहे का मुखोटा हर समय लगाये रहना पड़ेगा। उसे सामान भी कुछ नहीं दिया जायेगा । बस एक जोड़ी अंदर के कपड़े बदलने के लिये दिये जायेंगे। उसे एक बच्चा गाड़ी खींचनी होगी। उसे एक पाउन्ड खर्चे के लिये दिया जायेगा बाकी आय का साधन उसके पास पिक्चर पोस्टकार्ड होंगे जिन्हें बेचकर अपना गुजारा करना होगा। ब्रिटेन के प्रमुख शहरों से गुजरने के बाद उसे अठारह अन्य देशों के एक सौ पच्चीस शहरों से गुुजरना होगा रास्ते में ही अपने लिये पत्नी तलाशनी होगी। लेकिन मुँह दिखाई की शर्त वही रहेगी, चेहरा पत्नी तक को नहीं दिखा सकेगा। नियमों का पालन ठीक करता है या नहीं इसके लिये उसके साथ एक खुफिया रहेगा जो उसकी गतिविधियों की सूचना देता रहेगा।

हैरी के लिये साढ़े चार पौन्ड का एक लोहे का मुखौटा बनवाया गया। जनवरी 1908 को ट्राफ्लगर स्कवायर से रोमांचित भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच 200 पौन्ड की बच्चा गाड़ी को धकेलता हुआ हैरी अपनी दुनियाँ की यात्रा के लिये निकल पड़ा उसके पास पिक्चर, पोस्टकार्ड थे और जेब में एक पाउन्ड की राशि।

न्यू मार्केट रेस पर उसकी मुलाकात एडवर्ड सप्तम से हुई उन्हें उसने पांच पाउन्ड में एक पोस्टकार्ड बेचा। एडवर्ड ने उसके हस्ताक्षर लेने चाहे तो हैरी ने मना कर दिया क्योंकि यह शर्तो के खिलाफ होता, हस्ताक्षर से उसकी पहचान खुल सकती थी कि वह कौन है।

वैक्सले हीथ में एक पुलिसमैन ने उसे बिना लाइसेन्स पोस्टकार्ड बेचने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया। हैरी अदालत में पहुँचा। तब भी वह मुखौटा लगाये हुए था, जज ने जब मुखौटे पर एतराज किया तो हैरी ने शर्त के विषय में बताते हुए मुखौटा उतारने से इन्कार कर दिया। अदालत ने हल्का सा जुर्माना करके उसे छोड़ दिया और अदालत में उसकी शिनाख्त ‘लोहे के मुखौटे वाला व्यक्ति करके की।’

हैरी वैन्सले ने बच्चा गाड़ी खींचते और पिक्चर पोस्टकार्ड बेचते बारह देशों की यात्रा कर ली। न्यूयार्क, मॉन्ट्रियल और सिडनी से गुजरते हुए उसके पास दो सौ शादी के प्रस्ताव आये लेकिन सबको इन्कार करता हुआ 1914 में वह जेनेवा पहुँचा। अभी उसे इटली और छः अन्य देशों की यात्रा करनी शेष थी कि विश्व युद्ध छिड़ गया। देशभक्त हैरी युद्ध में भाग लेना चाहता था इसलिये शर्त समाप्त कर दी गई और उसे चार हजार पाउन्ड का प्रोत्साहन पुरस्कार दिया गया जिसे उसने दान कर दिया।




Wednesday, 6 August 2025

brij ke bhajan

 61द्रोपदी रो रो करे पुकार आ जाओ द्वारका वासी युवंराज 

पाचों पीतम मेरे बैठे कोई धीर नही देता है दुशासन 

अब लाज बचाओ आय आ जाओ द्वारका वासी 

सब सभा में राजा बैठे कोई नीति नही करता है 

दुशासन चीर उतारे आ जाओ द्वारका वासी 

सुन देर तुरत प्रभु आये अम्बर का ढेर लगाये 

द्रोपदी कृष्णा कृष्णा गुन गाये आ जाओ द्वारका वासी 



62

रथ साजो श्री भगवान द्वारका जइवे 

काहे के चार पहिये लगे कोन गाय दुइ बैल

चन्दन काठ चार पहिये लगे है सुरही गइया दुई बैल

कोन रनिया असवार हुई हे कोन राजा गाड़ीवान

रूकमनि रनिया असवार हुई है कृष्णा राजा गाड़ी वान 

जब जइवे द्वारका नाथ को दरशन करव छाप ले अइवे द्वारका 

श्री द्वारका नाथ तुम्हें में बन्दउ वारम्वार 

अम्वर का अम्वार लगा है 

633द्रपद सुता की सुनी आपने करूणा भरी पुकार 

अम्बर का अम्वार लगा है दुषासन गयो हार 

कोरव के रख पुँज बने है पाडव के रखवार 

गीता ज्ञान दियो अर्जुन को पाई विजय अपार तुम्हें बन्दउ 

विप्र सुदामा को अपनायो दुख दिये सब वर 

सुख सम्पत्ति के भरे भडारे दिया मुक्ति का द्वार तुम्हें 

गज और ग्राह के फन्द छुड़ाये कोन्ही नहीं अवार 

डूबत ब्रज को लियो बचाई नख पर गिरवर धार तुम्हें 

सुर वर मुनि के भये सहाय भक्त के रखवार 

दासी पर भी कृपा कीजे तकू में वार निहार तुम्हें 


64विपत पड़ी शंकर पर भारी धरो भगवान वेा नारी 

प्रकट भस्मा सुर वट रसा वीर प्रवल पर्वत आकार शरीर 

गया कैलाश ईश के तीर लगा तप करन प्रसुर गंम्भीर 

बीते सम्वत सात दिन किया कपट से ध्यान 

जगी समाधि शिव भोला की कहा मांग वरदान 

असुर धर शिव चरणों में साथ कहावर दीजिये भोलानाथ 

धरू जिसके मस्तक पर हाथ भस्म हो जाय वही एक साथ 

एव वस्तु शंकर कही उठा असुर हर वाय

धाया हाथ धरन शंकर पर वर निश्चय हो जाय 

फिरत भोला भागे ससारी धरो .............

कृष्णा करूणा निधान सुर भूप धरो प्रभु पार्वती का रूप 

पहन चून्दण चादर सा रूप किया नख सिख श्रंगार अनूप 

गज गामिन भामिन चली दामिन देख लजाय 

चंचल चपल चनुर एक सुन्दर नैनो सेन चलाय 

मोहनी निश्चर पर डारी धरो ..............

गई भामिन भस्मासुर पास कहे सब हम तुम करे निवास 

छोडो जप भोला तपसी की पास करव हिलमिल निवास कैलाश 

नाच दिखाओ तुम हमें कि जैसे नाचे ईश 

एक हाथ से भाव न ताजो एक हाथ धरो शीश 

लगा नाचन गई मीत भारी धरो ....................

हाथ जब सिर पर वो लाया भस्म हो गया न कुछ पाया 

कृष्णा तुम्हारी अपार माया किया जिन वैसा उन पाया

विश्व मोहनी रूप की प्रस्तुति करे महेेश 

कमला पति ध्वनि निरख मनोहर गावे रूमाल गनेश 


65बद्रीनाथ तेरी कठिन चढ़ाई जरा धोके मे आ गई रे 

आ मेरी बरजेवाप मेरा वरजे वरजे सगा मेरा वीर 

सास मेरी वरजे ससुर मेरा वरजे ननदिया का वीर 

पाँच रूपय्या खरच को वाधे वाह में एक डाला मुनाय 

गोरी कुडं तप कुड न्हाय नाख कुंड नहाय 

जब पेड़ों ने सुफल बुलाया बद्रीनाथ अब राखो लाज

खोलो किवाड़ दरश दिया जन को तुमरे चरणा चल लाय 

जब पड़ो ने सुफल कुलाच बद्रीनाथ अब राखो लाज 

ऊचें ओर नीचे पहाड़ वने हे वरफी में दिया वोराय 

कैलाशी काशी के वासी हर हर विश्व नाथ श्ंाभो 

कर डमरू त्रिशूल विराजे तीन नेत्र सुन्दर सुख साजे 

मस्तक चन्द्र विराजे हर हर महादेव गंगे 

नन्दी वाहन की असुरारी वाये अंग गिरिराज दुलारी 

गण पति गोद विराजे हर हर विश्वनाथ गंगे 

गले बीच मुंडांे की माला गले नाग लिपटाये काला 

सिंगी नाद बजावे हर हर महादेव गंगे 

66

ऐसे मन होय करूँ में फिर फेरा 

बद्रीनाथ केदार के दर्शन नर नारायन तेरा 

जगन्नाथ बलभद्र सहोद्रा चार दिनो का मेला 

आते कल द्वारका के दर्शन शरणा गहू में तेरा 

गया गजाधर बेनी माधव हरिद्वार का मेला 

चन्द्र सखी मन वालश्याम छवि हरि चरणों का चेला 


67मैं तो उन दासो का दास जिन्होने मुझे मोह लिया 

पृथ्वी दान लेन के कारण लियो बह्ना का रूप 

वन वन पड़ो पहरवा मोकू राजा वील के द्वार 

शिवरी गिद्व अजामील मोहे मोहे सदन कसेरू 

सुआ पढ़ावति गणिाका मोही मोही मीरा बाई 

तीन मुठी तन्दुल के कारणा लियो सुदामा मोल 

तीन लोक की सकल सम्पदा भक्ति दई अनमोल 


68बद्री विशाल लाल बेड़ा पार करेगें 

अपना नही दम तो पहाड़ चड़ेले 

पैसा भी नही पास जो छप्पन करेगें 

लुटिया भी नही पास जो जलपान करेगें 

कम्बल भी नही पास जो आराम करेगें 

नारद कुंड गोरी कुंड खूब नहायेगें 

तपतर कुडं नहाय बद्री आप मिलेगें 

करके दयाल दया बद्री आप मिलेगें 


69तुमें ढूढं मैं नाथ पहाड़न में तुम्हें ढढू केदार पहाड़न में 

अलक नन्दिनी जोर बहुत है मेरा जियरा उलझ गया कगार न में तुम्हें 

जगंल जंगल में ढूढ आई मेरा चीर उलझ गया झाड़न में तुम्हें 

जगन्नाथ जी पुरी विराजत बद्रीनाथ हिवाइन में 

रामेश्वर द्वारका के दरशन तीरथ चारो धामन में तुम्हें 

70

दुखियों के दुख दूर करे जय जय श्री कृष्णा हरे 

जब चारों तरफ अधियारा हो आशा का दूर किनारा हो 

जब कोई न खेवन हारा हो तब तू ही बेड़ा पार करे 

जय जय श्री कृष्णा हरे 

तू चाहे तो सब कुछ करदइे विष को भी तू अमृत कर दे 

पूरन करदे उसकी आश्शा जो भी तेरा ध्यान धरे

जय जय श्री कृष्णा हरे 

जो शरणा तुम्हारी आ जावे भव सागर से वह तर जाने 

बस जो भी तेरा ध्यान धरे उन सब का तू कल्याण करे 

जय जय श्री कृष्णा हरे 

तुम आप दया के सागर हो मन मोहन बढ़कर नागर हो 

मुरली धर तेरा गुणा गान करे जय जय श्री कृष्णा हरे 



Anokhi sajayen

 सम्राट काआत्सु का एक मंत्री ख्नि कुएई ;(1090-1155) था उसने चीन के एक बड़े भाग पर एक विदेषी का अधिकार करा दिया उसे प्राणदंड तो मिला ही साथ ही एक अनोखी सजा भी दी गई । जनता में उक बहुप्रचलित पीकदान को उस मंत्री का नाम दे दिया गया  अब युग युग तक लोग उस पीकदान में थूकते रहेंगे और उसके नाम को धिक्कारते रहेंगे ।

जून 2013 अमेरिका के फिलेडैल्फिया ष्शहर के डा॰ केमिट गोस्नेल को तीन बच्चों की हत्या के अपराध में तीन जीवन कैद मिली है जब जब जन्म लेंगे उन्हें पैदा होते ही जेल जाना पड़ेगा । अपराध केवल तीन बच्चों  की हत्या का नहीं है उन्होंने अपने क्लिनिक में 31 साल में 16 हजार गर्भपात किये उस पर असुरक्षित और खतरनाक तरीके से गर्भपात करने और अप्रषिक्षित कर्मचारी को रखने का अपराध भी सिध्द हुआ है ।

आज भी  यदि अद्भुत सजाऐं दी जायें तो क्या कहना । दुनिया भर को न्याय पढ़ाने वाली महाषक्ति की अदालत ने ऐसा अजीबोगरीब फैसला सुनाया और उससे भी अजीब बात यह रही कि इससे भी अजब बात कि इस रकम की वसूली का जिम्मा धोखाधड़ी के षिकार पर ही डाल दिया गया ।

जिसे सजा सुनाई गई न तो वह था और न उसका वकील न उसका पता ठिकाना इसके बावजूद उस पर सजा के तौर पर 61 करोड़ डालर ;3,100 करोड़ रु॰ का हर्जाना लगा दिया हुआ यह कि दुनिया की प्रमुख इंटरनैट कंपनी याहू का नाम लेकर स्पैमर्स ;इंटरनैट के जालसाज, ने फर्जी लॉटरी निकालने का झांसा दिया । लोगों के क्रैडिट कार्ड और अन्य  निजी जानकारियॉं हासिल की गई फिर इनका इस्तेमाल खाते से धन  चुराने में किया गया फर्जी पुरस्कार पाने वालों से मेलिंग चार्ज भी  वसूला गया ।2008 में मामला कोर्ट में गया 2013 में अदालत ने जालसाज पर हर्जाना लगाया है ,पर कोई नहीं जानता दोषी कौन है उसे   ढूंढने का काम भी याहू डॉट कॉम को सौंपा गया ।


Wednesday, 23 July 2025

Bhajan

 55काले नाग के नथैया 

कहत जसोमत सुन मेरी मैया तुमको कंस मरैया 

कहत कृणा जी सुनो मोरी मैया हमको कोन मरय्या 

खेलन गैदं गिरी यमुना में कूद पड़े रघुरय्या 

नाग भी सोवे नागिन विनिया डुलावे फन पे नाचे कन्हेया 

नाग नाथ जब वाहर आये जसुमत लेत बलैया 



56ऐ श्याम सलोना लिये दोना माँगे दान दही का 

कहाँ की हो तुम सुघड़ ग्वालिनी कहाँ तुम्हे है जाना 

बरसाने की सुघड़ ग्वालिनी गोकुल हमें है जाना

जो कान्हा तुम्हें दहिया का शौक है तोड़ लाओ पाता

बना ले ओ दोना माँगे दान दही का 

चार कोने का बना है दोना खाली हो गई मटकी भरा नहीं दोना 

वृन्दावन की कुंज गलिन में पकड़ लियो साड़ी का कोना 

जो बात कान्हा तेरे मन में बसत है वही बात नहीं होना 

चन्द्र सखी भज वाल श्याम छवि मन में बसे मन मोहना


57मगंल क्यों नही गाये जसोदा रानी मगंल क्यों नही गाये

तीन लोकत्रिभुवन के स्वामी सोटेरी धेनु चराये

तीन लोकत्रिभुवन के स्वामी जिनको गोद खिलाये

चन्द्र सखी मन वाल कृपा होव हरि उर कंठ लगाये


58मोरी नइया को पार लगादो माधोजी माधोजी

झोल खाती है जीवन की नइया

प्रभु आकर के बन जाओ खिवैया

मोरी नइया को पार लगादो माधो जी माधोजी

मुझे घेरा है दष्ुटों ने आकर

कोई साथी नही है यहाँ पर 

मेरा दुष्टांे से पीछा छुड़ा दो माधो जी माधो जी

मेरी आखों में छाई अधियारी 

मुझे सूझे न सूरत तुम्हारी 

मेरा दुष्टों से पीछा छुड़ा दो माधो जी माधो जी


59मन मतवाला जपूँ कैसे माला

नैन कहे हम दरशन कोरवे मनवा कहे तुम सोओ दिन सारा 

जिम्या कहे हम हर गुन गइवे मनवा कहे हम खइवे मसाला

हाथ कहे कुछ दान पुन्न करवे मनवा कहे पड़ जइहे अकाला

पैर कहे तीरथयात्रा करवे मनवा कहे पड़ जइहें छाला

न्हाय धोय आसन पर बैठी भ्रम जाल में हाल वे हाला 

इस मन केदस दरवाजे ज्ञान कुठरिया में पड़ गया ताला

जब दश्सवां दरवाजा जनहो मिलते तुरन्त ही नदलाला 

सत गुरू शब्द में मन को लगाकर क्यों नपिये तू अमृत प्याला

तुलसी सोच समझ मेरे भाई क्षमा मे ही बोले गोपाला जय 


60हनुमान जी महा प्रभो नमो नमो 

अजिन के पुत्र महा वलशाली राम दूत नरसिंह भयो प्रभु नमो नमो

जलघि लाँघ मुद्रिका दीन्ही जनक सुता को ताप हरो प्रभु नमो नमो 

लकां जारि मारि असुरन को रघुपत को यश प्रगट भयो प्रभु नमो नमो 

मान हरयो लंकेश वली को असुरन को मत भंग कियो प्रभु नमो नमो 

लाय रत्न चूणामणि दीन्ही जनक सुता को ताप हरो प्रभु नमो नमो 

मेघनाथ माया अति दारूणा लाय संजीवन ध्वंस कियो प्रभु नमो नमो ☺


Tuesday, 22 July 2025

Kya Aap jante hain

 रोमन सम्राट आगस्टस व नीरो ने निर्माण कार्य के खर्च के लिये लाटरी आरम्भ की। इंगलैंड की रानी ऐलिजाबेथ प्रथम ने लाटरी पर पुरस्कार की अनुमति दी थी। हमारे भारत में केरल के साम्यवादी मंत्रिमंडल ने लाटरी षुरू करके खूब पैसा कमाया है इसके पूर्व रूस की साम्यवादी सरकार ने दूसरे महायुद्ध का खर्च निकालने  के लिये लाटरी चलायी और एक लाख रूबल पुरस्कार की घोषणा की। भारत में ब्रिटिष राज्य में ही लाटरी का पा्ररम्भ हो चुका था। 1789 में पीटर मैसे कैसीन नामक व्यापारी ने स्टॉक एक्सचेंज की इमारत बनवाने के लिये लाटरी की योजना सोची। उस समय स्टार पागोडा वाला 3.50 रु॰ कीमत का सिक्का चलता था। ऐसे एक लाख पगोडा के इनाम की घोषणा की गई जिसमें पहला इनाम पांच हजार पागोडा का था,फिर ढाई ढाई हजार के दो, एक हजार के पांच, पांच सौ के दस,,ढाई सौ के बीस ,एक सौ के पचास और पचास के  सौ था बीस पागोडा के 3212 यानि कुल 3400 पुरस्कार रखे गये थे। इसके अलावा पहला टिकिट लेने वाले को 500 और आखिरी टिकिट खरीदने वाले के लिये 360 पगोडा का पुरस्ैकार रखा गया था ।

दमा दम मस्त कलंदर झूले लाल को समर्पित गाना इतना प्रसिद्ध़ हुआ वह अपनी धुन की वजह से और उसे हर प्रसि़द्ध गायक ने गाया  रूना लैला  को सर्वाधिक प्रसिद्धि दमा दम से ही मिली पर  इस अदभुत् धुन को बनाने वाला बिना किसी पहचान के 2017 में लाहौर में चुपचाप इस संसार से विदा होगया । इस यादगार धुन को मास्टर आषिकहुसैन  ने  सजाया था उन्होंने कई फिल्मों में संगीत भी दिया । बाद में उनके हालात बद से बदतर होते चले गये । उनके पास यह गाना लेकर शायर सागर सिद्दीकी पहुॅंचे गायिका नूरजहॉं ने इसे गाया यह धुन पूरी दुनिया में मशहूर हो गई और इस धुन को बनाने वाले को लोग भूलते गये । 


Sunday, 20 July 2025

Tips

 

To gain last sparkle of silver articles rub articles with a paste of gram flour and lemon juice then rinse them in cold water.

To eliminate white ants apply a solution of asafotida and water.

Donot throw away tablets and capsules after the expiry date .Burn them with used mosquito mats and a piece of onion They will act as a strong mosquito repellent

To get rid of white  ants mix a little camphor powder with liquid parafiin and pour into the infested cracks and cervices in furniture and wood work

For flies keep away take a few drops of citronella in a small dish and place near the window.

use salt in water for mopping keep ants away and put a little borax powder or a mixture of kitchen ash and turmeric in the cracks  of doors and windows.

An easy way to get rid of cockroaches in your kitchen seal the edges of th walls of the kitchen and cupboard by applying a paste of boric powder self raising flour mixture with water with the help of a brush cockroaches will remain absent as long as the paste is intact.

Fry used coffee powder  remaining in the floor for a few minutes and keep it in a corner of room .This will keep mosquitoes away

If you do not have an air tight container to keep sweets apply little oil near the opening of line container to prevents ants  from getting in it.

For making refrigerated fish taste like fresh defrost the pieces add 1/2 tbsp of salt and juice of 1/2 lemon keep aside for half an hour .Rinse and soak.

An effective way to preserve meat and chicken stock is to chill the stock in ice trays and use the icy cubes for instant soups.

Place the tap jar of the water filter over the earthen pot This ill get cool filtered water.

Saturday, 19 July 2025

Bhajan

 44मीरा जी तेरो कहा लागे गोपाल 

सखी री मेरो प्रीतम नंद को लाल 

साँप पिटारा भेज्यो राणा दे ओ मीरा के हाथ 

न्हाय धोय जब पूजन लागी है गये सालग राम मीरा 

जहर का प्याला भेज्यो राधा दो मीरा के हाथ 

चरणा धोय चरणामृत लीन्हों हे गये अमृत राज मीरा 

राणा खड़ा सूतजी लिये दऊँ मीरा को मार 

तेरे मारे मरे न मीरा राखन हारों करतार मीरा 

45

तेरे मन्दिर में ऐ मोहन मैं क्या क्या ले के आई हूँ 

तुम्हें अपना बनाने को मैं क्या क्या ले के आई हूँ 

मैं निर्धन हूँ भिखारी हूँ मुझे मत भूलना भगवान 

तुम्हारी पूजा करने को में तुलसी पत्र लाई हूँ 

अगर डूबी भवर में नाव तो इसमें है हँसी तेरी 

यह डूबी नाव को अपने, खिवैया ले के आई हूँ 

मुझे अभिमान है तेरा खड़ी हूँ द्वार पर तेरे 

तुम्हें अपना बनाने को मैं तुलसी पत्र लाई हूँ 

46गोविन्द हरे गोपाल हरे गोबर धन धारी श्याम हरे 

गोपाल मुरारी जगधारी माधव मुकुन्दा जय जय जय 

भव बन्धन जय रघुनन्दन जय वेकुन्ठ निवासी जय जय जय 

वो भाग्यवान नर होता है भूले से जो भज लेता है

वह यम यमपुर यम दूतों को ललकार चुनोती देता है 

गोविन्द हरे ..............................


47भगवान तुम्हारे दरशन को एक दरश भिखारी आया है 

भगवान के दरशन भिक्षा को दो नैन कटोरे लाया है

चलो श्याम चले बीजनपुर करताल पे बाजी बासुरिया 

मन कामना रूपिन गोपिन संग मधुवन में रास रचाया है

एक प्रेम के सुन्दर मण्डप में दिन रात युगल जोड़ी झूले 

भगवान तुम्हारे झूलन को आशाओं का बाग लगाया है

तुम मुझमें रहो मैं तुममें रहूँ पूरणा हो मेरी अभिलाषा 

तुम एक अनेक हो मन मोहन संसार में जिया भरमाया है


48जीवन का मैने सोंप दिया सब भार तुम्हारे हाथों में 

उद्वार पतन अब मेरा हो सरकार तुम्हारे हाथों में 

हम तुमको नही कभी भजते फिर भी तुम हमें नही तजते 

अपकार हमारे हाथों में उपकार तुम्हारे हाथेां में 

हममें तुममें बस भेद यही हम नर हैं तुम नारायण हो 

हम हैं संसार के हाथों में ससांर तुम्हारे हाथों में 

कल्पना बनाया करते हैं एक सेतु विरह सागर में 

जिससे हम पहुँचा करते हैं भगवान तुम्हारे हाथों में 

हम बिन्दु कह रहे हैं भगवान हम नाव विरह सागर में हैं

मझधार हमारे हाथों में पतवार तुम्हारे हाथों में 



49पार्वती गनेश लाल को हँस हँस गोद खिलावत है

ले अमृत मुख धोय लाल को उपर खेस चढ़ावत है

पीले लाल उजल रंग वत्सर चुन चुन के पहनावत है

मोती चूर मगध के लड्डू अपने हाथ खिलावत हैं

मूसा घेर लियो पर्वत पर लाल के वान वनावत है

श्याम सखी पर किरपा कीजे दरशन दे अपनावत है


50गनपत चलो हमारे संग 

बलदाऊ भय्या खड़े बुलावे श्री कृणा जोंड़े हाथ 

धूप दीप ने वेद्य आरती गल फूलों के हार 

पान सुपारी ध्वजा नारियल हरी दूब चड़ाऊँ

मोती चूर मगध के लड्डू भर लड्डू के थाल

सवा मन का करे जो कलेवा जीमों बरात के साथ 

रूक्मण व्याह के घर ले आये हो रहे मगंल चार 

चन्द सखी मज वाल श्याम छवि सुफल भये सब काज 




Thursday, 10 July 2025

Tips

 

cake

To keep iced cake without damaging it place the cake in the lid and gently lower the tin on top. But remember to keep the tin upside down.

Use sunflower oil for cake batter instead of cream. Cake turn out equally tasty and they will be low on calories too.

A little glycerine added to the cake batter makes the cake softer and puffier.

Short of cake tin double the aluminum foil and mould it around the outside of the desired dish .Remove the foil and bake cake in the foil mould.

For a professional touch brush the top of home made biscuits with beaten egg.

The  easiest way to divide a cake into layers is to use a piece of sewing thread .Hold the thread around the cake and pull it to opposite direction. the cut will be neat even and almost crumbles.

To give custard an extra flavor add a tsp of brandy to it just before serving.

Bake cake in greased idli mould instead of in one large bake tin, so instead of getting one cake you'll have plenty of mini cakes.

To prepare a thin dough for pancake wheat flour instead add the flour to the water stirring constantly. This way no lumps are formed and the dough is ready faster. When preparing puddings add a few drops of lemon juice improves the flavor of pudding

If a top of pear cake develops cracks  while baking ,soak a kitchen napkin in warm water ]wring out water and place it over cake. This will bring the edges together.

To get a smooth consistency and avoid uneven cream formation while thickening milk for pudding ice creams etc. add a pinch of soda bi carb  to one lit milk before boiling it .

braj ke bhajan

 9 दिखा दे रूप ईश्वर का मुझे गुरूदेव करूणा कर 

कोई बैकुन्ठ के ऊपर कोई कैलाश पर्वत में 

कोई सागर के अन्दर में बता दे सोया शय्या पर 

कोई दुर्गा गजानन को कहे जगदीश सूरज को 

कोई सब सृप्री का कर्त्ता चतुमुर्ख देव परमेश्वर 

धरे नित ध्यान योगी जन कोई निर्गुणा निरजंन का 

कोई मूरत पुजारी है कोई अगनी के हैं चाकर 

सकल संसार में पूरसा कहे वेदांत के वादी 

वो बह्नानन्द संशय को मिटाकर तार भव सागर 

............................................................................................................

30गुरू हमें दे गये ज्ञान गुदड़िया 

खाने को एक वन फल देगे पीने को दे गये एक तुगड़िया 

बैठक को एक आसन देगें सोवन को एक काली कमरिया 

राम भजन को तुलसी की माला भजन करन को दे गये खंजड़िया 

कहत कबीर सुनो भई साधो हरि के दरश की में हो गई चेरिया 

...................................................................................................................


31गुरू पइया लागू राम से मिलाय दीजो रे 

बहुत दिनन से सोवे मेरा मनवा भज की बेरिया जगाय दीजो रे 

विष से भरे पड़े घर भीतर अमृत बूद चुआय दी जो रे 

रत अधियारी मेरे घर भीतर दीपक ज्योति जलाय दीजो रे 

कहत कबीर सुनो भई साधो आवाागमन मिटाय दीजो रे 

........................................................................................................................

32दिवस शुभ जन्में का आया बधाई है बधाई है

सुयश गुरूदेव का छाया बधाई है बधाई है

हरा है कट भक्तों का तभी भगवान कहलाये

आनन्द जग बीच है छाया बधाई है बधाई है

पढ़ाया पाठ सत्संग का जलाया ज्ञान का दीपक

सुकृति का छत्र फहराया बधाई है बधाई है 

घटाकर मान खल दल का पढ़ाया ज्ञान गीता का 

सभी ने हर्ष गुन गाया बधाई है बधाई है ☺





सतगुरू 

33सतगुय पिया मोरी रंग दे चुंदरिया 

रंग दे रंगा दे मोल मंगादे दया धर्म की लगी वजरिया

सत्य धर्म की चुनरी रंगा दे दया धर्म की डाली बुन्दकिया 

ऐसी चुन्दरी प्रभुजी रंगा दो धोवी धोवे चाहे सारी उमरिया 

जब में चुन्दरी ओड़ के बैठी दया धर्म की लागी नजरिया

कहत कबीर सुनों भई साधो हरि चरनन की हो जँाऊ दसिया 


34अगर सतगुरू जी हमें न जगाते 

तो सतसंग की गंगा में हम कैसे नहाते

जो उपदेश साबुन को हम न लगाते 

तो शान्ति सफाई को हम कैसे पाते अगर 

भक्ति के लोटे में भर कर गंगा जल

तो विश्वास चन्दन की बिन्दी न लगाते अगर 

सुमरिन की साड़ी वो हमको पहिनाते 

तो शन्ति के मूरत में हम कैसे आते

वो सोहन सोहन कहते जगाते

तो मुवित की डोली में हम कैसे जाते

ये गुरू की मदद हो और प्रभु की कृपा हो 

तो संसार सागर से हमको छुड़ाते अगर 

................................................................................


35दरशन कर लीजे जन्म सुधारे मगंला आरती

पहली झाँकी गजानन्द की गबरी पुत्र मनाय

ऋद्धि सिधि संग मे बैठी लड्डू का भोग लगाय 

दरशन ......................

दूजी झाँकी कृपा चन्द्र की करलो चित्त लगाय 

मोर मुकुट पीताम्बर सोहे गल फूलों के घर 

दरशन ...............................

तीजी झाँकीं राम चन्द्र की शोभा वरन न जाय 

शीश मुकुट कानों में कुण्डल धनुष वाण लिये हाथ 

दरशन .........................

चोथी झाँकी चार भुजा की करलो चित्त लगाय 

सबरी दुनिया दरशन को धावे कर दिया बेज पार 

दरशन .........................

पाँचई झाँकी द्वारकानाथ की शोभा वरन न जाय 

रेल पेल से दरशन दीजो मीरा के महाराज 

दरशन ..................

छटई झाँकी मोर मुकुट की शोभा वरन न जाय 

तुलसी दल चरणामृत ले के रोग धोग सब जाय

सातई झाँकी जगन्नाथ की करलो चित्त लगाय

छप्पन भोग छत्तीसो व्यंजन प्रेम से भोज लगाय 

आठई झाँकी बद्री विशाल की करलो चित्त लगाय 

ऊँचे नीचे पर्वत चढ़कर तपत कुइ मेरो नाहाय 

नोई झाँकी हनुमान की शोभा वरन न जाय 

लाल लगोहे सोटे वाले गदा लिये है हाथ 


36खड़े हम दर पर दरशन को खबर कर दो रघुन्नदन को 

यद्यपि आपने कृपा कर दिया रूप धनवान 

किचिंत भक्ति के बिना सब ही है वेकाम 

करूँ क्या लेकर इस धन को खबर ...........

खेल तमाशे में सदा दौड़ दौड़़ मन जाय 

भजन भयंकर सा लगे बुद्धि भृष्ट हो जाय 

कहाँ तक रोऊ इस मन को खबर 

लख चौारासी योनि में नाना कष्ट उठाय 

जियन मरण से है दुखी पड़े शरण में आय 

झुकाये हुये हैं गरदन को खबर .....

पापों से नइया भरी डूब रही मॅंझधार 

कुछ डूबी डूबन चली राम नाम आधार 

लगा दो बेड़ा पार इसको खबर ...........


37भगवान तुम्हारे दरशन को उन्मत भिखारिन आई है

चरणों में अर्पित करने को व्याकुल उर अन्तर लाई है

निठुर जग के बन्धन में फँस पहचान न पाई थी तुमको 

अपनों ने भी ठुकराया जब तब ज्ञात हुआ तेरा मुझको 

निज घर को भी तज अब तुझसे ही अपना कहलाने आई हूँ 

भगवान दरशन ...............

ले भव्य भावना का दीपक स्नेह भरा तन मन धन से 

बाती की हूँ समता किससे बह स्वंय बनी अपने पन से 

खारे आँसू के मोती की जय माला पिरो कर लाई हूँ 

भगवान दरशन ................

मुख पर उसके जो झलक रही जो भरी ह्नदय में विरह व्यथा 

ऐसा भी कोई मिला नही जो सुनते उसकी करूणा कथा 

युग युग सचितं करके ही मैं यह भेट चढ़ाने आई हूँ 

भगवान दरशन ....................................

........................................................................................

38निर्बल के प्राण पुकार रहे जगदीश हरे जगदीश हरे 

सासों के स्वर झनकार रहे जगदीश हरे जगदीश हरे 

आकाश हिमालय सागर में पृथ्वी पाताल चराचर में 

यह मधुर बोल गुंजार रहे जगदीश हरे जगदीश हरे 

जब दया दृष्टि हो जाती है जलती खेती हरियाली है 

इस आस पर जन आधार रहे जगदीश हरे जगदीश हरे 

सुख दुखों की चिन्ता है ही नही भय है विश्वास न जाय 

टूटे न लगा यह तार रहे जगदीश हरे जगदीश हरे 

तुम हो करूणा के धाम सदा सेवक है राधेश्याम सदा 

बस इतना सदा विचार रहे जगदीश हरे जगदीश हरे 

..........................................................................................................


39पितृ मात सखा एक स्वामी सखा तुम ही एक नाथ हमारे हो 

जिनके कहु और आधार नहीं उनके तुम ही रखवारे हो 

प्रतिपाल करो सगरे जग अतिशय करूणा उर धारे हो 

भूल है हम ही तुमको तुमसे हमरी सुधि जाहि विसारे हो 

शुभ शान्ति निकेतन प्रेम निधे मन मन्दिर के उजियारे हो 

उपकारन लो कहु अन्त नहीं छिन ही दिन जो विस्तारे हो 

महाराज महा महिमा तुम्हरी समझे विरले बुधिवारे हो 

इस जीवन के तुम जीवन हो इन प्रानन के तुम प्यारे हो 

तुमसे प्रभु पाय प्रताप हरी कोह के अब और सहारे हो 

.................................................................................................................


40दया निधि तेरे दर को छोड़ कर किस दर जाऊँ मै। 

सुनता मेरी कोन है जिसे सुनाऊँ मेै। 

जब से याद भुलाई तेरी लाखों कष्ट उठाये हैं 

ना जानू या जीवन अन्दर कितने पाप कमायें हैं

हूँ शरमिन्दा आपसे क्या बतलाऊ में दया निधि ....

तुमतो संत जनों के स्वामी तुमको सब फरमाते हैं

ऋषी मुनि और योगी सन्त तुमरा ही यश गाते हैं 

छीटां दे दो ज्ञान का क्या बतलाऊँ में दया निधि ....

ये तो मेरे पाप कपट हैं पास न आने देते हैं 

जो में चाहूँ मिलूँ आपसे दरशन पाऊँ में दया निधि ....

बीती है सो बीती स्वामी बाकी उमर सवाँरू में 

चरणो के ढिग बैठ आपके गीत प्रीत कके गाँऊ में 

छीव दे दो ज्ञान का होश में आऊँ में दया निधि ...

Wednesday, 9 July 2025

Bhajan mala

 8हे मेरे गुरू देव करूणा सिन्धु करूणा कीजिये

हूँ अधम आधीन अशरणा अब शरणा में लीजिये

खा रहा गोते हूँ मैं भव सिन्धु के मझधार में 

आसरा है दूसरा कोई न अब संसार में 

हे मेरे गुरूदेव करूणा सिन्धु करूणा कीजिये।

मुझमें है जप तप न साधन और नही कुछ ज्ञान है.......

निर्लज्जता है एक बाकी और बस अभिमान है .....

पाप बोझ से लदी नैया भँवर में आ रही

नाथ दोड़ो अब बचाओ जल्द डूबी जा रही है

आप भी यदि छोड़ देगें फिर कहाँ जाऊँगा में

जन्म दुख से नाव कैसे पार कर पाऊँगा में है.......

सब जगह भजुंल भटक कर ली शरणा अब आपकी

पार करना या न करना दोनों मर्जी आपकी है......

........................☺....................................................................................................


29 दिखा दे रूप ईश्वर का मुझे गुरूदेव करूणा कर 

कोई बैकुन्ठ के ऊपर कोई कैलाश पर्वत में 

कोई सागर के अन्दर में बता दे सोया शय्या पर 

कोई दुर्गा गजानन को कहे जगदीश सूरज को 

कोई सब सृप्री का कर्त्ता चतुमुर्ख देव परमेश्वर 

धरे नित ध्यान योगी जन कोई निर्गुणा निरजंन का 

कोई मूरत पुजारी है कोई अगनी के हैं चाकर 

सकल संसार में पूरसा कहे वेदांत के वादी 

वो बह्नानन्द संशय को मिटाकर तार भव सागर 

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30गुरू हमें दे गये ज्ञान गुदड़िया 

खाने को एक वन फल देगे पीने को दे गये एक तुगड़िया 

बैठक को एक आसन देगें सोवन को एक काली कमरिया 

राम भजन को तुलसी की माला भजन करन को दे गये खंजड़िया 

कहत कबीर सुनो भई साधो हरि के दरश की में हो गई चेरिया 

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31गुरू पइया लागू राम से मिलाय दीजो रे 

बहुत दिनन से सोवे मेरा मनवा भज की बेरिया जगाय दीजो रे 

विष से भरे पड़े घर भीतर अमृत बूद चुआय दी जो रे 

रत अधियारी मेरे घर भीतर दीपक ज्योति जलाय दीजो रे 

कहत कबीर सुनो भई साधो आवाागमन मिटाय दीजो रे 

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32दिवस शुभ जन्में का आया बधाई है बधाई है

सुयश गुरूदेव का छाया बधाई है बधाई है

हरा है कट भक्तों का तभी भगवान कहलाये

आनन्द जग बीच है छाया बधाई है बधाई है

पढ़ाया पाठ सत्संग का जलाया ज्ञान का दीपक

सुकृति का छत्र फहराया बधाई है बधाई है 

घटाकर मान खल दल का पढ़ाया ज्ञान गीता का 

सभी ने हर्ष गुन गाया बधाई है बधाई है 


jai shree Ram

 राम

चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान् श्री राम का जन्म हुआ था ।गोस्वामी तुलसीदास ने अपने अमरकाव्य रामचरित मानस की रचना भी इसी दिन अयोध्या में आरम्भ की। श्री राम का जन्म मघ्यान्ह काल में हुआ थस इसकारण दोपहर में राम महोत्सव मनाया जाता है । भगवान् श्री राम सदाचार के प्रतीक हैं उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है । भगवान् को उनके सुख समृद्धि पूर्ण व सदाचार युक्त शासन के लिये याद किया जाता हे। उन्हें भगवान् विष्णु का अवतार माना जाता है ।भगवान् श्री राम जीव मात्र के कल्याण के लिये अवतरित हुए थे । हिन्दू धर्म के कई त्यौहार जैसे राम नवमी दशहरा ,दीपावली राम जीवन कथा से तुड़े हैं । श्री राम आदर्श पुत्र,आदर्श भाई,आदर्शमित्र आदर्श स्वामी आदर्श पति आदर्श सेवक माने जाते हैं -

राम एक पुरुषोत्तम हैं राम की महिमा बहुत बड़ी,

लेकिन उनकी महिमा में भी मुश्किल कैसी आन खड़ी

नहीं पूर्ण संपूर्ण कोई यहीं बने इंसान हैं 

दिख जाते हैं दोष अनेकों कैसे कहें भगवान् हैं

बाली को धोखे से मारा वह भी मां का जाई था 

रावण के वध का कारण भी उसका अपना भाई था

केवल कहने भर से राजा न्याय कभी कर पायेगा 

हर युग में कुलटा कहलाकर सीता को ठुकरायेगा

धोखे से गर्भित सीता को मरने जंगल छोड़ दिया

साथ निभाने का जीवन में राम वचन क्यों तोड़ दिया

राम नाम है कष्ट निवारन राम नाम दुःख हर्ता है

उसने कष्ट उठाये क्यों कर राम ही जिसका भर्ता है 

चारो ओर तुम्हारी जय जय किसने कितने त्राण दिये।

जीवन लेना पाप है फिर भी सरयू में जा प्राण दिये ।


Tuesday, 8 July 2025

asprshya

 भारत का आम नागरिक साधारण वस्त्र पहनता है शहरों में वस्त्र विन्यास अवश्य कुछ बदल गया है। पर गाँवों का वस्त्र विन्यास वही है साधारण कपड़े हॉं गाँव की लड़किया शहर में आकर सलवार सूट पहनने लगी है। चेहरा मोहरा साफ रखकर सज कर रहती हैं। उन्हें आप पहचान नही सकते किस वर्ग से है यदि बाल्मीकि वर्ग से थी तब उनका पहनने के वस्त्र अलग होते थे झाड़ू डलिया हाथ में होती थी लंहगा फरिया ही आमतौर पर पहनती थी अब उनको पहचानना मुश्किल हो गया है ऐसे में दलित का बिल्ला लेकर चले वही व्यक्ति पहचाना जा सकता है या आपको मालुम है कि फला व्यक्ति दलित है। 

☺दलित में भी स्पर्श्य और अस्पर्श्य अलग अलग है देखने में सब एकसे तब मंदिरों में भीड़ में कौन जा रहा है कौन दर्शन कर रहा है कैसे पंडे पुजारी इस बात को कह सकते हैं कि उनके मंदिर में यदि अस्पर्श्य घुस जाता है तो मंदिर को गंगा जल से धोते हैं उस गंगाजल से जिसमें स्वयं स्पर्श्य अस्पर्श्य सबका मल बहता है गंगाजल को शुद्व कैसे कह पाते हैं जब उसमें सैंकड़ो लाखों स्नान करने वालो के शरीर का मल वह रहा है उस शुद्व कैसे कह सकते हैं उसे किससे धोयेंगे। लेकिन गंगा के प्रति श्रद्धा है तो वह पाप हारिणी कलुष निवारिणी है ।

Saturday, 5 July 2025

Bhajan mala

 21ये कंचन का मृग नाथ मुझे लगता प्यारा है

मोतिन सीग जड़े अति सुन्दर रतन जटिल सब अंग मनोहर

चलता चंचल चाल वहाँ ने आप सवाँरा है ............

महाराज अब ऐसा कीजे मृग चर्म मुझे ला दीजे

त्रिभुवन पति भगवान मान लो वचन हमारा है ..............

इतना सुन सीता की बानी उठे राम सब कारज जानी

एक हाथ तरकश लिये दूसरे धनुष सवाँरा है...............

आगे आगे मृगया जाये पाछे से धाये रघुराई 

एक वाण जब तान मिरग के उर में मारा है.............

गिरा धरन पर घोर चिकारा हा सीता लखन पुकारा

कोमल चित भगवान आपके धाम सिघारा है ..........

हा हा कर सुनी जब सीता कह लक्ष्मन परम समीता 

तुम्हारे भ्रात पर विपत पड़ी जाओ देओ सहारा हैं............

इतनी सुन सीता की बानी कह लक्ष्मणा सुन भात भवानी

त्रिभुवन पति भगवान उन्हें कोन मारन वाला है

क्रोध वन्त सीता उठ वोली हरि इच्छा लक्ष्मणा मति डोली.....

राम रेख खीच कर चला रघुवंश कुमारा है

तुलसी दास ऐसे रघुराई विपत पड़े तब होय सहाई 

त्रिभुवन पति भगवान उन्हें कोन मारन हरा है 

...................................................................................................................

22मेरी छोटी सी ये नाव तेरे जादू मरे पाँव 

मोहे डर लागे राम कैसे बिठाऊॅं तुम्हें नाव में 

जब पत्थर से हो गई नारी यह लकड़ी की नाव हमारी

करूँ यही रोजगार पालू सब परिवार सुनो सनी दाता कैसे

प्रभु एक बात मानो बिठाऊँ तेरे चरणो की धूल धुलाऊँ 

मेरो सशंय हो जाय दूर अगर तुम्हें हो मंजूर 

तभी बिठाऊॅं तुम्हें नाव में

चरणा बड़े प्रेम से धोये सब पाप जन्म के खोये

हुआ बड़ा ही प्रसन्न संग सिया लखन किये राम 

दरशन आओ बिठाऊँ तुम्हें नाव में.............

चरणा मृत में सबको पिलाऊँ तुम्हें प्ष्ुपों की भेट चढ़ाऊँ

ऐसा समय बार बार नहीं आता सरकार अब तो ..........

वह धीरे से नाव चलाता वह गीत खुशी के गाता 

सोचे यही मन में सूरज डूबे छिन में नही जाय 

वन में बैठे रहे मेरी नाव में मेरी ..............

ले लो मल्हाह उतराई मेरे पल्ले नहीं एक पाई 

करलो यही स्वीकर मेरा होगा बेड़ा पार 

तेरी होगी जय जय कार बैठे आये हैं तेरी नाव में ........

जैसे खिवैया प्रभु तुम हो वैसे खिवैया प्रभु हम हैं

हमने किया नदी पार करना भव सागर से पार 

कमल चढ़ाऊँ तुम्हें नाव में मेरी  


भुवन पर आवत धनुष धरे 

सीता राम लक्ष्मणा भरत शत्रुधन इनमें राम बड़े...

रामचन्द्र चढ़ हाथी आवे हनुमत चंवर धरे

पीताम्बर की कछनी काछे गल जयमाल धरे....

धन्य माग राजा दशरथ के आरति करत खड़े 

अपने मन्दिर से निकली जानकी मुतियन माँग मरे.....

.........................................................................................................


23काले नाग के नथेया 

दूर खेलन मत जाओ प्यारे ललना मारेगी काहू की गैया 

कहत जसोमति सुनो कन्हेैया तुमको कंस मरेया 

कहत श्याम जी सुन मोरी मय्या हमको कौन मरय्या 

खेलत गेंद गिरी जमुना में कुद पड़े कन्हैया 

नाग भी सोवे नागिन विनिया डुलावे ऐ फन पे नाचे कन्हैया 

नाग नाथ जब बाहर आये जसुमत लेत बलैया।

...............................................................................................

24ऐ श्याम सलोना लिये दोनां माँगे दान दही का 

कहाँ की हो तुम सुघड़ ग्वालनी कहाँ तुम्हें है जाना

बरसाने की सुघड़ ग्वालिनी गोकुल हमें है जाना

जो कान्हा तुम्हें दहिया का शौक है तोड़ लाओ पाता बनाय लेओ दोना 

चार कोने का बना है दोना खाली हो गई मटकी भरा नही दोना 

वृन्दावन की कुँज गलिन में पकड़ लियो साड़ी का कोना

जो बात कान्हा तेरे मन में बंसत है वही बात नही होना

चन्द्र सखी भजवाल श्याम की मन में बसे मन मोहना।

................................................................................................................


25मेरो मन लागा फकीरी में

हाथ में कूड़ी बगल में सोठा, चारों मुल्क जगीरीे में 

जो सुख है हरि नाम भजन में सो नही भोज अमीरी में 

भाई बन्धु और कुटुम्ब कबीला, बंध्यो है मोह जंजीरो से 

प्रेम नगर में रैन हमारी भील वीन आई सबूरी में 

आखिर ये तन खाक मिलेगा क्यों फिरता मगरूरी में 

भली बुरी सबही सुन लीजे कर गुरजान गरीबी में 

कहत कबीर सुनों भई साधो प्रभु जी मिले सबूरी में 

......................................................................................................................

26गुरू 

बिना गुरू किये निस्ताव न होयगा।

तू तो कहे मेरे महलदुमहला इसमें तेरा गुजारान दोयगा

तू तो कहे मेरे कुटुम्ब बहुत है इस पर तेरा गुजारा न होयगा

गहरी नदिया नाव पुरानी इसमें तेरा उवार न होयगा

कहत कबीर सुनो भई साधो मानुष तन दुवातन  होयगा।

...........................................................................................................

27आज हमारे आये गुरूजी

चरण धोय गुरू आसन दोन्हा सिघासन पधरावे गुरूजी

धूप दीय नेवेधे आरती पुष्प मालपहिराये गुरूजी

पाँच बेर परिक्रमा करके चरगो शीष झुकाये।

कहत कबीर सुनो भई साधो आवागमन मिटाये गुरूजी।

.......................................................................................................

27गुरू चरणा मिले बड़े भाग्य से 

अपने गुरूजी को भोजन कराऊ रामा सिघासन पधराये गुरूजी

अपने गुरूजी को सारी मगाई राया जल मगवाया हरिद्वार से गुरूजी

अपने गुरूजी को विडिया मगाई रामा इलायची मगाई बड़ी दूर से 

अपने गुरूजी की सेज विछाई रामा फूल मगाये चम्पा बाग से 

...................................................................................................................


गुरू

28हे मेरे गुरू देव करूणा सिन्धु करूणा कीजिये

हूँ अधम आधीन अशरणा अब शरणा में लीजिये

खा रहा गोते हूँ मैं भव सिन्धु के मझधार में 

आसरा है दूसरा कोई न अब संसार में 

हे मेरे गुरूदेव करूणा सिन्धु करूणा कीजिये।

मुझमें है जप तप न साधन और नही कुछ ज्ञान है.......

निर्लज्जता है एक बाकी और बस अभिमान है .....

पाप बोझ से लदी नैया भँवर में आ रही

नाथ दोड़ो अब बचाओ जल्द डूबी जा रही है

आप भी यदि छोड़ देगें फिर कहाँ जाऊँगा में

जन्म दुख से नाव कैसे पार कर पाऊँगा में है.......

सब जगह भजुंल भटक कर ली शरणा अब आपकी

पार करना या न करना दोनों मर्जी आपकी है......

............................................................................................................................


Friday, 4 July 2025

amrit bindu

 बच्चे वे हाथ हैं जिनके सहारे हम जीवन स्वर्ग बना सकते हैं - हेनरी बार्ड बीबर

हमें जिन्दगी की सीख विद्वानों केबजाय अज्ञानी माने जाने वाले बच्चों से मिलती है । - महात्मा गांधी

माता पिता सबसे बड़ा उपहार जो अपने बच्चेां को दे सकते हैं जिम्मेदारी की जड़ें और स्वतंत्रता के पंख - डेनिस वेडली

बच्चों को सांचे में डालना नहीं बल्कि मानसिक तौर पर खोलना चाहिये ।  जैस लेयर

खंडित वयस्कों में सुधर के वजाय बच्चों में सषक्ति का भाव निर्मित करना अधिक आसान है -फेडरिक डगलस

बच्चों को आलोचकों की नीं रोल मॉडल की जरूरत होती है - जोसेफ जुबर्ट

युवावस्था के बाद बचचों से मित्रवत् व्यवहार करें वे जैसे जैसे बड़े होंगे अच्छे दोस्त बनते जायेंग ।- चाणक्य

हर बच्चा अपने साथ यह संदेष लाता है कि ईष्वर अब तक इंसान से नाउम्मीद नहीं हुआ है ।


बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं उन्हें आकार देना बड़ों के हाथ में है ।

फर्ष से एक एक सीढ़ी चड़ना आदमी को आदमी बनाये रखता है

यात्रा का अंत नहीं होता वह तो रास्त ही रास्त है चरवैति चरवैति


Sunday, 29 June 2025

samay ki umra

 समय की उम्र



समय की उम्र ज्ञात करना भी एक मुश्किल कार्य है। पृथ्वी पर कई तह हैं और ये तह पृथ्वी के बनने के बाद से समय समय पर बनती रहती हैं। रेडियो तरंगों से और अन्य तरीकों से वैज्ञानिक अनुमान लगा लेते हैं। यदि कोई जीव धरातल की सतह में हो तथा सतह के समय का ज्ञान हो तो उससे जीव के काल का पता लग जाता है। जीवाष्मों से सतह की उम्र का भी अंदाज लगता है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। 

मानव के जन्म से करोड़ों वर्ष पूर्व इस पृथ्वी पर सरीसृप जाति के जीवों का साम्राज्य था। नवीनतम खोजों के अनुसार डायनोसोर पृथ्वी पर बाईस करोड़ अस्सी लाख वर्ष पहले विचरण करते थे। अमेरिका और अर्जेन्टीना के वैज्ञानिकों ने समय की मोटी-मोटी परतों को बेधकर एक ज्वालामुखी की राख से यह पता लगाया कि इनका समय बाइस करोड़ पचास लाख वर्ष है। साथ ही एंडीज पर्वत श्रेणी की तराई में एक डायनोसोर के जीवाश्म ढूँढ़ निकाले हैं। पूरा प्राणी भीमकाय न होकर आकार प्रकार में एक कुत्ते जितना है। दो पैरों वाला यह सरीसृप नाक से पूँछ तक एक मीटर से कुछ लम्बा था ,और उसका वजन था 11 किलोग्राम, इस जीव का पता अक्टूबर 1991 में पाल सेरेना और ए फ्रेजे मोनेटो नामक वैज्ञानिकों ने लगाया, इसका नाम उन्होंने ‘इओरेप्टर ’ रखा। अजेंन्टाइना  की स्थानीय भाषा में इसका अर्थ होता है ‘उत्पत्ति काल का जीव’ ।

ये जीव रीढ़ की हड्डी रहित होता था। रीढ़ की हड्डी वाले जानवर में मछली चिड़िया एवम स्तनपायी जानवर आते थे और बिना रीढ़ वालों में रेंगने वाले जानवर आते हैं। इनका रक्त ठंडा होता था ,ये अपने शरीर के तापमान को घटा बढ़ा नहीं सकते थे। उनका जीवन मौसम के साथ चलता था। गर्म दिन इनके लिये खुुशगवार दिन होता और ये सक्रिय रहते थे। ये सभी सरीसृप अंडे देते थे। अब रेंगने वाले जीव केवल गर्म प्रदेशों में ही पाये जाते हैं। ऐतिहासिक काल में धु्रव प्रदेश को छोड़कर अन्य सब स्थानों पर जलवायु विषवत् तथा समसीतोष्ण प्रदेशों के समान गरम थी। 

प्रागैतिहासिक काल का आर्चोसोरस का अंश आज के मगर में तथा समुद्र के विशाल कछुए में देखा जा सकता है। कोई कोई कछुआ 160 किलो का भी होता है। ये विशाल कछुए हिंद महासागर में पाये जाते हैं। सबसे पहले ये रीढ़ वाले प्राणी मछली के रूप में पानी में पाये जाते थे। धीर-धीरे इन प्राणियों ने पानी से बाहर रेंगना प्रारम्भ किया। सबसे प्राचीन पानी का जीव कनाडा में पाया गया जिसे फ्लाईलोनेमस का नाम दिया गया।

धीरे धीरे रंेगने वाले प्राणी बढ़ते गये और स्थान स्थान पर फैल गये। कुछ रेगिस्तान में रहने लगे कुछ दलदल में। ये भयानक छिपकलियाँ विशाल रूप लेती चली गई। ये शाकाहारी होती थीं। ये डायनोसोर आलसी भी होते थे। एक प्रकार का डायनोसोर तो चलता फिरता टैंक था और मोटी मोटी  हड़ीली पर्तो से ढका था। बाईस करोड़ साल पहले डायनोसोर बहुत आम जीव था, लेकिन हमारे लिये विचित्र और अदभुत् संभवतः दूसरे ग्रह के प्राणी के समान। 

प्राप्त जीवाश्मों से ही इनके प्रारम्भिक जीवन खानपान और शारीरिक संरचना के विषय में ज्ञात होता है। इनकी खाल भूरी हरी सी होती थी। मांसाहारी डायनोसोर का जबड़ा मजबूत और नुकीले दांत होते थे, जिससे वे मांस चीर फाड़ सकंे। शाकाहारी जीव के दांत नुकीले न 


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होकर पिसाई मशीन के दांत की तरह सींगों के से होते थे। जिससे डालियाँ आसानी से काटी जा सकें। 

सबसे पहले मेगालोसोरस नामक डायनोसोर का नामकरण हुआ। यद्यपि 1824 तक यह ज्ञात नहीं हो सका कि यह जीव डायनोसोर है या ऐसा प्राणी है कि पृथ्वी पर कभी पाया जाता था। 1600 में छपी एक पुस्तक में मेगालोसोरस की एक विशाल हड्डी का चित्र था उस समय लोगों का यही अनुमान था कि वह किसी विशाल मनुष्य की हड्डी है।

अब तक के ज्ञात डायनोसोर में ब्रेंाकियोसोरस सबसे विशाल था। संभवतः इसका वजन सौ टन या इससे भी अधिक होता था। इसका प्राप्त जीवाश्म 90 फिट लम्बा है। इसका सर 39 फुट जमीन से था। ब्रेकियोसोरस उत्तरी अमरीका और अफ्रीका के दलदली इलाके में पाया जाता था, यद्यपि यह थलीय प्राणी था लेकिन पानी में इसके भारी शरीर को अच्छा सहारा मिलता था। इसके जीवाश्म अधिकतर दलदली इलाकों में पाये जाते हैं। भारी शरीर अपने आपको दलदल में से निकाल नहीं पाता था और वहीं फंस कर मर गया। 

टाइरनोसोरस सभी डायनोसोर क्या अब तक के ज्ञात सभी प्राणियों में भयानक था। इसकी ऊँचाई जमीन से करीब 13 फुट और लम्बाई पचास फुट थी। इसके पेंसिल के समान लंबे लंबे नुकीले दांत थे। टायनोसोरस के जीवाश्म उत्तरी अमेरिका और एशिया में पाये गये। 

कुछ डायनोसोर ऐसे थे जिनके कूल्हे की हड्डी पक्षियों से मिलती हुई थीं। इनमें चार जातियाँ मुख्य थीं आर्नीथोपोडस, स्टेगोसोरस, एन्किलोसोरस, सेरेप्टियोसियन्स। अनीथोपोडस अपने दोनों पिछले पैरों पर चलता था। बाकी के अन्य अपने चारों पैरों पर। स्टेगोसोरस के मछलियों केे शक्ल जैसे शंकु पीठ पर लगे रहते थे। एन्किलोसोरस के पीठ पर मोटी परतें रहती थीं ,सिरेटायसियन्स के सींगों के पीछे झालर सी लगी रहती थी। पैसीसिफैलोसोरस की खोपड़ी मनुष्य की खोपड़ी से पच्चीस गुना मोटी और मजबूत होती थी। लेकिन करीब करीब सभी डायनोसोर का मस्तिष्क मुर्गी के मस्तिष्क के बराबर होता था।

पेट्रोसोरस आकाश में उड़ते थे, लेकिन थे रंेगने वाले जीव ही। हैरानी है कैसे समुद्र से पृथ्वी पर आये और उड़ने कैसे लगे? संभवतः कुछ प्रारम्भिक डायनोसोर जो पेड़ों पर रहते थे। उनके पैरों पर झिल्लियाँ बन गईं। क्योंकि वे एक पेड़ से दूसरे पर कूदते थे। धीरे धीरे वे उनसे ग्लाइडर का काम लेने लगे। आजकल भी कुछ उड़ने वाले पशु जैेसे छिपकली गिलहरी बिलाव पाये जाते हैं। धीरे धीरे पैट्रोसोरस के मजबूत नाड़ी तंत्र भी विकसित हो गया।

सभी पैट्रोसोरस का शरीर छोटा होता था ,लेकिन पंख बड़े बड़े थे। लम्बे भारी जबड़ों में दांत नहीं होते थे, लेकिन नुकीली हड्डियाँ रहती थीं। पैट्रोसोरस के पंख खाल की पतली झिल्ली के समान थे और सामने की ओर से हाथ की कन्नी उंगली जो अप्रत्याशित रूप से लम्बी हो जाती थी। उससे धनुषाकार रूप में जुड़े रहते थे। लम्बी पूँछ संतुलन बनाये रखती थी। पैट्रोनोडोन नामक डायनोसोर चिड़िया के सिर पर हड्डी का सा मुकुट था। संभवतः वह उड़ते समय सिर को सीधा रखने में सहायक होता था। पैट्रोसोर तो अधिक बड़े नहीें होते थे। परन्तु पैट्रोसोडोन के एक पंख का फैलाव करीब पचास फुट का था। 

समुद्र के डायनोसोर में इचीथिसोरस और प्लैसीसोरस बहुतायत में पाई जाने वाली जातियाँ थीं। इचीथिसोरस पानी में ही रहता था जबकि प्लैसीसोरस कभी कभी जमीन पर भी आ जाता था। मौसासोर पानी की विशाल छिपकली जैसा था। प्लैसीसोरस के पैडल नुमा पैर तैरने में सहायक होते थे। विशाल बरमूदा क्षेत्र में खींचा गया लाचनेस का चित्र प्लैसीसोरस से मिलता हुआ है। यद्यपि यह विवादास्पद ही है कि वहाँ क्या देखा गया था।

मैरी एनिंग सन 1799-1847 पहली महिला थीं जिन्हेांने इचियोसोर, पलैसीसोर और 

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पैट्रोसोर के कंकालों को एकत्रित किया था। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन इंगलैंड के डोरसेट शहर में व्यतीत किया और पिता की तरह जीवाश्मों की खोज करती रहीं। डोरसैट तट जीवाश्मों के लिऐ प्रसिद्ध रहा है। 

संभवतः डायनोसोर पृथ्वी पर हुए परिवर्तनों की वजह से अपने को जीवित नहीं रख पाये। पेड़ों और पौधों के आकार प्रकार बदल गये जो उनका भोजन नहीं था। ठंडा खून होने की वजह से पृथ्वी का ठंडा होता वातावरण उन्हें जीवित रखने में असमर्थ हुआ। यह सब अनुमान ही है ,लेकिन वास्तव में इतना विशाल प्राणी अपना आस्तित्व क्यों नही रख पाया यह पहेली ही है?  कई करोड़ वर्ष तक कई युगों में और कई भौगोलिक परिवर्तनों में अपना साम्राज्य रखने के बाद एकाएक थोड़े से समय में क्यों खत्म हो गये?

लेकिन अब उन्हें जगह जगह प्राकृतिक संग्रहालय में देखा जा सकता है। जैसे जैसे जीवाश्म मिलते जाते हैं, उनके कंकालों में और आकृति में सुधार किया जाता है। 

लंदन के क्रिस्टल महल की 1854 की प्रदर्शनी में डायनोसोर को पूर्ण आकृतियों में दिखाया गया था। इनका निर्माण बेन्जामिन वाटर हाउस हाकिन्स ने प्रोफेसर रिचर्ड ओन के निर्देशन में किया था।

मंगोलिया और गोबी रेगिस्तान जीवाश्म अन्वेषकों के लिए भंडार हैं। यहाँ क्रेटेसस युग के डायनोसोर के जीवाश्म बहुतायत में पाये गये। यहाँ पर प्रोटोसरेटॉप के अंडो का समूह पाया गया।

तंजानिया में बींसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ब्रेंकोसोरस, स्टेगोसोरस तथा अन्य उड़ने वाले सरीसृपों के जीवाश्म प्राप्त हुए थे। 

अर्जेंटाइना में सरोपोड और क्रटेसस युग के डायनोसोर मिले थे। ब्रूसेल्स के प्राकृतिक ऐतिहासिक संग्रहालय में 1877 में मिले डायनोसोर को आकार देकर 20 कंकाल रखे हुए हैं।








Friday, 20 June 2025

hasyam sharnam gachhami

 

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Friday, 11 April 2025

Bhajan

 10फुलन के वाजू बन्द फूलन की माला 

गइया चराय घर आये नन्द लाला 

माथे पर मुकुट सोहे कानों में वाला

रतन जड़ित जाके उंगिलिन में छाजा 

आगे आगे दाऊजी पीछे पीछे ग्वाला 

बीच बीच नाचे मदन गोपाल

जामा पचंरगी सोहे पीत दुःशाला 

गले सोहे हीरा लाल मोतीयन माला, 

चन्द्र सखी भज वाल कृष्ण छवि 

निरखि निरखि मन मोहे बृज बाला

फूलन के सेज गले वन माला 

गइया चराय घर आये नन्द लाला 










11राजाराम ने पठ़ाये हनुमान जड़ी तो संजीवन की 

भरी सभा में बीड़ा डालो राम चन्द्र भगवान

इस बीड़ा को कोई नही झेले झेलेगें श्री हनुमान जड़ी सो ............................

उठे पवनसुत बैठ पवन सुत पहुँचे लंका जाय

खबर पड़ी राजा रखया कू पर्वत दियो है जलाय जड़ी तो संजीवन की 

ठाड़े हनुमत सोच करें हैं सोच करे मन मार

संजीवन तो कहूँ नही पाई पर्वत लियो है उठाय जड़ी तो संजीवन की 

उठे पवन सुत बैठ पवन सुत पहुँचे अयोध्या जाय

ताल वान गोदे में मारो राम ही राम पुकार जड़ी तो सजीवन की .............

कोनस के तुम पुतर कहियो कहा तुम्हारो नाम

कोन रजा की करो नौकरी कौन के लागा शक्तिवान जड़ी तो संजीवन ......................

अंजनी के हम पुत्तर कहिये हनुमान मेरो नाम 

राजा राम की करें नौकरी लक्ष्मण के लागा शक्तिवान जड़ी तो संजीवन की 

उठे पवन सुत बैठ पवन सुत पहुँचे लंका जाय 

संजीवन तो घोट पिलाई दई लक्ष्मण लिये है जिलाय जड़ी तो संजीवन की .............

तुलसी दास आस रघुवर की हरि चरणों चित लाय

जैसे कारज  राम के सारे वैसे ही मेरे भी सारो



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12घर आयेगें श्री भगवान शिवरी के मन हरष भयो

वोले वचन मतंग ऋषि तू सुनि शिवरी मेरी बात 

एक दिना तेरे घर आयेगे लक्षमन और श्री राम 

शिवरी के मन हरष मयो..................

वचन सुने निश्चय कर मन में छोड़े गृह के काज 

बार बार घर भीतर आवे देखत लक्ष्मन राम

शिवरी के मन हरष भयो...................

चरण धोय चरणमृत लीन्हो आसन दियो बिछाय 

कन्दमूल फल देनन लागी रूचि रूचि भोग लगाय

शिवरी के मन हरष भयो.............

शिवरी जैसी जात अधम की दीन्ही धाम पठाय 

श्याम कहे विश्वास रखे से घर बैठे प्रभु आय  

 शिवरी के मन हरष भयो................







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13राम दशरथ के घर जन्में घराना हो तो ऐसा हो 

लोग दर्शन को चले आवे सुहाना हो तो ऐसा हो 

यज्ञ का काम करने को मुनीश्वर ले गये वन में 

उड़ये शीष दैत्यन के निशाना हो तो ऐसा हो 

तोड़ डाला धनष्ुा जाकर जनक की राजधानी में 

भूप सब मन में शरमाये लजाना हो तो ऐसा हो

पिता की मान कर आज्ञा राम वनवास चल दिये

न छोड़ा साथ सीता ने जनाना हो तो ऐसा हो

सिया को ले गया रावण बना कर भेष साधु का 

कराया नाश सब अपना ठिकाना हो तो ऐसा हो

प्रीति सुग्रीव से करके गिराया वाण से वाली

दिलायी स्त्री तब उसकी याराना हो तो ऐसा हो 

गया हनुमान सीता को खबर लेने को लंका में 

जला कर के नगर आया सताना हो तो ऐसा हो 

बाँध सेतु समन्दर में उतारा पार सेना को

मिटाया वंश रावण का हराना हो तो ऐसा हो 

राज्य देकर विभीषण को अयोध्या लोटकर आये

वो गंगा बालधर अपना दिखाना हो तो ऐसा हो 



14रावण की सभा में विभीषण के उर लात लगाई भारी है

हा राम राम सुमरन करके चल दिया तुरन्त ब्रह्मचारी है

क्यों अब भी शोखी मार रहे लंका को जलाकर ताप रहे

एक बन्दर शान विगाड़ गया अब आई तुम्हारी वारी है।

है माई कहन मेरी मानो श्री राम से बैर न तुम ठानों

सीता को कर अर्पण प्रभु के लंकेश सलाह ये हमारी हैं

शिव सुनो विभीषण चल दिन्हा रामा दल के हनुमत चीन्हा

श्रीराम तरफ गये चरणा कमल चरणों में शीष दियो डारी

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15गुरू पास रहे या दूर रहे नजरों में समाये रहते हैं

इतना तो बता दे कोई हमें क्या कृपा इसी को कहते हैं

दुखियों की मंजिल लम्बी है जीवन की घड़िया थोड़ी है

इन दोनों को समझो एक समान गुरू अपना बनाये रहते हैं

जिस अंश के सारे अशी है उस श के हम भी वंसी है

माया में फंस कर झूले हैं गुरू याद दिलाये रहते हैं।

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16घड़ी दो घड़ी राम गुन गाया करो

शील सनेह की दरिया विछाई

प्रेम का पंखा डुलाया करो 

घड़ी दो घड़ी......................

सत संगत की बैठक जोड़ी 

प्रेमी भक्त बुलाया करो

घड़ी दो घड़ी राम गुन गाया करो

चेारी बुराई और पर निन्दा 

कोई कहे समुझाया करो

घड़ी दो घड़ी राम गुन गाया करो

गंगा बाई कहे कर जोरी 

हरि के चरण चित लगाया करो 

घड़ी दो घड़ी राम गुन गाया करो

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20भज मन राम राम राम तज मन काम काम काम

भोर मई मुख मल मल धोयो रे

धोय धाय तेने उदर ढढोरो रे

मुख से मजो न राम मजमन...............

बातन बातन सब दिन खोयो रे 

साँझ मई पलका चढ़ सोयो रे 

मारे होत उठो जाय मजमन ...............

भाई बन्धु और कुटुम्ब कबीला रे 

महल तिवारी तेरे धन बहुतेरे रे 

संग चले न छदाम मज मन ........................


Monday, 17 March 2025

Tips

 

To achieve a super smooth look when powdering the  face always warm the puff first this works for loose powder ,presses powder or powder and foundation combined

Clean out an old nail varnish bottle ,and brush with acetone wash and dry them. now have a hand bag size container for anti septic ,complete with its own applicator Useful for picnic stings and scratches .

A slice of dry bread placed over cooked and drained rice will absorb all the excess moisture leaving the rice dry and  pluffy.

If you are making banana chips .place the peeled bananas inside a vessel of water and add butter milk to it .Take out after five minutes and then slice them .Thus prevents the blackening of banana chips.

To prevent milk from spoiling during the summer season add a pinch of cardamom powder in the milk ]it will act as a preservative.

You can break a coconut in equal parts without any difficulty if you dip it in water for a while.

 add half a cup curd to chopped onions before frying them. Curd improves the taste and flavor of the curry it is also a handy substitute for tomatoes.

Sunday, 9 February 2025

Bhajan 24

 1ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करें। 

जो ध्यावे फल पावे दुःख बिन से मन का  सुख सम्पत्ति घर आवे कष्ट मिटे तन का 

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे मात पिता तुम मेरे शरणा गहूॅं  किसकी

तुम बिन और न दूजा आस करूॅं मैं जिसकी  तुम पूरण परमात्मा तुम  अर्न्तयामी

पार ब्रह्म परमेश्र तुम सबके स्वामी ओम.....तुम करूणा के सागर तुम पालन करता

मै मूर्ख खलकामी कृपा करो भरता ओम.....तुम हो एक अगोचर सबके प्रजापती

किस विधि मिलूं दया निधि तुमको मैं कुमती ओम....

दीन बन्धु दुख हर्त्ता तुम ठाकुर मेरे अपने हाथ उठाओ द्वार पड़ा तेरे 

विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ सन्तन की सेवा 

ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।  










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2जय जय सुर नायक जन सुख दायक प्रणत पाल भगवंता

गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिन्धु सुता प्रिय कंता

पालन सुर धरनी अद्भुत् करनी मर्म न जानय कोई 

जो सहज कृपाला दीन दयाला करहु अनुग्रह सोई

जय जय अविनाशी सब घट वासी व्यापक परमानन्दा 

अविगत गोतीतं चरित पुनीतम माया रहित मुकुन्दा 

जोहि लागि विरागी अति अनुरागी विगत मोही मुनि वृन्दा 

निशि वासर ध्यावहि गुनगन गावहि जयति सो श्रद्धा नन्दा

जेहि सृष्टि उपाई त्रिविध बनाई संग सहाय न दूजा 

      सो करहुं अधारी चिन्त हमारी जानहि भगति न पूजा 

सो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गजंन विपति वरूथा 

मन बचि क्रम वानी छाड़ि सयानी सरल सकल सूर यूथा

शारद श्रु्रति शेषा ऋिषिय अष्ेाषा जा कहु कोई नहीं जाना 

जेहि दीन पियारे वेद पुकारे द्रवहु सो श्री भगवाना

भव वारिध मन्दिर सब विधि सुन्दर गुण मन्दिर सुख पुंजा 

मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कजां 

जानि समय सुर ऋषि मुनि सकल समेत सनेह 

गगन गिरा गभीर भई हरहु षोक सन्देह 

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3हरि ओम तत्सत हरि ओम तत्सत जपा कर जपाकर जपाकर जपाकर 

जो दुष्टों ने लोहे का खम्बा रचा था तो निर्दोष प्रहलाद क्यों कर बचा था

करी थी विनय एक स्वर से जो उसने हरि ओम....

लगी आग लंका में हलचल मचा था  तो घर फिर बिभीषण का क्यों कर बचा था

लिखा था यही नाम कुटिया में उसके हरि ओम तत्सत .............

कहो नाथ शिबरी के घर कैसे आये    आये तो फिर बेर झूठे क्यों खाये

ह्नदय मे यही जिव्हा पर यही था हरि ओम तत्सत हरि ओम तत्सत 

हलाहल का प्याला मीरा ने पिया था कहो विष से अमृत कैसे हुआ था

दीवानी थी मीरा इसी नाम पर हरि ओम....

सभा में खड़ी द्रोपदी रो रही थी रो रो के आँसू से मुँह धो रही थी

पुकारा था दिल से यही नाम उसने हरि.....

हरि ओम में इतनी षक्ति भरी थी गरुड़ छोड़ धाये न देरी करी थी

बढ़ा चीर उसमें यही रंग रंगा था हरि ओम तत्सत हरि ओम तत्सत 

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4संझा सुमरन कर लें अरे मन संझा सुमरन करले

 काहे का दिवला काहे की है बाती काहे का धिरत जरे

सोने का दिवला कपूर की बाती सुरभी का धिरत जरे  रे मन ......

काहे की नाव काहे का है खेवा कोन लगावे बेड़ा पार 

सत्य की नाव धर्म का है खेवा राम लगावे बेड़ा पार रे मन ......

चन्दा सूरज और तारेन की इनकी माता जपले 

चोरी बुराई और पर निन्दा इन तीनो से बचले रे मन .....

संझा सुमरन करले अरे मन संझा सुमरन करले 

साँझ सकारे ओर दुपहरे तीनों वखत हरि भजले

काहे की चैोकी काहे का आसन काहे की माला जपले

ज्ञान की चौकी प्रेम का आसन ह्नदय की माला जपले

साधू संगत गुरून की सेवा माता की आज्ञा में चल रे 

चोरी चकारी और पर निन्दा इन तीनों को तज रे 

भूली भूली ािफरत बाबली ठाकुर द्वारे में पड़ रे 

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5साँझी विरिया मेरे घर में जसुदा के लाला आये 

जसुदा के लाला आये नन्द के दुलारे आये 

हीरा बालू मोती वालू चौमुख दिवला घर में वालू 

चोटी गूथू माँग सवाँरू दई के सवारे आये 

हरि की होवे एक नजरिया रंग रहे वो आठ पहरिया

मनन करे दिन रैन गुजरिया रसिया तुम्हारे आये 

रसिया तुम्हारे आये छैला हमारे आये

राहस रसिया मंगल गावे सहस बनी करताल बजावे 

गोपी नाचे भाव बतावे श्यामा नाचे भाव बतावे

नन्द के दुलारे आये जसुदा के लाला आये 

मोर मुकुट पीताम्बर सोहे मुरली अधर हाथ में सोहे 

सूर श्याम बलिहारी राधे सखियों ने दरशन पाये 

सखियों ने दरशन पाये सबने आनन्द मनाये

जसुदा ने मंगल गाये साझी

हरि की होवे एक नजरिया संग सहे चोहार पहरिया

 भजन करे दिन रैन गुजरिया 

नंद के दुलारे आये जसुदा के प्यारे आये

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6राम को अधार सिया राम को अधारा रे 

मेरी तेरी करते दिन रात यूँ गुजारा रे 

साँचा हरि नाम और धुन्ध को पसारा रे 

भस्मासुर भस्म किया शंकर दुख तारा रे 

गिरजा को रूप धरा मोर मुकुट वारा रे 

भक्तन पर भीड़ पड़ी आन खम्ब फाड़ा रे 

हिरनाकुश मार दिया प्रहलाद को उबारा रे 

खेलत खेलत गेंद गिरी यमुना बिच धारा रे 

अवतो गेंद मिलत नाही नन्द के दुलारा रे 

काली दह में कूद पड़े कालिय को नाथा रे 

कूबलि़या का दन्त तोड़ा कंस को पछारा रे

तुलसी दास यही कहत नही जानन हारा रे 

अग्रसेन राज दियो हो रही जय जय कारा रे 





7पहले मैं गौरी गनेश मनाऊॅं

प्रात हेात गणपति को सुमरू घटां शंख मृदंग बजाऊॅं 

फल मेवा पकवान मिठाई लड्डू का मैं भोग लगाऊँ 

कंचन थाल कपूर की बाती जगमग जगमग दीप जलाऊँ

पान सुपाड़ी ध्वजा नारियल माथे पर हरी हरी दूब चढ़ाऊँ

सूरदास गणेश भजन करो आठो पहर तुम्हारे गुण गाऊॅं ।

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8मेरो राम मिलन कैसे होय गली तो चारो बन्द पड़ी 

चार गली है चारांे बन्द है कौन गली से जाऊँ

एक तो चारो बन्द पड़ी मेरो राम 

पहली गली है दया धरम की दूजी गली है दान

तीजी गली है हरि सुमरन की चोथी मे साधु सम्मान 

गली तो ...................

हरि सुमरन में मन नही लागे दान दिया न जाय 

दया धरम देखे डर लागे साधू का किया अपमान

गली तो चारो.........................

आग लगे डाका पड़े चोर मोर लै जाय 

यह अधर्म तो सहे जात है दान दिया न जाय 

गली तो चारो...................

चारो ही पन ऐसे ही बीते जैसे सूकर श्वान

जब जाओगे यम के द्वारे कहा बताओगे राम 

गली तो .................................

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9धनुष धारी पर होजा मतवाला रे भज सीताराम

ठोकर खाई बहुत सी झूठ जगत व्यवहार

सीता पति मैं इसीलये आया तेरे द्वार

मुझे दर दर नही भटकना रे भज......

नृप दशरथ के महल में जनम लिया सरकार

कौशल पति प्रभु प्रगट भये तीन लोक करतार

खेलत चारो सुकमारा रे भज

फूल लेन बगिया गये  दशरथ राजकुमार

राम धनुष जब तोड़ दिया सिय डाली जयमाल 

जहाँ मिल गये चन्द्र चकोरा रे मज...................

सीय स्वयंवर में जुड़ी भीड़ भूप दरबार

राम धनुष जब तोड़ दिया सिय डाली जयमाला

युगल जोड़ी पर जाऊॅं बलिहारा रे मज ................

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Saturday, 8 February 2025

Bhajan 23

 150मन मूर्ख पापी कौन तुझे समझावे 

निन्दा कर के दिवस गंवाये रैन पड़ी सो जाये 

दुर्जन की संगत में बैठे संत संगत ना भाये 

कबहूँ की माया अधिक देख के धनी पुरूष बन जाये

कबहूँ दीन दुखी बन मूर्ख जग को शीश झुकावे 

आतम आनन्द रूप न जाने देह से नेह लगावे 

एक दिन तेरी सुन्दर काया माटी में मिल जाये 

महल अटारी भवन झरोखे आलीशान बनावे 

या सुन्दर देही पर पगले क्यों इतना इतरावे

या देही को भस्म करन हित जंगंल में ले जावे

गर्भ माह जो कौल कियो नर बाको मत बिसरावे 

बहनो सुमरन कर लो हरि का भव सागर तर जावो

                         

                      151 भगवान मेरी नइया उस पार लगा देना 

अब तकतो निभाया था आगे भी निभा देना 

दलबल के साथ माया घेरे जो मुझको आकर 

तुम देख लेना मोहन झट आके बचा लेना 

तुम ईश मैं उपासक तुम देव में पुजारी 

जो बात सत्य होवे सच कर के दिखा देना 

सम्भव है झंझटो में मैं तुमको भूल जाऊॅं

पर नाथ कहीं तुम भी मुझको न भुला देना 

हम मोर वन के मोहन नाचा करेगें वन में 

तुम श्याम घटा बन कर इन वन में उठा करना 

वन करके हम पपीहा पी पी रटा करेगें

तुम स्वाति बूँद वन कर प्याले पे दया करना 

हम राधे श्याम जग में तुम्ही को निहारेगें

तुम दिव्य ज्योति बनकर आँखो में रमा करना 


152 कर ले प्रभू से प्यार फिर पछतायेगा

झूठा है संसार धोखा खायेगा

माया के जितने धन्धे झूठे है उनके बन्दे

तन उजले मन गन्दे आँखों के बिलकुल अन्धे

नजर क्या आयेगा झूठा है संसार 

मतलब के रिश्तेदारी भा्रत पिता सुत नारी 

क्यो मति गई तेरी मारी जब चलेगी तेरी सवारी 

साथ कौन जायेगा झूठा है संसार ...............

मन प्रभू चरणों में लगाले तू जीवन सुफल बनाले 

ले मान गुरू का कहना दिन चार यहाँ का रहना 

कौन समझायेगा झूठा है संसार ...............

154तेरा रामजी करेगें बेड़ा पार उदासी मन काहे को करे 

नैया तेरी राम हवाले लहर लहर प्रभु आप सभालें

आप ही करेगें वेड़ा पार उदासी .............

काबू में मझधार है इसके हाथों में पतवार है उनके 

जरा सोच के देखो एक बार उदासी ............

सहज किनारा मिल जायेगा तुझको सहारा मिल जायेगा

जरा दिल से तो करिये पुकार उदासी.................

तू निर्दोष  है तुझे क्या डर है पग पर साथी हनुमत है 

तेरी वोही करेगें बेड़ा पार उदासी 


155फँस के माया के चक्कर में उलझ गयो रे 

तू भूल गयो हरि नाम भूल गयो रे 

जन्म मानव का लिया हरि ने हाथ फेरा है

भूल माया में गया कहता मेरा मेरा है 

साथ में लाया क्या और क्या जग में तेरा है

अमर रहना नही मरघट में होय डेरा है

झूठी बातन के झूले में झूल रहो रे

तू भूल प्रेम से कर ले भजन प्रेम की भिक्षा वाले 

गुरू से कर ले भजन प्रेम की भिक्षा पाले 

गुरू से प्रेम करे ज्ञान की इच्छा वाले

खुश रहते हैं सदा सतसंग की शिक्षा वाले 

मुक्ति पद पाते हैं गीता की परीक्षा वाले 

कुछ भी न कियो न जीवन में फिजूल गयो रे

राम के नाम में अपनी लौ लगायेगा

सहारे सत्य के वो बैकुन्ठ धाम पायेगा

तू ही करता तेरा कर्तव्य काम आयेगा

बने होनी वही जैसा कि तू बनायेगा


156माता अनसुइया ने डाल दिया पालना

तीनो देव झूल रहे वन करके लालना 

मारे ख्ुाशी के फूली न समाती 

गोदी में फिर फिर झूला झूलाती

कौन करे आज मेरे भाग्य की सराहना झूल रहे 

मेरे घर आये मुझे देने बड़ाई 

भूल गये यहाँ आप सारी चतुराई 

भारत की देवियो से आज पड़ा सामना झूल रहे 

स्वर्ग लोक से मृत्यु लोक पधारे 

मुनियों की कुटियों में करने गुजारे 

तन मन से नाच रहे पूछे कोई हाल ना झूल रहे 

ताहि समय नारद मुनि आये

 देख दशा मन मैं मुस्काये

सत्य मई आज तेरे मन की भावना झूल रहे .................


157राम का नाम लेकर के मर जायेगें

ले अमर नाम दुनिया में कर जायेगें

यह न पूछो कि मर कर किधर जायेगें

वो जिधर भेज देगें उधर जायेगें 

राम का नाम ..........................

टूट जाय न माला कहीं प्रेम की

कीमती ये रतन सब बिखर जायेगें 

राम का नाम ..............

तुम ये मानों ना मानों खुशी आपकी

हम मुसाफिर है कल अपने घर जायेगें 

राम का नाम ..................................

158राम भजन में चोकस रहना कलियुग नाच नचायेगा 

सधवाओ को सूखे टुकड़े विधवा चुपड़ी खायेगी

तस्वीरें नर्तकियोें की घर घर लटकाई जायेगी

सच्ची बात कहेगा जो वह वेबकूफ कहलायेगा 

पिता जायेेगा अस्सी तक चल देगा पुत्र जवानी में

ब्राह्नाण धर्म जीविका करके डूबेगें जजमानी में

नारी पुरुष की भाँति चलेगी पुरुष नारि बन जायेगा

बेटा यही धर्म समझेगा रकम बाप की खायेगा

भाई चारा कहाँ शत्रुता भाई ही दिखलायेगा

शादी भी व्यापार बनेगी यही अनोखा ढंग होगा

ब्याह नहीं लड़का होगा घर का वालि का होगा

स्वयं ज्योतिषी दलाल बन यह सम्बन्ध मिलायेगा

मन्दिर तीर्थ बनेगें अड्डे दुराचार व्यामचार के 

सन्यासी भी रहा करेेगे घर में साहूकरों के 

शूद्र व्यास गद्दी पर डटकर कथा पुराण सुनायेगें

जब यह हाल देश का होगा समय बिलक्षण आयेगा

सत्य पथ पर आडिगा रहेगा उसे न काल सतायेगा

राम भजन में चोकस रहना कलियुग नाच नचायेगा 



Wednesday, 29 January 2025

bhajan 22

 141मथुरा न सही कुजंन ही सही रहो मुरली बजाते कहीं न कहीं

कुंजन न सही मधुवन ही सही रहो रास रचाते कहीं न कहीं

चाहे लाख छिपो प्रभु भक्तन से दीदार न दो तरसाओ न तुम 

प्रेमी है जो तेरे दर्शन के चलो पार लगाते कहीं न कहीं

उस वक्त उठाया था गिरवर इस वक्त उठा भी गिरता धरम

मन्दिर न सही इस दिल में सही रहो झलक दिखाते कहीं न कहीं

अब वक्त मुसीबत का है प्रभु दम आखिर आया लवों पर है

नहीं तेरे सिवा कोई और मेरा रहो दुख से बचाते कहीं न कहीं

भक्तों पर विपदा भारी है हर तरफ से आहें जारी है

अब नाथ तेरी इन्तजारी है रहो चाहे निभाते कहीं न कहीं 


                       142     मित्र सुदामा आये श्याम तेरे मिलने को

                        श्ीगा पगा तन में नहीं जामा आपन नाम बताये सुदामा

नैनन नीर बहाये श्याम तेरे मिलने को 

नंगे पैरन फटी विवाई चितवत महल चकित रघुराई 

वेश दरिद्र बनाये श्याम तेरे मिलने को 

प्रभु कौ मित्र बतावत आपन सुनत कृष्णा उठे नंगे पैरन

चल द्वारे तक आये श्याम तेरे मिलने को 

ह्नदय लगाय श्याम अति रोये 

                        अंखियन के जल से पग धोये

हँसकर वचन सुनाये श्याम तेरे मिलने को

कहो मित्र कुछ कही है भाभी ने 

                         कहु सोगात दई भाभी ने 

पोटली काँख दबाये श्याम तेरे 

तन्दुल चाबि लोक एक दीन्हों 

                        याचक विप्र अजाचक कीन्हों 

रूकमनि हाथ दबाये श्याम तेरे मिलने को 


                   143    जसोदा लाल को अपने दिखा दोगी तो क्या होगा

अगर तुम दर्श मोहन का करा दोगी तो क्या होगा

खड़ी ब्रज गोपियाँ सारी तुम्हारे द्वार पर आई 

दिखाने को अगर मोहन मंगा दोगी तो क्या होगा 

जशोदा लाल को .........................

हमें भी चूम लेने दो वो सुन्दर चन्द्र सा मुखड़ा

कहाँ ब्रजराज प्यारा है बता देागी तो क्या होगा

जशोदा लाल को ..........................

दिखाऊॅं किस तरह आनन्द अपना श्याम प्यारा मैं 

नजर तुम गोपियाँ उसको लगा दोगी तो क्या होगा 

जशोदा लाल को अपने दिखा दोगीे तो क्या होगा

           145    नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा 

             श्याम सुन्दर मुख चन्दा भजो रे मन गोविन्दा 

            तू ही नटवर तू ही नागर तू ही बाल मुकुन्दा 

           भजो रे ............................................

           सब देवन में कृष्ण बड़े है ज्यू तारा विच चन्दा 

           भजो रे .......................

           सब सखियन में राधा बड़ी है ज्यो नदियन विच गंगा 

           भजो रे ...........................

           ध्रुव तारे प्रहलाद भी तारे नरसिंह रूप धरन्ता 

           भजो रे .....................................

           काली दह में नाग ज्योे नाथो फण फण नृत्य करन्ता 

           भजो रे 

           वृन्दावन में रास रचायो नाचत बाल मुकुन्दा 

           भजो रे ...........................

            मीरा के प्रभु गिरधर नागर काटो जम के फन्दा 

           भजो रे मन गोविन्दा 


146तेरे नैना करे कमाल कटीले काजल वाली 

तू रोज कुआ पर आवे 

तोहे देख जिया ललचावे 

सुन तेरी पायल की झनकार कटीले

तेरो लंहगा धेर घमीरो

जामें पड़ा़े है रेशमी नारो 

                          तेरी चलगत अजब बहार कटीले     

147

बीत गये दिन भजन बिना रे 

बाल अवस्था खेल गंवायो जब जवान तन नार तना रे 

जाके कारण भूल गवायो अबहूँ न गई मन की तृष्णा रे 

कहत कबीर सुनो भाई साधो पार उतर गये संत जना रे 



148ओ प्यारे परेदेशी जिस दिन यहाँ से तू उड़ जायेगा

तेरा प्यारा पिंजड़ा पीछे यहीं पड़ा रह जायेगा

जिस पिंजड़े को सदा से तूने पाला था बड़े प्यार  से

खूब खिलाया खूब पिलाया रखा उसे सवाँर के 

तेरे होते होते नीचे जिसे सुलाया जायेगा 

ओ प्यारे ..........................

रोवेगें थोड़े दिन तुझको भूलेगें सब बाद में

ज्यादा से ज्यादा श्राद्ध यें करवा देंगे याद में

हलुआ पूरी खाकर तेरा स्वाद बनाया जायेगा 

ओ प्यारे .................................

तुझे पता है जो कुछ होना तो फिर क्यों नहीं सोचता 

मूर्ख वो दिन भी आयेगा जब पड़ा रहेगा लोथड़ा 

जन्म अमोलक हीरा वृथा जन्म गवाँया 

ओ परेदेशी ................................


149तुम मेरे प्रभु मैं तुम्हारा कैसे टूटेगा नाता हमारा 

तू चन्दा हरि में चकोरा धन घोर घटा में हूँ मोरा 

सदा देखू मैं राह तुम्हारा कैसे टूटेगा नाता हमारा 

मैं हूँ दीपक प्रभु तुम हो बाती 

                        मेरे जीवन के तुम हो साथी 

बिन तेरे न हो उजियारा कैसे टूटेगा नाता हमारा 

मैं हूँ मछली हरि तुम हो पानी

                        मैं हूँ मगता मगर तुम हो दानी 

बिन तेरे न कोई हमारा कैसे टूटेगा नात हमारा 

मै नैना हरि तुम हो ज्योति 

                        मैं हूँ सीपी प्रभु तुम हो मोती 

मेरे जीवन को तेरा सहारा कैसे 

मैं हूँ चातक हरि तुम हो स्वाति

                        मैं पुकारा करूॅं दिन रात्रि

मैं हूँ किश्ती तुम मेरा किनारा कैसे .....................


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